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उज्जैन में बौद्ध स्तूप पर विश्व शांति महास्तूप महोत्सव, हर साल फरवरी के पहले रविवार को होता है आयोजन - event february month first Sunday

Mahastupa Festival in Ujjain: उज्जैन में भारतीय बौद्ध महासभा ने विश्वशांति महास्तूप महोत्सव का आयोजन किया.इस दौरान बौद्ध धर्मगुरू भी शामिल हुए.हर साल फरवरी के पहले रविवार को ये आयोजन किया जाता है.

Mahastupa Festival in Ujjain
उज्जैन में महास्तूप महोत्सव

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 4, 2024, 6:36 PM IST

उज्जैन में बौद्ध स्तूप पर विश्व शांति महास्तूप महोत्सव

उज्जैन। भारतीय बौद्ध महासभा ने विश्वशांति महास्तूप महोत्सव का आयोजन किया.हर साल फरवरी के पहले रविवार को ये आयोजन किया जाता है.बौद्ध समाज यहां धार्मिक परंपराएं पूरी करने पहुंचता है. इस दौरान बौद्ध धर्म गुरु भी शामिल होते हैं.रविवार को यहां ये आयोजन किया गया जिसमें समाज के लोगों ने आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं और इसे पर्व की तरह मनाया.

कहां हुआ आयोजन

उज्जैन में सम्राट अशोक ने कई बौद्ध स्तूप बनवाए थे. जानकारों के अनुसार कहा जाता है सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप उज्जैन के तराना तहसील मार्ग कनीपुरा के पास है. यहीं पर भारतीय बौद्ध महासभा ने विश्वशांति महास्तूप महोत्सव का आयोजन किया.हर साल ये आयोजन होता है. इस स्तूप को वैश्य टेकरी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि माना जाता है कि सम्राट अशोक की रानी वैश्य ने इसका विस्तार करवाया था. ये स्तूप केंद्र सरकार की देख रेख में है. यहां 1938 और 39 में खुदाई के दौरान बौद्ध स्तूप होने के कई प्रमाण मिले थे.

मौर्यकाल के हैं स्तूप

उज्जैन शहर से लगभग 5-6 किलोमीटर दूर मक्सी रोड पर ग्राम कानीपुरा के पास पीलिया खाल नाले पर दो बौद्ध स्तूप स्थित हैं. जिनकी ऊंचाई 100 फीट और व्यास लगभग 350 फीट है. बौद्ध स्तूप मौर्यकाल के पूर्व के हैं. बौद्ध स्तूपों के समूह को वर्तमान में वैश्य टेकरी के नाम से जाना जाता है. सम्राट अशोक की पत्नी वैश्य देवी ने उज्जैन में उक्त बौद्ध स्तूपों को बनवाया था. इसलिए वर्तमान में स्तूप समूह को वैश्य टेकरी के नाम से जाना जाता है.

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भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में हैं स्तूप

उज्जैन सम्राट अशोक के समय इन्हीं स्तूपों को जीर्णोधार किया गया क्योंकि यहां से मौर्यकालीन समय की दो प्रकार की ईटें मिलती हैं. उत्खनन के दौरान इन स्तूपों में बौद्ध भिक्षुओं के शरीर के अवशेष प्राप्त हुये हैं. बौद्ध स्तूपों का निर्माण मिट्टी से बनाई गई ईटों से किया गया है. वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा वैश्य टेकरी स्तूपों को संरक्षित घोषित किया गया है.

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