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कुशवाहा, राजपूत और वैश्य जातियों को मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं, एनडीए और विपक्ष में टकराव - MODI CABINET

NDA GOVERNMENT जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद से बिहार में जाति के इर्द-गिर्द सियासत हो रही है. मोदी कैबिनेट गठन में कुछ जातियों को जगह नहीं मिली. जिसके बाद से इस बात की चर्चा शुरू होने लगी कि जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया. पढ़ें, विस्तार से.

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 10, 2024, 8:12 PM IST

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पटनाः केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए सरकार बनी. मोदी कैबिनेट में बिहार से 8 मंत्रियों को जगह मिली है. भाजपा के कोटे में चार, जदयू के खाते में दो, चिराग पासवान की पार्टी और जीतन राम मांझी की पार्टी को एक-एक पद मिले हैं. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद से बिहार में जिस जाति की जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात सभी दलों के द्वारा की जा रही थी. मोदी मंत्रिमंडल के गठन में इस समीकरण को ध्यान में नहीं रखा गया है. कुछ जातियों को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है जिसके बाद से बिहार में सियासत शुरू हो गई है.

एनडीए पर हमला. (ETV Bharat)

कुशवाहा, राजपूत और वैश्य जाति की उपेक्षाः मंत्रिमंडल में बिहार से भूमिहार जाति से दो नेताओं को जगह मिली है. ये हैं जदयू के ललन सिंह और भाजपा के गिरिराज सिंह. इसके अलावा, रामनाथ ठाकुर और राज भूषण निषाद को अति पिछड़ा समाज से राज्य मंत्री बनाया गया है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को दलित नेता का बड़ा चेहरा होने के चलते मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. जबकि कुशवाहा, राजपूत और वैश्य जाति के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.

एनडीए में राजपूत जाति से पांच सांसद चुने गयेः बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. एनडीए ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की है. इन 29 सांसदों में राजपूत जाति से पांच सांसद जीते हैं. इनमें राधा मोहन सिंह सातवीं बार सांसद बने हैं, राजीव प्रताप रूढ़ी चार बार सांसद चुने जा चुके हैं और जनार्दन सिंह सिग्रीवाल तीसरी बार सांसद चुने गये हैं. माना जा रहा था कि किसी एक को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. इसके बाद भी किसी राजपूत नेता को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. जबकि, हाल में हुए जातीय गणना के अनुसार बिहार में राजपूत जाति की आबादी 3.50 प्रतिशत से अधिक है. यह भाजपा का परंपरागत वोट बैंक भी माना जाता है.

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"राजपूत, कुशवाहा और बनिया जाति को मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है. हमारे नेता तेजस्वी यादव सबका साथ सबका विकास का बात करते हैं. भाजपा गिनी चुनी जातियों की राजनीति करती है और उन्हें ही मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिलेगा."- एजाज अहमद, राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता

कुशवाहा वोट बैंक पर दोनों गठबंधन की नजरः लोकसभा चुनाव में कुशवाहा वोट बैंक पर इंडिया और एनडीए दोनों गठबंधन की नजर थी. दोनों ने अपने-अपने तरीके से इस वोट बैंक को लुभाने का प्रयास किया. महागठबंधन की ओर से दो कुशवाहा सांसद चुने गये. एनडीए के टिकट पर दो कुशवाहा उम्मीदवार- सिवान से विजयलक्ष्मी और बाल्मीकि नगर से सुनील कुमार चुनाव जीते, लेकिन मंत्रिमंडल में कुशवाहा जाति को भी जगह नहीं मिली. वैश्य जाति से संजय जायसवाल और राजेश वर्मा चुनाव जीते हैं. संजय जायसवाल भाजपा के सीनियर लीडर और प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. लगातार चौथी बार सांसद बने हैं, फिर भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.

"भारतीय जनता पार्टी सबका साथ सबका विकास के नारों पर काम करती है. कैबिनेट विस्तार में भी सब की चिंता की गई है. अभी पहले मंत्रिमंडल का गठन हुआ है. आने वाले दिनों में और भी विस्तार होना है. जिन नेताओं या जातियों को जगह नहीं मिली है उनकी चिंता पार्टी करेगी."- राकेश सिंह, भाजपा प्रवक्ता

भाजपा को हो सकता है नुकसानः वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि बिहार की राजनीति जाति के इर्द-गिर्द होती है. केंद्र में जो मंत्रिमंडल का गठन हुआ है उसमें कुछ जातियां उपेक्षित रह गई हैं. खास तौर पर यह वैसी जातियां हैं जो भाजपा का कोर वोटर माना जाता है. राजपूत, बनिया और कुशवाहा जाति को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. जबकि राष्ट्रीय जनता दल की कुशवाहा वोट बैंक पर है. इस चुनाव में लालू प्रसाद यादव ने कुशवाहा जाति पर बड़ा दांव लगाया था, कामयाब भी हुए. अगर डैमेज कंट्रोल नहीं किया गया तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

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