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उज्जैन के कलाकार ओम प्रकाश शर्मा ने दादा से सीखी थी माच कला, अब मिल रहा सर्वोच्च सम्मान

Maach Theatre Artist OM Prakash: उज्जैन में माच लोक रंगमंच का जाना माना चेहरा ओम प्रकाश शर्मा को सर्वोच्च सम्मान मिलने जा रहा है. उन्हें गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा.

om prakash sharma honored with padma shri
ओम प्रकाश शर्मा होंगे पद्मश्री से सम्मानित

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 26, 2024, 11:55 AM IST

ओम प्रकाश शर्मा को पद्मश्री अवार्ड

उज्जैन। शहर के लोक कलाकार ओम प्रकाश शर्मा को पद्मश्री से सम्मान किया जाएगा है. इस खबर के बाद से ही उनके परिवार में खुशी का माहौल है. ओम प्रकाश माच लोक रंगमंच का जाना माना चेहरा हैं. शर्मा ने थेटर प्रस्तुति के लिए कई तरह के संगीत तैयार किए हैं. मालवी लोक कला माच के लिए कई नाटक लिखे हैं. लोक कला को बनाए रखने के लिए युवा कलाकारों को लोक कला का प्रशिक्षण देते आए हैं. उन्हें इस कला की धरोहर अपने परिवार से ही मिली है.

परिवार में खुशी का माहौल

ओमप्रकाश शर्मा ने दो सुंदर लाइन सुनाई और बताया मप्र सरकार से शिखर सम्मान, माच में योगदान के लिए प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, राष्ट्रीय तुलसी सम्मान व पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब से तामपत्र मिल चुका है. वही ओम प्रकाश शर्मा के परिवार वालों को जैसे ही इसकी जानकारी लगी तो घर में खुशी का माहौल देखने को मिला. उनके बेटे ने खुशी जाहिर करते हुए मध्य प्रदेश सरकार का आभार प्रकट किया.

दादा से सीखी माच कला

ओम प्रकाश शर्मा का जन्म उज्जैन में 1 जनवरी 1938 को हुआ. उनके पिता पंडित शालिग्राम शर्मा, मां का नाम मनिबाई शर्मा थीं. इन्होंने माच कला का प्रदर्शन अपने दादाजी उस्ताद कालूराम शर्मा जी से सीखा. वर्तमान में पंडित ओमप्रकाश शर्मा कालूराम लोक कला केंद्र के डायरेक्टर हैं और माच कला, संगीत और नाट्य शास्त्र में दी जाती है. ओमप्रकाश शर्मा जी ने रंगमंच की तमाम हस्तियों जैसे बी.वी. कारंत, डॉ प्रेमलता शर्मा, डॉ कमलेश दत्त त्रिपाठी, अलकनंदा, डॉ श्रीनिवास रथ, एम के रैना, ब्रज मोहन शाह, बंसी कौल, डॉक्टर प्रभात कुमार भट्टाचार्य के साथ नाटकों में संगीत निर्देशन किया है. 18 फरवरी 2018 को चेन्नई में आयोजित थिएटर ओलिंपिक्स में माच नाट्य राजा रसालू का प्रदर्शन किया.

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वायलिन बजाना भी सीखा

ओमप्रकाश शर्मा ने पाँच वर्ष की छोटी आयु से ही 'माच' का व्यवस्थित अध्ययन और अपने पिता पंडित शालीग्राम से शास्त्रीय गायन की शिक्षा लेना शुरू कर दिया था. शास्त्रीय गायन में महारथ हासिल करने के लिए इन्होंन रघुनाथ राव वाघ, शोभा गुर्टू, भाईलाल बरोद और उनके बड़े भाई मदन लाल शर्मा से प्रशिक्षण हासिल किया था. उन्होंने वायलिन बजाना भी सीखा था.

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