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सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया कमिश्नर, यह है मामला - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने खुली जेल की जमीन पर अस्पताल निर्माण मामले में कमिश्नर नियुक्त किया है.

COURT APPOINTED A COMMISSIONER,  CONSTRUCTION OF A HOSPITAL
सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 25, 2024, 9:29 PM IST

जयपुरःसुप्रीम कोर्ट ने सांगानेर स्थित देश की पहली खुली जेल में राज्य सरकार की ओर से 300 बैड्स के सेटेलाइट हॉस्पिटल बनाए जाने के मुद्दे पर जनकल्याण व खुली जेल की व्यवस्था को संरक्षित रख हॉस्पिटल बनाने की मंशा जताई है. इसके साथ ही अदालत ने खुली जेल परिसर के मौका-मुआयना के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर उससे चरणबद्ध योजना व रिपोर्ट देने के लिए कहा है. अदालत ने कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट आने तक आगामी सुनवाई स्थगित रखी है. जस्टिस बीआर गवई व केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह आदेश प्रसून गोस्वामी की अवमानना याचिका पर दिया.

अदालत ने राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि निर्माण कार्य में खुली जेल की सुविधाएं भी संरक्षित रहे. वहीं, निर्माण से पहले जेल में रहने वाले कैदियों का भी पुनर्वास करना होगा. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि खुली जेल को आवंटित की गई जमीन को कम नहीं किया जा रहा है. खुली जेल का कुल क्षेत्रफल 61,160 वर्ग मीटर है. इसमें से 17,800 वर्ग मीटर जमीन निर्माण है. वहीं, खुली जेल के लिए राज्य सरकार का अलग से 14,940 वर्ग मीटर जमीन आवंटित करना प्रस्तावित है, जबकि 22,000 वर्ग मीटर जमीन पर ही सेटेलाइट हॉस्पिटल का निर्माण किया जाएगा.

पढ़ेंः खुली जेल की भूमि पर अस्पताल का मामला : राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- ओपन जेल की आवास क्षमता नहीं होगी कम - Open Jail Sanganer

वहीं, हॉस्पिटल निर्माण के दौरान कैदियों का पुनर्वास किया जाएगा. मौजूदा समय में खुली जेल में 410 कैदी रह रहे हैं. दरअसल अवमानना याचिका में कहा था कि खंडपीठ ने 17 मई 2024 को आदेश जारी की. इसमें राज्य सरकार को खुली जेल की जमीन को कम नहीं करने और छह दशक से खुली जेल के लिए काम आने वाली इस जमीन को संरक्षित करने के लिए कहा था. जेडीए ने 30 जुलाई 2024 को इस जमीन पर सेटेलाइट हॉस्पिटल का आवंटन मंजूर कर लिया है. राज्य सरकार व जेडीए का ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है.

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