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लोकसभा चुनाव 2024ः खूंटी का चक्रव्यूह फिर भेदेंगे बीजेपी के अर्जुन, या कांग्रेस के कालीचरण की होगी जीत - lok sabha election 2024

Khunti Lok Sabha seat. खूंटी का रण सज चुका है. एक बार फिर दो मुंडाओं के बीच जंग होगी. हालांकि मैदान में कुछ अन्य खिलाड़ी भी हैं. लेकिन असली मुकाबला बीजेपी के अर्जुन और कांग्रेस के कालीचरण के बीच ही होगा. अब देखना है कि पिछली बार की तरह अर्जुन बाजी ले जाएंगे या फिर नतीजा कुछ और होगा

LOK SABHA ELECTION 2024
LOK SABHA ELECTION 2024

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 28, 2024, 2:13 PM IST

खूंटीः जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय सीट मौजूदा लोकसभा चुनाव में झारखंड की सबसे हॉट सीट बन गई है. चुनावी दंगल में एक बार फिर दो मुंडाओं में दिलचस्प चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा. एक ओर जहां भाजपा ने केंद्रीय अर्जुन मुंडा को उतारा है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक कालीचरण मुंडा को फिर से उम्मीदवार बनाया है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा ने कालीचरण मुंडा को महज 1445 वोटों के अंतर से मात दी थी.

राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर लग गई है. पिछले चुनाव में अर्जुन मुंडा को जहां 382638 मत मिले थे, वहीं कालीचरण मुंडा को 381193 वोट मिले थे. पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने यहां से आठ बार चुनाव जीत कर एक कीर्तिमान स्थापित किया है. अब तक इस संसदीय सीट पर हुए 15 चुनावों में कांग्रेस को मात्र दो बार ही सफलता मिली है.

कांग्रेस को सबसे पहली सफलता 1984 में मिली थी, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति के सहारे कांग्रेस प्रत्याशी साइमन तिग्गा यहां से लोकसभा पहुंचे. दूसरी सफलता 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को मिली, जब उन्होंने भाजपा के कड़िया मुंडा को शिकस्त दी थी. उसके बाद कांग्रेस को कभी जीत नसीब नहीं हुई.

खूंटी सीट से कड़िया मुंडा ने 12 बार लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाया और आठ बार उन्हें सफलता मिली. भाजपा के कड़िया मुंडा ने सबसे पहले 1971 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वे झारखंड पार्टी के एनई होरो से मात खा गये थे. 1977 में कड़िया मुंडा ने जनता पार्टी की टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 1980 में वे झारखंड पार्टी के एनई होरो से हार गये. 1984 की इंदिरा लहर में कांग्रेस के साइमन तिग्गा यहां से लोकसभा पहुंचे थे.

1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में कड़िया मुंडा ने लगातार जीत हासिल की. 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने कड़िया मुंडा के विजय रथ को रोक दिया. पुनः कड़िया मुंडा ने 2009 और 2014 में खूंटी संसदीय क्षेत्र में भाजपा का परचम लहराया.

इसके पहले खूंटी को झारखंड पार्टी की परंपरागत सीट माना जाता था, पर एनई होरो के निधन और झारखंड पार्टी का जनाधार कम होने के बाद इस सीट पर भाजपा ने अपना वर्चस्व कायम कर लिया. 2019 में भाजपा ने कड़िया मुंडा के स्थान पर अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा और उन्होंने भी कड़िया मुंडा के राजनीतिक किले को बरकरार रखा. इस सीट से झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह मुंडा ने 1962 और 1967 में जीत हासिल की थी. 1971 के आम चुनाव में इसी पार्टी के एनई होरो संसद पहुंचे थे.

अब तक दो राजनीतिक दलों में हुए सीधा चुनावी मुकाबले को बहुकोणीय बनाने के लिए एक ओर जहां भारत आदिवासी पार्टी ने पत्थलगड़ी को लेकर चर्चित बबीता बेलोशा कच्छप भी मैदान में उतारा है, वहीं झारखंड पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एनोस एक्का भी लोकसभा चुनाव में खूंटी सीट से प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुके हैं. गौरतलब है कि बबीता बेलोशा कच्छप ने सात वर्ष पहले गैर संवैधानिक पत्थलगड़ी आंदोलन में काफी सूर्खियां बटोरी थी. जानकारी के अनुसार भारत आदिवासी पार्टी के राजस्थान में तीन और मध्य प्रदेश में एक विधायक हैं.

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