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आदिवासी महोत्सव में ट्राइबल पुस्तक मेला का आयोजन, जनजातियों की सभ्यता और संस्कृति को जानने का अवसर - Adivasi Mahotsav 2024

Book fair in Ranchi. रांची में आदिवासी महोत्सव को लेकर पुस्तक मेला का आयोजन किया गया है. इसे लेकर पुस्तक प्रेमियों में गजब का उत्साह नजर आया. मेला में एक से बढ़कर एक पुस्तकें उपलब्ध हैं.

Tribal Book Fair
पुस्तक मेला में स्टॉल पर किताबों का अवलोकन करते पुस्तक प्रेमी. (फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 9, 2024, 9:34 PM IST

रांचीः साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है.इसके जरिए न केवल भूत, बल्कि वर्तमान को भी जाना जा सकता है.मगर विडंबना यह है कि आज भी जनजातियों के बारे में कई चीजें ऐसी हैं जो लेखनी में उतर नहीं पाई हैं या यूं कहें कि जो कुछ प्रकाश में आई भी हैं वह अन्य भाषा में लिखी गई पुस्तकों की तरह पाठक तक नहीं पहुंच पाई हैं.जनजातीय भाषा में लिखी गई पुस्तकें आज भी काफी कम हैं और हालत यह है कि कुछ की लिपी लुप्त हो चुकी है तो कुछ आज भी पहेली बनी हुई है.इन सबके बीच आदिवासी महोत्सव के दौरान पहली बार पुस्तक मेला का आयोजन राज्य सरकार के द्वारा किया गया.

अनुभव साझा करते हुए पुस्तक प्रेमी. (वीडियो-ईटीवी भारत)

40 रुपये से 15 हजार तक की किताबें उपलब्ध

जनजातियों के सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर लिखी गई एक से बढ़कर एक किताबें इस पुस्तक मेला में लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. अन्य भाषाओं के साथ ट्राइबल लैंग्वेज में लिखी गई किताबें लोगों की पसंद बन रही हैं.

पुस्तक प्रेमियों में दिखा उत्साह

इस संबंध में पुस्तक मेला में आई अपराजिता मुंडा कहती हैं कि इस तरह के आयोजन से जनजातीय सभ्यता-संस्कृति को जाना जा सकता है. पुस्तक मेला का आयोजन कर सराहनीय काम किया गया है. वहीं दुमका से आए रसिक बास्की कहते हैं आज के युग में अपने बारे में भी यदि हम नहीं जान पाएं तो इससे ज्यादा दुखद बात क्या होगी. पुस्तक के जरिए जनजातियों की सभ्यता और संस्कृति को समझा जा सकता है और इसमें और निखार आने की संभावना है.

पुस्तक मेला में लगाए गए हैं पांच स्टॉल

आदिवासी महोत्सव के दौरान लगाए गए पुस्तक मेले में हालांकि काफी कम स्टॉल हैं, लेकिन पांच स्टॉल में वाणी प्रकाशन से लेकर टीआरआई द्वारा प्रकाशित एक से बढ़कर एक किताबें बिक्री के लिए रखी गई हैं. किताबों का मूल्य 40 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक है.

मेला में 12 पुस्तकों का विमोचन

इन सबके बीच आदिवासी महोत्सव के दौरान कुल 12 पुस्तकों का विमोचन किया गया. जिसमें मावंडो बाल पुस्तिका, पहाड़िया बाल पुस्तिका, सबर बाल पुस्तिका, कोरवा व्याकरण, पहाड़िया व्याकरण, मावंडो व्याकरण, सबर व्याकरण, झारखंड के व्यंजन, बिरसा मुंडा की जीवनी, सोनेट संथाल और टुंडी आश्रम पर अध्ययन, सामाजिक- धार्मिक जनजातीय आंदोलन, आदिवासी दर्शन शामिल हैं.

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