पटना : एक बार फिर से बिहार की सियासत में बदलाव हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार भाजपा के साथ जाकर फिर से सरकार बना रहे हैं, तो उपमुख्यमंत्री के नाम से जो अलॉट बंगला होता है, निश्चित तौर पर एक बार फिर से वह बंगला मनहूस साबित हुआ है. हम बताने की कोशिश करेंगे कि मुख्यमंत्री आवास के बगल में ही उपमुख्यमंत्री आवास की व्यवस्था वर्ष 2015 में की गई थी. जब नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर सरकार बनाए थे और उस समय भी तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने थे.
फिलहाल तेजस्वी यादव को आवंटित है बंगला : तेजस्वी यादव को पांच देश रत्न मार्ग बंगला अलॉट किया गया था और उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल से अलग हुए थे. एक बार फिर से उस बंगले में नए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने रहना शुरू कर दिया था. सुशील कुमार मोदी भी अपने कार्यकाल को पूरा नहीं कर सके और उन्हें वह बंगला छोड़ना पड़ा था. उसके बाद चुनाव हुए और चुनाव के बाद फिर से भाजपा के उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद पांच देश रत्न बंगले में रहने लगे थे.
कोई उपमुख्यमंत्री पूरा नहीं कर पाए कार्यकाल : तार किशोर प्रसाद भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और वह बंगला जो उपमुख्यमंत्री के नाम से अलॉट होता है. 5 देश रत्न मार्ग का बंगला उन्हें छोड़ना पड़ा था. पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से पलटी मारी थी और राष्ट्रीय जनता दल के साथ बिहार में सरकार बनाया था. उपमुख्यमंत्री के नाम से जो बंगला अलॉट होता है, उसमें तेजस्वी यादव रहने लगे थे और निश्चित तौर पर इस बार तेजस्वी यादव भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं.
मनहूस माना जाता है यह आवास : कुल मिलाकर देखें तो 5 देश रत्न मार्ग का यह बंगला लगातार नेताओं के लिए मनहूस साबित हुआ है. इस बंगले में रहने वाले नेताओं को अपना कार्यकाल पूरा होते कभी भी नहीं देखा है. अब यह चर्चा का विषय बन गया है कि उपमुख्यमंत्री के नाम से अलॉट होने वाला बंगला जो है वह मनहूस है. यही कारण है कि जो उपमुख्यमंत्री बनकर इस बंगला में रहने आते हैं. वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते हैं.