जबलपुर: मध्य प्रदेश सरकार ने नक्सली विचारधारा छोड़कर मुख्य धारा में लौटने वाले नक्सलियों के लिए खजाना खोल दिया है. दूसरी तरफ यदि नक्सली नहीं मानते हैं तो नई बटालियन तैनात की जा रही है. नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की गतिविधियां बढ़ाई जा रही हैं. इसलिए नक्सलियों ने परंपरागत स्थान को छोड़कर सीधी, सिंगरौली के जंगलों की ओर रुख कर लिया है.
पुनर्वास नीति में सरकार ने खजाना खोला
मध्य प्रदेश सरकार ने नक्सलियों के पुनर्वास की नई नीति की भी घोषणा की है. इसमें नक्सलियों को मुख्य धारा में शामिल करने के लिए सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है.
![Government opened treasury in rehabilitation policy](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/07-02-2025/mp-jab-03-naxal-7211635_07022025194447_0702f_1738937687_909.jpg)
- यदि कोई नक्सली लाइट मशीन गन, रॉकेट लांचर, स्नाइपर राइफल जैसी किसी हथियार के साथ आत्मसमर्पण करता है तो उसे 450000 लाख रुपया प्रति हथियार के अनुसार अनुग्रह राशि दी जाएगी.
- कार्बाइन 303, राइफल के मामले में ₹350000 और दूसरे छोटे हथियारों के लिए भी बड़ी अनुग्रह राशि दी जाएगी.
- आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को ₹50000 विवाह के लिए दिए जाएंगे.
- 500000 लाख की राशि आत्मसमर्पण करने के लिए घोषित पुरस्कार के रूप में दी जाएगी.
- आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को 20 लाख रुपये तक का अनुदान जमीन खरीदने के लिए दिया जाएगा.
- इसके बाद घर खरीदने के लिए, व्यवसाय करने के लिए और लगातार भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी योजनाएं चलाई जा रही हैं.
2 बटालियन की डिमांड और 220 सड़कों का निर्माण
राज्य सरकार को इस बात की भनक है कि नक्सली कान्हा टाइगर रिजर्व के आसपास के घने जंगलों में अपनी पैठ बना रहे हैं. इसलिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से सीआरपीएफ की 2 बटालियन मांगी हैं. इसके साथ ही नक्सली इलाकों में सुरक्षा वालों को बेहतर ट्रांसपोर्टेशन उपलब्ध हो सके इसके लिए राज्य सरकार 220 सड़कों का निर्माण भी कर रही है.
डरे नक्सलियों का नया ठिकाना सीधी, सिंगरौली
मंडला, डिंडोरी और बालाघाट में सरकार की गतिविधियों की वजह से नक्सलियों को अब नए क्षेत्र की तलाश है. इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार नक्सलियों ने सीधी, सिंगरौली के जंगलों की तरफ रुख किया है और नक्सली माडा के जंगलों को ठिकाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं.
जबलपुर में पकड़ाया था 82 लाख का इनामी नक्सली
पिछले साल मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते ने नक्सली दंपति को हिरासत में लिया था. नक्सली दंपति अशोक रेड्डी उर्फ बलदेव और उसकी पत्नी रैमती कुमार पोटाई जबलपुर के एक अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे थे. अशोक रेड्डी पर मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सरकार का 82 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
नक्सलियों ने की थी मंत्री की हत्या
मध्य प्रदेश में नक्सलवादियों का इतिहास 1999 से शुरू होता है, जब नक्सलवादियों ने दिग्विजय सरकार के मंत्री लिखीराम कावरे की निर्मम हत्या कर दी थी. लेकिन इसके बाद नक्सलवादियों ने मध्य प्रदेश में किसी दूसरी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दिया. बल्कि ऐसा माना जाता था कि 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद नक्सलवादी बस्तर इलाके में सक्रिय हो गए थे.
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मंडला, डिंडोरी में छिपते थे नक्सली
ऐसा नहीं था कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद मध्य प्रदेश में उनकी गतिविधियां खत्म हो गई थीं. मध्य प्रदेश के बालाघाट, डिंडोरी, मंडला के जंगलों में नक्सलवादियों के मूवमेंट की खबर बनी रहती थी. ऐसा माना जाता है कि नक्सलवादी इन इलाकों को केवल अपने छिपने का स्थान बनाकर रखे हुए थे. यहां पर वारदातों को अंजाम नहीं देते थे. अशोक रेड्डी की गिरफ्तारी से यह बात स्पष्ट भी हो गई कि नक्सली मंडला, डिंडोरी और बालाघाट को छिपने का स्थान बनाए हुए थे.