अजमेर:वैकुंठ एकादशी के अवसर पर तीर्थ नगरी पुष्कर में नए श्री श्री रंगजी के मंदिर में 10 दिवसीय बैकुंठ महोत्सव मनाया जा रहा है. मान्यता है कि इस दिन बैकुंठ नाथ अपनी पत्नी श्रीदेवी और भू देवी के साथ बैकुंठ से बाहर आते हैं.प्राचीन परंपरा के तहत मंदिर में एकादशी पर बैकुंठ द्वार ढाई घंटे के लिए खुलता है. इसी तरह 200 वर्ष पुराने रंगजी के मंदिर में भी बैकुंठ महोत्सव मनाया गया.
पुष्कर के रंगजी का मंदिर में बैकुंठ उत्सव (ETV Bharat Ajmer) बैकुंठ एकादशी व पुत्रदा एकादशी पर पुष्कर के ब्रह्म सरोवर में तीर्थ स्थान, पूजन, हवन और दान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित 101 वर्ष प्राचीन श्रीरंगजी के मंदिर में धूमधाम से बैकुंठ महोत्सव मनाया जा रहा है. नए श्रीरंग जी के मंदिर के प्रबंधक सत्यनारायण रामावत ने बताया कि मंदिर के निर्माण को 101 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. दक्षिण शैली से निर्मित नए रंग जी के मंदिर में बैकुंठ द्वार का विशेष धार्मिक महत्व है. यह बैकुंठ द्वार वर्ष में केवल बैकुंठ एकादशी के दिन ही ढाई घंटे श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है, जबकि शेष दिन यह बैकुंठ द्वार बंद रहता है.
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बैकुंठनाथ की पालकी निकालते हैं: उन्होंने बताया कि बैकुंठ एकादशी के दिन बैकुंठ द्वार खुलने पर इसमें से श्री बैकुंठ नाथ के साथ श्रीदेवी और भू-देवी पालकी से बाहर आते हैं और उनके साथ-साथ संत और श्रद्धालु भी पीछे-पीछे बाहर निकल आते हैं. बाहर आने पर उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद भगवान बैकुंठ नाथ की पालकी को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाता है. भगवान बैकुंठ नाथ को वापस मंदिर में बैकुंठ द्वार से ही ले जाया जाता है.
श्रद्धालुओं में रहती है हौड़:मंदिर प्रबंधक बताते हैं कि बैकुंठ द्वार खुलने का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. मंदिर के गर्भ ग्रह से भगवान बैकुंठ नाथ की सवारी बैकुंठ द्वार से जब बाहर लाई जाती है, तब बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी सवारी के साथ बाहर आते हैं. ऐसी मान्यता है कि बैकुंठ द्वारा से प्रभु के साथ बाहर आने पर उनका जीवन सफल हो जाता है और उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है.
10 दिवसीय बैकुंठ महोत्सव:यहां बैकुंठ महोत्सव दस दिन तक चलता है. इस दौरान श्रद्धालुओं का बड़ी संख्या में आना जाना रहता है. बैकुंठ एकादशी से अगले 9 दिन तक शाम 5 बजे भगवान बैकुंठनाथ की सवारी निकाली जाती है. मंदिर के मुख्य द्वार से भगवान बैकुंठनाथ को पालकी से बाहर लाया जाता है. इस दौरान मंदिर परिसर में भगवान बैकुंठनाथ की सवारी के ढाई फेरे होते हैं. बैकुंठ महोत्सव के अंतिम दिन यानी दसवें दिन धूमधाम से समारोह होता है.
रामानुज संप्रदाय का है श्रीरंगजी मंदिर:तीर्थ नगरी पुष्कर में श्रीरंग जी का मंदिर दक्षिण भारतीय शैली के रामानुज संप्रदाय से जुड़ा 200 वर्ष पुराना उत्तर भारत का पहला मंदिर है. मंदिर में व्यवस्थापक सत्यनारायण मिश्रा ने बताया कि मंदिर में वैकुंठ एकादशी पर महोत्सव मनाया जा रहा है. मंदिर में पुजारी आचार्य सृष्टि मिश्रा बताते हैं कि 60 वर्षों के बाद श्री रंगनाथ वेणुगोपाल मंदिर में बैकुंठ महोत्सव प्रारंभ हुआ है. इस दौरान भगवान श्री रघुनाथ वेणुगोपाल की सवारी निकाली गई.