बक्सर: बिहार की राजधानी पटना से लेकर बक्सर समेत अन्य जिलों में पड़ रही प्रचंड गर्मी ने इंसान समेत पशु पक्षियों का जीना मुश्किल कर दिया है. बक्सर के तापमान ने अब तक के सारे रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया है. सूर्योदय होने के साथ ही शरीर को झुलसा देने वाली धूप और पछुआ हवा की थपेड़ों ने इंसान से लेकर पशु पक्षियों तक को बेहाल कर दिया है.
8 बजते ही सड़कें वीरान हो जा रही: इस भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए हर कोई परेशान दिखाई दे रहा है. सुबह 8 बजते ही सड़कें वीरान हो जा रही है. वहीं, शहरों में सन्नाटा पसरा हुआ है. आसमान से बरस रही आग ने लोगों को घरों के अंदर कैद रहने के लिए मजबूर कर दिया है. राहत पाने के लिए सत्तू और ईंख समेत अन्य पेय पदार्थों की दुकानों पर लोगों की भीड़ को देखकर दुकानदारों ने भी कीमत दोगुनी कर दी है.
सत्तू से लेकर गन्ना तक का दाम दोगुना:बक्सर रेलवे स्टेशन के पोर्टिको के बाहर ठेले पर सत्तू पीने के लिए रेलवे के कर्मचारियों से लेकर, यात्रियों एवं स्थानीय लोगों की भीड़ को देख दुकानदार ने सत्तू की कीमत 10 रुपये ग्लास से बढ़ाकर, 20 रुपये कर दी है. सत्तू पी रही महिला यात्री शीला देवी ने बताया कि, सुबह जब पटना जा रही थी तो इसी दुकानदार ने 10 रुपये में एक ग्लास सत्तू पिलाई थी. 2 बजे दोपहर में जब यंहा वापस आई तो इसी दुकानदार ने कीमत 20 रुपये कर दी. इसी तरह की स्थिति शहर के अन्य चौक चौराहों पर भी है.
कूलर-ऐसी की बिक्री में इजाफा: नगर थाना क्षेत्र के महावीर स्थान रोड में स्थित एसी एवं कूलर की दुकान चलाकर जीवन यापन करने वाला चंदन ने बताया कि इसबार की गर्मी ने लोगों को बेहाल कर दिया है. बाजार में कूलर की भारी कमी हो गई है. पिछले साल की जो समाग्री बची हुई थी वह भी इस बार खत्म हो गई. इस तरह की गर्मी पड़ेगी इसका अंदाजा किसी को नहीं था. 5 हजार के कूलर को 8 हजार तक देने के लिए लोग तैयार है. लेकिन माल ही नहीं मिल रहा है. सामने बरसात का महीना है. कहि पूंजी न फंस जाए इस बात का भी डर सता रहा है.
सूख गए हैं आहर-पोखर और तालाब: सूर्य की प्रचंड किरणे इस बार अधिकांश नहर, आहर पोखर, और तालाब को सुखा दिया है. जिसके कारण पशु पक्षियों को भी काफी परेशानी हो रही है. पानी की तलाश में ग्रामीण इलाकों की तरफ भटक रहे हिरण से लेकर नील गाय एवं अन्य जानवरों को आवारा कुत्ते अपना शिकार बनाते दिखाई दे रहे है. कई ग्रामीण इलाके के किसानों ने अपने नलकूप से सड़क के किनारे एवं खेतों की गड्ढा में पानी भरते दिखे, जिससे आवारा पशु अपना प्यास बुझा सकें. वहीं, गंगा एवं अन्य नदियों में छोटे- छोटे बच्चे भी गर्मी से राहत पाने के लिए जल के अंदर मस्ती करते दिखे.
शवों की संख्या में इजाफा:चरित्रवन स्थित श्मशान घाट पर काम कर रहे कर्मियों ने बताया कि सामान्य दिनों में 20-25 शव ही अंतिम संस्कार के लिए आता है. लेकिन 30 और 31 मई को इसकी संख्या 85 पहुंच गई थी, अभी भी श्मशान में शवों की संख्या में काफी इजाफा दिखाई दे रहा हैं. 90 साल पुराने बुजुर्ग गंगा सागर मिश्रा की मानें तो 1966 के सुखाड़ में भी इस तरह की हालात नहीं था. गर्मी ने बक्सर में अब तक का सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.
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