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सुब्रत पाठक ने करारी हार का ठीकरा मुसलमानों पर फोड़ा,कहा- गजवा ए हिंद और शरिया कानून के लिए भाजपा को नहीं दिया वोट - Subrata Pathak

सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिली करारी हार के बाद पूर्व सांसद सुब्रत पाठक मुस्लिम समाज को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी हार और भाजपा को कम सीटें मिलने के कारण मुसलमानों को बताया है.

पूर्व सांसद सुब्रत पाठक.
पूर्व सांसद सुब्रत पाठक. (Photo Credit; Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 13, 2024, 3:29 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से पराजित होने वाले भाजपा नेता और पूर्व सांसद सुब्रत पाठक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बड़ा बयान दिया है. सुब्रत पाठक ने लिखा है कि भाजपा ने मुसलमान के लिए बहुत कुछ किया लेकिन वह बीजेपी को वोट नहीं देते हैं. मुसलमान भारत में शरिया लाना चाहते हैं और गजवा ए हिंद की उनकी इच्छा है. इसलिए वे भाजपा को वोट देने के लिए तैयार नहीं है.

गौरतलब है कि सुब्रत पाठक ने 2019 के लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव को कन्नौज से हराया था. लोकसभा चुनाव 2024 में उनके सामने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव थे. इस चुनाव में सुब्रत पाठक की एकतरफा हर हुई है. सुब्रत पाठक को कुल 4 लाख 71 हजार 730 से वोट मिले हैं. अखिलेश यादव से 170,922 वोटों से हारे हैं. इस हार का ठीकरा पूर्व नेता ने मुसलमान समाज पर फोड़ा है.

जाति के नाम पर ही अधिकतर लोग देते हैं वोट
सुब्रत पाठक ने X पोस्ट पर लिखा है कि 'उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रायः देखा है कि अधिकतम लोग अपनी अपनी जाति को वोट करते हैं. चाहे उनकी जाति का प्रत्याशी किसी भी दल से लड़ रहा हो. इसी प्रकार से भाजपा के विचार से जुड़ा हुआ कोई भी मतदाता कमल के निशान पर राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के लिए ही वोट करता है, फिर चाहे सामने वाला प्रत्याशी भले ही अपनी जाति का ही क्यों न हो. सोचा है कभी कि यादव जाति के अधिकतम लोगों ने उत्तर प्रदेश में किसी आम यादव को टिकट न मिलने के बाद भी समाजवादी पार्टी को ही वोट क्यों किया ? इसलिए क्योंकि वो जानते हैं सरकार में आने के बाद पूर्व में रहीं सपा सरकारों के कारण से सरकारी नौकरी, ठेका जमीन आदि में इनके कब्जे होते थे. एक बार फिर इन्हें संरक्षण मिल जाएगा'.

पहले भाई फिर भाजपा हराई
सुब्रत आगे लिखा है, 'रही बात मुसलमानों की तो उनके लिए कहा जाता था कि 'पहले भाई फिर भाजपा हराई' के नाम पर वोट करते हैं. लेकिन इस बार अन्य दल से मुस्लिम प्रत्याशी होने के बाद भी अपने लोगों को वोट न देकर भाजपा हराने के नाम पर अन्य समाज के लोगों को वोट देने का आख़िर कारण क्या है ? जबकि मोदी जी ने इनके साथ कोई भेद भाव नहीं किया और सभी सरकारी योजना का लाभ भी इन्हें दिया. कट्टरपंथियों का पूरी दुनिया पर शरिया कानून लागू करने के मिशन के तहत हिंदुस्तान को पाकिस्तान की तर्ज पर गजवा ए हिंद बनाने के उनके लक्ष्य है. जिसमें भाजपा ही बाधा है और भाजपा के रहते हिंदुस्तान को इस्लामिक राष्ट्र नहीं बनाया जा सकता है. यही कारण है कि न मुस्लिम भाजपा को वोट देते हैं और इसलिए भाजपा इनको टिकट ही नहीं देती है, लेकिन इसके बाद भी कुछ लोग राग अलाप रहे हैं कि मोदी जी ने किसी मुस्लिम को अपनी सरकार में मंत्री क्यों नहीं बनाया? अब बताओ इन्हें कौन समझाए कि जब टिकट ही नहीं मिली तो मंत्री कैसे बनते ?

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