खूंटी :झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए 2009 के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को हराकर प्रसिद्धि पाने वाले राजा पीटर 2014 के आम चुनाव में भाजपा समर्थित आजसू उम्मीदवार विकास कुमार मुंडा से हार गए थे और उसके बाद कभी नहीं जीते, लेकिन इस चुनाव में वे जीत का दावा कर रहे हैं. तमाड़ सीट से 18 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन सीट पर जेएमएम और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दिशोम गुरु शिबू सोरेन की हार के कारणों का खुलासा किया है और उस समय की अपनी जीत का मंत्र भी बताया है.
वहीं राजा पीटर ने वर्तमान विधायक विकास मुंडा पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि वर्तमान जेएमएम विधायक द्वारा सड़कों का मकड़जाल खड़ा करने के बावजूद लोग जर्जर सड़कों पर चल रहे हैं, नहर और नहर किनारे के गांवों की बेटियों की शादी जर्जर सड़कों के कारण नहीं हो रही है. बढ़ता पलायन एक बड़ी समस्या रही है.
शिबू सोरेन को कैसे हराया?
तमाड़ विधानसभा सीट से जेडीयू प्रत्याशी राजा पीटर ने ईटीवी भारत के सभी सवालों का बेबाकी से जवाब देते हुए कहा कि सीएम रहते हुए दिशोम गुरु शिबू सोरेन की हार का कारण वे खुद थे. उन्होंने यहां से चुनाव लड़कर गलती की, जिसका नतीजा यह हुआ कि वे चुनाव हार गए और दूसरी सबसे बड़ी वजह यह रही कि उन्होंने कुछ गिरफ्तार नक्सलियों को थाने से रिहा करवा दिया. इसके अलावा जातिगत समीकरण मुद्दा बन गया. उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन आंदोलनकारी रहे हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन इस क्षेत्र में उनका कोई प्रभाव नहीं था, मैं यहां का समाजसेवी था और उसका लाभ मुझे मिला.
उन्होंने कहा कि चुनाव के समय रिक्शा चालक सुखू योगी और बस चालक बहादुर गोप ने मुझे चुनाव में उतारा था. बच्चों को दूध पिलाने से लेकर शादी-ब्याह और श्राद्ध तक करवाए और युवाओं को मंच दिया, इतना ही नहीं मैंने क्षेत्र में सड़कें बनवाईं, मंदिर बनवाए, मांग के अनुसार सहयोग किया और जनता को विश्वास था कि वे आगे भी काम करेंगे. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने जनता की मांग के अनुसार बिजली ग्रिड और नहर का निर्माण करवाया. मैंने घरों में पानी पहुंचाया, अस्पताल बनवाया, यही कारण है कि जनता मेरे पक्ष में है.
2014 में विकास मुंडा से मिली शिकस्त
दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सीएम रहते हुए उन्हें हराने वाले राजा पीटर को 2014 के आम चुनाव में विकास मुंडा ने भारी अंतर से हराया था. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चुनाव से सात दिन पहले उन्होंने भाजपा से सदस्यता ली थी, लेकिन भाजपा और आजसू के बीच सीट बंटवारे में तमाड़ आजसू के खाते में चली गई और विकास कुमार मुंडा को आजसू से टिकट मिला, उस समय मैं भाजपा का झंडा भी नहीं खोल सका और मैं अकेला निर्दलीय उम्मीदवार था, जिसके कारण मैं चुनाव हार गया.
उन्होंने कहा कि सिर्फ एक दशक से नहीं बल्कि मैं और मेरी पत्नी कार्यकर्ताओं के साथ हर चुनाव में जनता के बीच रहे हैं और 2019 का चुनाव भी लड़ा है. मैं आज जदयू से 2024 का चुनाव लड़ रहा हूं. वर्तमान सरकार पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने जो नल जल योजना शुरू की है, उसमें आज एक बूंद पानी नहीं गिरता है. जिसके कारण आज यहां के लोग नाले का पानी पीते हैं और बीमारियों से मरते हैं. सरकार या उसके नुमाइंदे उन्हें बचाने के लिए क्षेत्र में नहीं आते हैं. लेकिन मैं ही हूं जो गंदा पानी पीकर बीमार पड़ने वालों का इलाज करता हूं. जब लोधमा, छोटकलमा, बड़कलमा, दिंदली गांव के ग्रामीण बीमारी से मर रहे थे, तब मैंने उनकी मदद की और करता आ रहा हूं, जिसके कारण आज लोग उन्हें मानते हैं. मैं आपके सुख में खड़ा होऊं या न होऊं लेकिन आपके दुख में हमेशा खड़ा रहा हूं, जिसका परिणाम है कि लोग उन्हें पसंद करते हैं.