Union Budget 2024-25:यूनियन बजट पेश होने में अब कुछ घंटे का समय बचा है. केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सदन में एक बार फिर पेपरलेस बजट पेश करने जा रही हैं और व्यापारी वर्ग का पूरा फोकस अब यूनियन बजट पर बना हुआ है. आइए जानते हैं कि मध्य प्रदेश के किसान और कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2024-25 के फाइनेंशियल बिल से कितनी उम्मीदें हैं.
दोहरे टैक्स की मार से राहत की उम्मीद
मध्यप्रदेश में अलग-अलग व्यापारियों की अपनी अपनी राय है लेकिन कुछ मुद्दों पर ज्यादातर व्यवसायी एक मत हैं. व्यापारी वर्ग इस बार केंद्र सरकार के बजट को 3 प्रमुख रूपों में देख रहा है. आयकर, जीएसटी और रेलवे. मध्यप्रदेश चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रवीण अग्रवालकहते हैं कि "आयकर के स्लैब में बदलाव की आवश्यकता है. कम से कम 10 लाख रुपए तक की इनकम पर आयकर नहीं होना चाहिए. इस तरह लोग कुछ बचत कर सकेंगे साथ ही व्यवसायी जो नेट इनकम कर पाते हैं वह सारे खर्च निकालने के बाद निकाल पाते हैं. इस पर भी टैक्स देना पड़ता है जबकि लोग जब खर्च करते हैं तो उस पर जीएसटी देते ही हैं. इस तरह दोहरे टैक्स की मार लोगों पर पड़ती है इनकम टैक्स में छूट सीमा बढ़ाना चाहिए."
होना चाहिए जीएसटी का सरलीकरण
व्यापारियों को बजट में जीएसटी को लेकर भी सरलीकरण की आशा है. जीएसटी की सरकार द्वारा तय स्लैब में कुछ चीजें रीअरेंज होना चाहिए क्योंकि कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें 18 पर्सेंट में आना चाहिए. जो 18 पर्सेंट में है उसमें से कुछ चीज़ें 12% और 12 पर्सेंट वाली कुछ चीज़ें 5% जीएसटी के स्लैब में आना चाहिए. सरकार को टैक्स फ़ॉर्म को भी चाहे डायरेक्ट हो या इन डायरेक्ट टैक्स दोनों कॉमर्स को सरल करना चाहिए. इसके लिए कोई ऐसी नीति बनायी जाए जिससे राजकोषीय घाटे को बैलेंस करते हुए विकास बिना रुके और आसान कर प्रणाली उपलब्ध हो सके. इससे ज़्यादा से ज़्यादा लोग गवर्मेंट को टैक्स देने के लिए जुड़ सकेंगे.
ग्रीन एनर्जी और स्टार्टअप के लिए नई नीतियों की दरकार
व्यापारी वर्ग की एक बड़ी माांग औद्योगिक क्षेत्र में सोलर सब्सिडी को लेकर भी है, क्योंकि यह बार मानता है कि सरकार घरेलू उपभोक्ता के लिए ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी का भी प्रावधान कर रहा है और प्रोत्साहन भी दे रहा है लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में अब तक ऐसा कोई क़दम नहीं उठाया गया है. साथ ही नए स्टार्टअप्स के लिए भी सरकार को कुछ बेहतर क़दम उठाने की ज़रूरत है. बजट में कोई ऐसा व्यवस्था लाना चाहिए जैसे स्टार्टअप शुरू करने वाले युवाओं को त्वरित प्रोत्साहन मिल सके इसलिए देश को स्टार्टअप के लिए एक मज़बूत प्रोत्साहन नीति की आवश्यकता है.