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इस नेता के पास नहीं थी जमानत राशि, व्यापारियों से उधार लेकर लड़ा था चुनाव, 1.56 लाख वोटों से हुई थी जीत - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

आज हम आपको एक ऐसे नेता के बारे में बताएंगे, जिनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं थे. उन्होंने उधार रुपए लेकर जमानत राशि जमा करवाई थी. जानिए पूरी खबर.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 4, 2024, 6:27 PM IST

पंडित रामकिशन व्यापारियों से उधार लेकर लड़े थे चुनाव

भरतपुर.प्रदेश मेंलोकसभा चुनाव का प्रचार परवान पर है. सभी दल और प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत चुनाव के रण में झोंक दी है. बड़े नेताओं के दौरे शुरू हो चुके हैं. कोई भी प्रत्याशी चुनाव जीतने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता. चुनाव प्रचार में पैसा पानी की तरह बहाया जाएगा, हालांकि चुनाव आयोग ने सभी प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा निर्धारित की है. इसी बीच हम आपको आज एक ऐसे नेता के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे तक नहीं थे.

भरतपुर लोकसभा का एक चुनाव ऐसा भी हुआ जब एक नेता के पास नामांकन के दौरान जमानत राशि के लिए रुपए तक नहीं थे. इस नेता ने व्यापारियों से उधार रुपए लेकर जमानत राशि जमा कराई थी. उन्होंने उधार के पैसों से ही चुनाव लड़ा और करीब 1.56 लाख मतों से भारी जीत दर्ज की. आज जहां चुनावों में करोंड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. उस समय पूरे चुनाव में महज 53 हजार रुपए का खर्चा हुआ था. आइए वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव की कहानी पूर्व सांसद पंडित रामकिशन की ही जुबानी सुनाते हैं.

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उधार लेकर भरी थी जमानत राशि : भरतपुर के पूर्व सांसद पंडित रामकिशन ने बताया कि वर्ष 1977 का लोकसभा चुनाव था. भारतीय लोक दल ने विश्वास जताते हुए उन्हें टिकट दिया. उस समय भरतपुर लोकसभा में 10 विधानसभा क्षेत्र शामिल थे, जिनमें अलवर का रामगढ़, लक्ष्मणगढ़ और कठूमर भी शामिल था. पंडित रामकृष्ण ने बताया कि उन्हें टिकट तो मिल गया था, लेकिन उनके पास जमानत राशि के लिए पैसे नहीं थे. उन्होंने बताया कि वो चुनाव प्रचार के लिए सबसे पहले अलवर जिले के खेड़ली कस्बे पहुंचे और एक दुकानदार से 10 हजार रुपए उधार लिए. उसके बाद उन्होंने जमानत राशि जमा करवाई और अपना नामांकन दाखिल किया.

उधार लेकर इकट्ठे किए थे 53 हजार रुपए : पूर्व सांसद पंडित रामकिशन ने बताया कि "उस समय मैं पूरा चुनाव उधार रुपए इकट्ठा करके लड़ा. मैदान में मेरे अलावा कांग्रेस से बाबू राज बहादुर और एक निर्दलीय प्रत्याशी महेंद्र सिंह भी थे. मेरे पास चुनाव प्रचार के लिए ना तो पैसा था और ना ही गाड़ियां थी. मैंने उधार लेकर 53 हजार रुपए इकट्ठा किए. मेरे समर्थकों को मैं अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र के लिए एक-एक हजार रुपए देता था और वो उससे गाड़ियों में तेल डलवाकर प्रचार करते थे."

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70% से अधिक मत हासिल कर जीते :पंडित रामकिशन ने बताया कि "उस समय बाबू राज बहादुर राजनीति में चमकते हुए सितारे थे, लेकिन जनता ने मुझे भरपूर समर्थन और प्यार दिया. उस चुनाव में पंडित रामकिशन को कुल 2,56,887 मत (70.6%), बाबू राजबहादुर को 1,00,398 मत (27.59%) और निर्दलीय महेंद्र सिंह को 6,598 (1.81%) मत प्राप्त हुए थे. पंडित रामकिशन 1,56,489 भारी मतों से जीत हासिल की थी.

आज पैसों का प्रदर्शन :पूर्व सांसद पंडित रामकिशन ने कहा कि आजकल लोकसभा का चुनाव में पैसों का प्रदर्शन हो गया है. एक लोकसभा चुनाव में करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं. अब तो सिर्फ नाम का लोकतंत्र रह गया है, लोकतंत्र की आत्मा तो खत्म हो चुकी है. जो व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी का कार्यकर्ता होगा, उसके पास 10 करोड़ रुपए नहीं हो सकते. इतनी बड़ी राशि आज की तारीख में सिर्फ उसी के पास होगी, जिसके पास नाजायज कमाई होगी. पहले चुनाव सेवा के लिए लड़ते थे, लेकिन अब चुनाव पैसा कमाने के लिए लड़ा जाता है.

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