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जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी झेल रही थी, तब भारत ने अंगद की तरह पैर जमाया, मनमोहन सिंह ने देश को किया मजबूत: सुबोधकांत सहाय - SUBODHKANT SAHAY ON MANMOHAN SINGH

सुबोधकांत सहाय ने पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने इस भारत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है.

SUBODHKANT SAHAY ON MANMOHAN SINGH
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 27, 2024, 4:41 PM IST

रांची: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने गहरा शोक व्यक्त किया है. मनमोहन सिंह की कैबिनेट सहयोगी रहे सुबोधकांत सहाय ने डॉ मनमोहन सिंह की मौत को देश दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति बताया. उन्होंने कहा कि देश ने एक महान अर्थशास्त्री और ईमानदार नेता खो दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि उनका हम लोगों के बीच में रहना बेहद जरूरी था, क्योंकि उनका हम लोगों के बीच रहना ही देशवासियों में आशा की किरण को संचारित करता था.

सुबोधकांत सहाय, पूर्व केंद्रीय मंत्री (ईटीवी भारत)

सुबोधकांत सहाय ने कहा कि जब भी डॉक्टर मनमोहन सिंह का कंपैरेटिव स्टेटमेंट होता था, तब लगता था कि वह जो भी बोल रहे हैं उसमें सच्चाई है. सुबोधकांत सहाय ने कहा कि अर्थशास्त्र को लेकर उनकी गहरी समझ का ही नतीजा था कि पहले वित्त मंत्री के रूप में और बाद में प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश को आर्थिक मंदी से बचाया. जब दुनियां आर्थिक मंदी से घिरी थी तब भारत 8% GDP के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ा.

सुबोधकांत सहाय ने कहा कि उन्हें याद है कि कैबिनेट की ब्रीफिंग अक्सर प्रणब मुखर्जी किया करते थे, लेकिन जब कभी मामला फंसता था तो डॉ मनमोहन सिंह की कही बात पूरी साफ कर देती थीं. सुबोधकांत सहाय ने कहा कि जब डॉ मनमोहन सिंह अर्थशास्त्र पर बोलते थे तो पूरी दुनिया सुनती थी. वह दुनिया के सम्मानित नेताओं में से एक थे. 2008 में जब पूरी दुनिया बैंक करप्ट हो रही थी, अमेरिका के सैकड़ों बैंक दिवालिया हो गए थे तब डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 8% जीडीपी के साथ देश आगे बढ़ा मानों अंगद की पैर की तरह उन्होंने अपनी आर्थिक नीतियों को स्थिर रखा था. उसी का नतीजा है कि देश आज दुनिया के सामने भारत एक प्रगतिशील विकसित और फ्यूचरिस्टिक देश के रूप में पहचान बन सका है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज की राजनीति में ईमानदारी अटपटा सा हो गया है, हम लोगों ने लाल बहादुर शास्त्री के बारे में सुना था कि वह अपनी जैसी चदरिया लेकर आए थे वैसे चदरिया छोड़कर गए. लेकिन डॉक्टर मनमोहन सिंह का नाम राजनीतिक ईमानदार और आर्थिक ईमानदार के रूप में इतिहास के पन्ने में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा.

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