पटनाः केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए सरकार बनी. मोदी कैबिनेट में बिहार से 8 मंत्रियों को जगह मिली है. भाजपा के कोटे में चार, जदयू के खाते में दो, चिराग पासवान की पार्टी और जीतन राम मांझी की पार्टी को एक-एक पद मिले हैं. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद से बिहार में जिस जाति की जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात सभी दलों के द्वारा की जा रही थी. मोदी मंत्रिमंडल के गठन में इस समीकरण को ध्यान में नहीं रखा गया है. कुछ जातियों को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है जिसके बाद से बिहार में सियासत शुरू हो गई है.
कुशवाहा, राजपूत और वैश्य जाति की उपेक्षाः मंत्रिमंडल में बिहार से भूमिहार जाति से दो नेताओं को जगह मिली है. ये हैं जदयू के ललन सिंह और भाजपा के गिरिराज सिंह. इसके अलावा, रामनाथ ठाकुर और राज भूषण निषाद को अति पिछड़ा समाज से राज्य मंत्री बनाया गया है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को दलित नेता का बड़ा चेहरा होने के चलते मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. जबकि कुशवाहा, राजपूत और वैश्य जाति के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.
एनडीए में राजपूत जाति से पांच सांसद चुने गयेः बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. एनडीए ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की है. इन 29 सांसदों में राजपूत जाति से पांच सांसद जीते हैं. इनमें राधा मोहन सिंह सातवीं बार सांसद बने हैं, राजीव प्रताप रूढ़ी चार बार सांसद चुने जा चुके हैं और जनार्दन सिंह सिग्रीवाल तीसरी बार सांसद चुने गये हैं. माना जा रहा था कि किसी एक को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. इसके बाद भी किसी राजपूत नेता को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. जबकि, हाल में हुए जातीय गणना के अनुसार बिहार में राजपूत जाति की आबादी 3.50 प्रतिशत से अधिक है. यह भाजपा का परंपरागत वोट बैंक भी माना जाता है.
"राजपूत, कुशवाहा और बनिया जाति को मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है. हमारे नेता तेजस्वी यादव सबका साथ सबका विकास का बात करते हैं. भाजपा गिनी चुनी जातियों की राजनीति करती है और उन्हें ही मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिलेगा."- एजाज अहमद, राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता