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देवघर के ज्यादातर निजी अस्पतालों में हो सकती है प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की सुविधा समाप्त, जानें क्या है वजह - PM JAN AROGYA YOJANA

देवघर के ज्यादातर निजी अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की सुविधा समाप्त हो सकती है. खबर में जानिए क्या है पूरा मामला.

PM Jan Arogya Yojana
देवघर का सदर अस्पताल और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की प्रतीकात्मक तस्वीर. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 9, 2025, 9:02 PM IST

देवघर: अब जिले के ऐसे निजी अस्पताल जहां 50 बेड की क्षमता नहीं है वहां प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की सुविधा समाप्त कर दी जाएगी. इसे लेकर देवघर के सिविल सर्जन डॉ. युगल प्रसाद चौधरी ने जिले के सभी निजी अस्पताल संचालकों को बेड क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया है. सिविल सर्जन ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी पत्र के अनुसार जिले के निजी अस्पताल संचालकों को यह निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि निजी अस्पताल संचालकों को यह स्पष्ट किया गया है कि वे अपने-अपने अस्पतालों में बेड की संख्या को बढ़ाएं, ताकि अस्पतालों में चल रहे जन आरोग्य योजना की सुविधा बरकरार रह सके. सिविल सर्जन ने बताया कि देवघर जिले में कुछ निजी अस्पताल ही ऐसे हैं जिसकी क्षमता 50 बेड तक की ही है.

जानकारी देते देवघर के सिविल सर्जन डॉ. युगल प्रसाद चौधरी. (वीडियो-ईटीवी भारत)

वर्तमान में 50 बेड के सिर्फ दो अस्पताल ही देवघर में हैं

सिविल सर्जन ने बताया कि वर्तमान में देवघर जिले के दो अस्पतालों में ही सिर्फ 50 बेड से ज्यादा उपलब्ध हैं. ऐसे में यदि अब निजी अस्पतालों में बेड की क्षमता नहीं बढ़ाई गई तो देवघर जिले के ज्यादातर निजी अस्पतालों में पीएमजेवाई की सुविधा समाप्त हो जाएगी और वहां पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ मिलना मरीजों को बंद हो जाएगा.

एनएबीएच सर्टिफिकेट प्राप्त अस्पतालों को छूट

देवघर के सिविल सर्जन डॉ. युगल प्रसाद चौधरी ने बताया कि अस्पतालों की संख्या कम न हो इसको लेकर एक वैकल्पिक व्यवस्था भी की गई है. जिसमें यह आधार माना गया है कि यदि एनएबीएच (नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल हेल्थ प्रोवाइडर) सर्टिफिकेट किसी निजी अस्पताल को मिलता है तो उस अस्पताल के लिए 50 बेड के सुविधा की आवश्यकता नहीं होगी.

सिविल सर्जन ने बताया कि सिर्फ 50 बेड की क्षमता बढ़ाने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि अस्पतालों के जगह में भी बढ़ोतरी करनी होगी, प्रशिक्षण प्राप्त पारा मेडिकल स्टाफ और चिकित्सक भी रखने होंगे. इसीलिए यदि एनएबीएच सर्टिफिकेट छोटे अस्पतालों के द्वारा मुहैया करा दी जाती है तो वैसे अस्पतालों को सिर्फ 20 बेड तक में ही आयुष्मान भारत की सुविधा के लिए मंजूरी दे दी जाएगी.

निजी अस्पताल संचालकों को 6 माह का दिया गया समय

इस लेकर निजी अस्पतालों के संचालकों को अगले 6 महीने तक का समय दे दिया गया है. यदि अगले 6 महीने में अस्पताल संचालक 50 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में परिवर्तित कर देते है तो उन अस्पतालों में पीएमजेवाई की सुविधा बरकरार रहेगी, नहीं तो यह सुविधा उन्हें नहीं मिलेगी.

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देवघर: अब जिले के ऐसे निजी अस्पताल जहां 50 बेड की क्षमता नहीं है वहां प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की सुविधा समाप्त कर दी जाएगी. इसे लेकर देवघर के सिविल सर्जन डॉ. युगल प्रसाद चौधरी ने जिले के सभी निजी अस्पताल संचालकों को बेड क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया है. सिविल सर्जन ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी पत्र के अनुसार जिले के निजी अस्पताल संचालकों को यह निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि निजी अस्पताल संचालकों को यह स्पष्ट किया गया है कि वे अपने-अपने अस्पतालों में बेड की संख्या को बढ़ाएं, ताकि अस्पतालों में चल रहे जन आरोग्य योजना की सुविधा बरकरार रह सके. सिविल सर्जन ने बताया कि देवघर जिले में कुछ निजी अस्पताल ही ऐसे हैं जिसकी क्षमता 50 बेड तक की ही है.

जानकारी देते देवघर के सिविल सर्जन डॉ. युगल प्रसाद चौधरी. (वीडियो-ईटीवी भारत)

वर्तमान में 50 बेड के सिर्फ दो अस्पताल ही देवघर में हैं

सिविल सर्जन ने बताया कि वर्तमान में देवघर जिले के दो अस्पतालों में ही सिर्फ 50 बेड से ज्यादा उपलब्ध हैं. ऐसे में यदि अब निजी अस्पतालों में बेड की क्षमता नहीं बढ़ाई गई तो देवघर जिले के ज्यादातर निजी अस्पतालों में पीएमजेवाई की सुविधा समाप्त हो जाएगी और वहां पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ मिलना मरीजों को बंद हो जाएगा.

एनएबीएच सर्टिफिकेट प्राप्त अस्पतालों को छूट

देवघर के सिविल सर्जन डॉ. युगल प्रसाद चौधरी ने बताया कि अस्पतालों की संख्या कम न हो इसको लेकर एक वैकल्पिक व्यवस्था भी की गई है. जिसमें यह आधार माना गया है कि यदि एनएबीएच (नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल हेल्थ प्रोवाइडर) सर्टिफिकेट किसी निजी अस्पताल को मिलता है तो उस अस्पताल के लिए 50 बेड के सुविधा की आवश्यकता नहीं होगी.

सिविल सर्जन ने बताया कि सिर्फ 50 बेड की क्षमता बढ़ाने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि अस्पतालों के जगह में भी बढ़ोतरी करनी होगी, प्रशिक्षण प्राप्त पारा मेडिकल स्टाफ और चिकित्सक भी रखने होंगे. इसीलिए यदि एनएबीएच सर्टिफिकेट छोटे अस्पतालों के द्वारा मुहैया करा दी जाती है तो वैसे अस्पतालों को सिर्फ 20 बेड तक में ही आयुष्मान भारत की सुविधा के लिए मंजूरी दे दी जाएगी.

निजी अस्पताल संचालकों को 6 माह का दिया गया समय

इस लेकर निजी अस्पतालों के संचालकों को अगले 6 महीने तक का समय दे दिया गया है. यदि अगले 6 महीने में अस्पताल संचालक 50 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में परिवर्तित कर देते है तो उन अस्पतालों में पीएमजेवाई की सुविधा बरकरार रहेगी, नहीं तो यह सुविधा उन्हें नहीं मिलेगी.

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