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लखनऊ के वीवीआईपी अस्पतालों में नहीं हो रहीं साधारण जांचें, प्रदेशभर से आने वाले मरीज परेशान - Inconveniences in Lucknow hospitals

यूपी सरकार के तमाम दावों के बावजूद लखनऊ के नामचीन और वीवीआईपी अस्पतालों में मरीजों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. कई सरकारी अस्पतालों में जरूरी जांचों की सुविधा न होने से मरीजों को सस्ते इलाज का लाभ नहीं मिल पा रहा है. Inconveniences in Lucknow hospitals

लखनऊ के नामचीन अस्पतालों में सुविधाएं नहीं.
लखनऊ के नामचीन अस्पतालों में सुविधाएं नहीं. (Photo Credit-Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 12, 2024, 12:13 PM IST

लखनऊ के अस्पतालों में जांच सुविधाओं को खंगालती संवाददाता अपर्णा शुक्ला की खास रिपोर्ट. (Video Credit-Etv Bharat)

लखनऊ : राजधानी लखनऊ के सभी सरकारी अस्पतालों में प्रदेशभर से मरीज आते हैं, लेकिन यहां पर मरीज की साधारण जांच तक नहीं हो पाती है. हर अस्पताल का यही हाल है. ऐसे में मजबूरन मरीज को निजी पैथोलॉजी की तरफ मुंह करना पड़ता है. शहर के सिविल अस्पताल, वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल, बीआरडी अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल में कई जांचें नहीं हो पा रही हैं.



राजाराम ने बताया कि वह सिविल अस्पताल में पेट की समस्या दिखाने के लिए आए हैं. हम फिजिशियन की ओपीडी में गए और यहां पर उन्होंने एंडोस्कोपी के लिए लिख दिया. जब पैथोलॉजी में पहुंचे तो पता चला यह जांच यहां पर होती ही नहीं है. जब यह जांच यहां पर नहीं होती है तो इसे लिखने का क्या औचित्य है. पैथोलॉजी के कर्मचारियों से पता चला कि किसी भी जिला अस्पताल में एंडोस्कोपी की जांच नहीं हो पाएगी. इस जांच को करने के लिए केजीएमयू जाना पड़ेगा. केजीएमयू में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी. फिर जांच नहीं हो पाई. ऐसे में निजी पैथालाजी में जांच करानी पड़ी.




सिविल अस्पताल में इलाज करने के लिए पहुंचीं केतकी ने बताया कि बीते छह जुलाई को डॉक्टर ने उन्हें थायराइड की जांच करने के लिए लिखा था. जब वह पैथोलॉजी में पहुंचीं तो उन्हें जांच यहां पर नहीं होने की जानकारी दी गई. पैथोलॉजी स्टाफ का कहना था कि मशीन खराब है. कब बनेगी इसकी कोई सूचना नहीं है. जब यह जांच नहीं हुई तो इलाज का कोई मतलब ही नहीं है. बिना रिपोर्ट के कौन सी दवाई खाएं कि तबीयत ठीक हो जाए.


हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल वीवीआईपी अस्पताल में आता है. बगल में मुख्यमंत्री आवास, राज्यपाल आवास व डिप्टी सीएम आवास है. थोड़ी ही दूरी पर विधानसभा है. प्रदेशभर से सिविल अस्पताल में मरीज को रेफर भी किया जाता है और मरीज यहां पर इलाज करने के लिए भी आते हैं. रोजाना यहां पर चार से पांच हजार मरीजों की ओपीडी चलती है. बावजूद इसके यहां पर इतनी दुश्वारियां हैं. थायराइड जांच के लिए मरीज को 4 से 5 दिन का चक्कर लगाना पड़ता है. इसके अलावा दिल के मरीजों के लिए टूडी इको मशीन आनी थी, लेकिन पिछले दो साल से यह मशीन आ नहीं पाई है.

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि टूडी ईको मशीन का बजट डायरेक्टेड से यूपीएमएससीएल को मशीन देनी है. जब वहां से मशीन उपलब्ध होगी तो जांच शुरू हो जाएंगी. तब तक अल्ट्रासाउंड मशीन मंगाई है, उसमें कार्डियक प्रॉब की व्यवस्था होती है. वह मशीन दो लाख के बजट तक हम खरीद सकते हैं. वह खरीद कर मरीज की जांच कराएंगे. यह एक विकल्प है. कोशिश यह है कि जल्द से जल्द टूडी ईको मशीन अस्पताल को प्राप्त हो जाए. बाकी सभी जांच अस्पताल में हो रही हैं. थायराइड की जांच मशीन में कुछ तकनीकी समस्या आ गई है, जल्द ही वह रिपेयर हो जाएगी.


वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल में रोजाना करीब हजार 1500 गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं. यहां विटामिन बी-12 और विटामिन-डी की जांच नहीं हो पा रही है. जिसके कारण मरीजों को यह जांच दूसरे अस्पतालों या निजी पैथोलॉजी से करानी पड़ रही है. गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए भी लंबी तारीख दी जा रही है. सीएमएस डॉ. निवेदिता कर का कहना है कि अस्पताल में सभी जांचें हो रही हैं. रेडियोलॉजिस्ट की कमी है. गर्भवती महिलाओं की संख्या अधिक होने की वजह से उन्हें थोड़ी लंबी तारीख देनी पड़ती है. मरीज की हालत को देखते हुए उसे प्राथमिकता दी जाती है. बाकी इमरजेंसी में जांचें जरूर होती हैं. विटामिन बी12 और विटामिन डी की जांचें न होने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी गई है. कोशिश है कि जल्द ही जांच मशीन स्थापित हो जाए.

बलरामपुर अस्पताल में प्रदेश भर से रोजाना पांच हजार से अधिक मरीज आते हैं. इन मरीजों में बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जिनको विशेषज्ञ एमआरआई की जांच करने के लिए लिखते हैं. यह जांच अस्पताल में नहीं होती है. निजी अस्पताल में एमआरआई जांच कराने पर 15 से 20 हजार रुपये खर्च होते हैं. बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि कई बार स्वास्थ्य विभाग को इसके बारे में अवगत कराया गया है. कोशिश है कि जल्दी यह जांच यहां पर शुरू हो.

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