वाराणसी:दिल्ली में वायु प्रदूषण के बिगड़े हालात की वजह से हरियाणा पंजाब हर तरफ हाहाकार मचा है. प्नदूषण ने यूपी के भी कई शहरों को अपनी चपेट में ले लिया है. हमेशा से ग्रीन जोन में रहने वाला प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी कभी ऑरेंज तो कभी रेड जोन में पहुंच जाता है. पॉल्यूशन का लेवल बढ़ा तो चिंता सभी को हुई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में इस बात का जिक्र किया कि वायु प्रदूषण की बढ़ रही स्थिति से निबटने के लिए हरियाली बढ़ाने की जरूरत है. अब पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में कृत्रिम जंगल बनाए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इसके लिए 6 स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. जिनमें से दो पर काम शुरू होने जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जापान की मियावाकी तकनीक पर इन जंगलों का निर्माण होगा, जहां डेढ़ से 2 एकड़ भूमि में 20000 से ज्यादा वृक्षों को लगाकर लोगों को बड़ी राहत देने की प्लानिंग की जा रही है.
कानपुर में किया गया है सफल प्रयास:दरअसल, शहरीकरण और विकास के चलते शहरों में कम हुई हरियाली को बढ़कर बिगड़ रहे वायु प्रदूषण के स्तर को सुधारने की प्लानिंग की जा रही है. यह प्रयास इसके पहले कानपुर नगर निगम में किया गया है. कानपुर नगर निगम में प्रयास को करने वाले अधिकारी वीके सिंह का कहना है कि कानपुर में लगभग 13 से ज्यादा जगह पर इस प्रयास को किया गया. जिसकी वजह से आसपास जो 120 से 150 एक यूआई हुआ करता था, उसमें कमी भी दर्ज की गई. 6 महीने की निगरानी के बाद यह स्पष्ट हुआ कि इन एरिया में एक यूआई लेवल 50 तक पहुंच गया था, जो अपने आप में ग्रीन जोन में माना जाता है.
कंचनपुर और सारंग तालाब के पास तैयार होगा कृत्रिम जंगल:इसी प्लानिंग के तहत वाराणसी में भी उपवन योजना की शुरुआत हुई है. जिसके तहत वाराणसी नगर निगम कंचनपुर और सारंग तालाब के पास डेढ़ से दो एकड़ भूमि में कृत्रिम जंगल बनाने जा रहा है. इन दोनों स्थानों पर लम्बी आयु वाले पौधों को लगाया जाएगा. इन स्थलों पर 1 से 2.5 एकड़ भूमि पर मियावाकी तकनीक से पौधरोपण व शेष स्थानों पर ओपन जिम वाकिंग ट्रैक, व्यायाम स्थल आदि का निर्माण होगा.
20000 से ज्यादा पौधे लगाने की तैयारी:नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि नगर निगम द्वारा उपवन योजना के तहत लगभग 20000 से ज्यादा पौधे लगाने की तैयारी है. यह वह पौधे होंगे, जिनमें कम समय में ज्यादा बढ़ने और घने होने के चांसेस होते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन पौधों को लगाए जाने के बाद सिर्फ आसपास ही नहीं, लगभग 5 किलोमीटर के एरिया पर इसका असर पड़ेगा. जिन एरिया में हरियाली बिल्कुल नहीं है, वहां पर इसका असर वायु प्रदूषण के स्तर को सुधारने में काफी मददगार साबित होगा. इन दोनों स्थानों पर लंबी आयु वाले पौधे भी लगाए जाएंगे. इसमें नीम, बरगद, पाकड़, पीपल आदि के पौधे होंगे. पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री-गार्ड और देखभाल के लिए माली तैनात होंगे.