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स्कूलों में किताबी ज्ञान नहीं, प्रैक्टिकल नॉलेज के जरिए छात्रों को सिखाया जा रहा पर्यावरण संरक्षण - AWARENESS ABOUT CLIMATE CHANGE

अब स्कूल के छात्रों को प्रैक्टिकल नॉलेज, को-करिकुलर एक्टिविटीज के जरिए पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है.

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 19, 2025, 1:12 PM IST

जयपुर : पर्यावरण संकट और क्लाइमेट चेंज जैसे गंभीर मुद्दों पर अब स्कूल के छात्रों को भी जागरूक किया जा रहा है. छात्रों को किताबों के जरिए नहीं बल्कि प्रैक्टिकल नॉलेज देकर पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाया जा रहा है. सरकारी-निजी सभी स्कूलों में होने वाली को-करिकुलर एक्टिविटीज और एनुअल फंक्शन को प्लास्टिक फ्री और पेपरलेस किया जा रहा है. इससे छात्रों में जागरूकता बढ़ रही है. साथ ही बच्चे स्कूलों के साथ-साथ घर में भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर उपाय ढूंढ रहे हैं.

अभिभावकों को भी मैसेज देने की कोशिश : विद्यालयों को समाज की नींव कहा जा सकता है, क्योंकि यहीं से बच्चे सीखकर, समझकर आगे बढ़ते हैं और समाज का हिस्सा बनते हैं. जब बच्चे बचपन से ही पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ लेंगे तो सामाजिक स्तर पर खुद-ब-खुद सुधार होने लगेगा. यही वजह है कि अब स्कूली छात्रों को पर्यावरण संरक्षण और क्लाइमेट चेंज के प्रति जागरूक किया जा रहा है. स्कूलों में होने वाली एक्टिविटीज और एनुअल फंक्शन में भी इसकी झलक देखने को मिलती है. कार्यक्रमों को प्लास्टिक फ्री और पेपरलेस करते हुए अभिभावकों के बीच भी मैसेज देने की कोशिश की जाती है.

छात्रों को सिखाया जा रहा पर्यावरण संरक्षण (ETV Bharat Jaipur)

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स्कूल में आयोजन के जरिए देते हैं संदेश : जयपुर के वंडर्स ग्रुप की डायरेक्टर और शिक्षाविद् डॉ मीनाक्षी मिश्रा ने बताया कि बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूल के एनुअल फंक्शन में थीम बेस ड्रामा रखते हैं, जिसमें बच्चे एक्ट के जरिए पर्यावरण को संरक्षित करने का मैसेज देते हैं. कार्यक्रमों में बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों, शिक्षकों को भी सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने की शपथ दिलवाते हैं. समय-समय स्पीच कंपटीशन, स्लोगन मेकिंग, ड्राइंग कंपटीशन कराए जाते हैं. इनमें प्लास्टिक का यूज किस तरह कम किया जाए, प्लास्टिक एक असुर की तरह बढ़ रहा है, इसे शोकेस किया जाता है. स्कूल को भी प्लास्टिक फ्री कर रखा है.

इस तरह किया जा रहा जागरूक (ETV Bharat GFX)

डिजिटल होने से पेपर भी होगा सेव :अभिभावकों को मैसेज दिया जाता है कि पैक्ड फूड न भेजें, टिफिन के साथ भी सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें. जरूरी है तो रीसाइकिल प्लास्टिक को यूज करें. इस तरह जीरो प्लास्टिक की मुहिम की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पेपर भी प्लांट से बनता है और इसलिए उसे भी बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने से प्लांट्स की कटिंग बढ़ेगी. इस कारण डिजिटल युग में सभी सर्कुलर और इनफॉरमेशन डिजिटल कर दिया गया है. ये इकोनॉमिक भी है, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से रिलेटेड भी है और पेपर भी सेव होता है.

कार्यक्रमों को भी किया गया प्लास्टिक फ्री और पेपर लेस (ETV Bharat Jaipur)

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इस तरह किया जा रहा जागरूक: वहीं, सोशल एक्टिविस्ट मनीषा सिंह ने बताया कि पर्यावरण संकट और जलवायु परिवर्तन बड़े मुद्दे हैं. इसके बारे में बच्चों को शुरू से ही सीखना चाहिए. कई स्कूलों में नई पीढ़ी को शैक्षिक गतिविधियों में प्रोजेक्ट्स और फील्ड विजिट के जरिए छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है. कई सरकारी स्कूलों में वो खुद प्लास्टिक मुक्त करने के लिए अवेयर कर रही हैं. उन्होंने कहा कि सब कुछ किताबों में नहीं पढ़ाया जा सकता है, इसलिए उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज दी जा रही है. जिस तरह राज्य सरकार हेल्थ क्लब बनाने का काम कर रही है, उसी तरह स्कूलों में इको क्लब बनाने की ओर बढ़ना होगा. इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि ऑनलाइन एग्जाम के जरिए भी पेपर बचाए जा सकते हैं. इन छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े संकट से बचा जा सकेगा.

एनुअल फंक्शंस के जरिए भी दिया जा रहा पर्यावरण संरक्षण का संदेश (ETV Bharat Jaipur)

स्कूल ही नहीं पूरा राजस्थान प्लास्टिक फ्री हो :वहीं, स्कूलों में पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा को लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन लगा दिया है. कोशिश कर रहे हैं कि जागरूकता फैलाकर इसमें सुधार किया जाए, ताकि लोग पॉलीथिन और डिस्पोजल प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें. इसे लेकर छात्रों और अभिभावकों से भी चर्चा करते हैं. प्रयास यही है कि स्कूल ही नहीं पूरा राजस्थान ही सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री हो. बहरहाल, स्कूलों में ग्रीन थीम, प्लास्टिक मुक्त और पेपरलेस कार्यक्रमों का आयोजन इस मुहिम को प्रभावी बना रहा है और समाज में भी इसका एक सकारात्मक संदेश जा रहा है.

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