खूंटीः जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय सीट मौजूदा लोकसभा चुनाव में झारखंड की सबसे हॉट सीट बन गई है. चुनावी दंगल में एक बार फिर दो मुंडाओं में दिलचस्प चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा. एक ओर जहां भाजपा ने केंद्रीय अर्जुन मुंडा को उतारा है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक कालीचरण मुंडा को फिर से उम्मीदवार बनाया है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा ने कालीचरण मुंडा को महज 1445 वोटों के अंतर से मात दी थी.
राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर लग गई है. पिछले चुनाव में अर्जुन मुंडा को जहां 382638 मत मिले थे, वहीं कालीचरण मुंडा को 381193 वोट मिले थे. पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने यहां से आठ बार चुनाव जीत कर एक कीर्तिमान स्थापित किया है. अब तक इस संसदीय सीट पर हुए 15 चुनावों में कांग्रेस को मात्र दो बार ही सफलता मिली है.
कांग्रेस को सबसे पहली सफलता 1984 में मिली थी, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति के सहारे कांग्रेस प्रत्याशी साइमन तिग्गा यहां से लोकसभा पहुंचे. दूसरी सफलता 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को मिली, जब उन्होंने भाजपा के कड़िया मुंडा को शिकस्त दी थी. उसके बाद कांग्रेस को कभी जीत नसीब नहीं हुई.
खूंटी सीट से कड़िया मुंडा ने 12 बार लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाया और आठ बार उन्हें सफलता मिली. भाजपा के कड़िया मुंडा ने सबसे पहले 1971 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वे झारखंड पार्टी के एनई होरो से मात खा गये थे. 1977 में कड़िया मुंडा ने जनता पार्टी की टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 1980 में वे झारखंड पार्टी के एनई होरो से हार गये. 1984 की इंदिरा लहर में कांग्रेस के साइमन तिग्गा यहां से लोकसभा पहुंचे थे.
1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में कड़िया मुंडा ने लगातार जीत हासिल की. 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने कड़िया मुंडा के विजय रथ को रोक दिया. पुनः कड़िया मुंडा ने 2009 और 2014 में खूंटी संसदीय क्षेत्र में भाजपा का परचम लहराया.