नई दिल्ली: उत्तर भारत चुनौतीपूर्ण सर्दियों के लिए तैयार है, क्योंकि भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जनवरी-मार्च 2025 की अवधि के लिए सामान्य से कम बारिश का अनुमान लगाया है. फिलहाल कृषि और जल संसाधनों के लिए सर्दियों की वर्षा पर बहुत अधिक निर्भर रहने वाले इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
IMD के ताजा मौसम बुलेटिन से पता चलता है कि इस सप्ताह क्षेत्र को प्रभावित करने वाले एक्टिव वेदर सिस्टम, कोहरा, ठंडी परिस्थितियां और एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण अलग-अलग स्थानों पर वर्षा और बर्फबारी होने की संभावना है.
वेस्टर्न डिस्टरबेंस तीव्र होगा
IMD के वैज्ञानिक डॉ नरेश कुमार ने वर्तमान मौसम पैटर्न के बारे में बताते हुए कहा, “जम्मू और आस-पास के क्षेत्रों में साइक्लोन सर्कूलेशन में दो वेस्टर्व डिस्टरबेंस वर्तमान में एक्टिव हैं. इन सिस्टम के कारण 3 और 4 जनवरी को पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में हल्की से लेकर छिटपुट बर्फबारी होने की उम्मीद है, जो 5 से 6 जनवरी तक और तेज हो जाएगी. इस अवधि के दौरान जम्मू और कश्मीर, गिलगित, मुजफ्फराबाद, बाल्टिस्तान और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होगी, जबकि उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में छिटपुट बारिश हो सकती है.
उन्होंने बताया कि इस बीच दिल्ली में 6 जनवरी को हल्की बारिश होने की उम्मीद है. डॉ कुमार ने कहा, "राष्ट्रीय राजधानी में ठंड के दिनों की स्थिति बनी हुई है, अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है. कोहरा और धुंध बनी रहेगी, जिससे विजिबलिटी कम होगी और ठंड बनी रहेगी."
कृषि और जल संसाधनों पर प्रभाव
उत्तर भारत के लिए सर्दियों की वर्षा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्र की वार्षिक वर्षा का 18 फीसदी हिस्सा है, जबकि जम्मू कश्मीर और लद्दाख अपनी वार्षिक वाटर सप्लाई के लगभग एक तिहाई के लिए इस पर निर्भर हैं. सामान्य से कम बारिश कृषि गतिविधियों को बाधित कर सकती है और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में जल संसाधनों पर दबाव डाल सकती है.
इसके बावजूद डॉ कुमार ने कुछ सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, "जनवरी में कुछ इलाकों में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है, जिससे अस्थायी राहत मिलेगी. हालांकि, मौसमी कमी की आशंका है. हालांकि, इस साल शीत लहर की स्थिति गंभीर नहीं रही है, लेकिन पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद हमें कुछ समय के लिए तीव्र ठंड की उम्मीद है."
कोहरा और ठंडे दिन की स्थिति बनी हुई है
मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में घना कोहरा छाया हुआ है, जिससे दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. आईएमडी का अनुमान है कि कोहरा अगले 24 घंटों तक बना रहेगा, जिसके बाद धीरे-धीरे यह कम होगा. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ठंड के दिन की स्थिति बनी हुई है, जहां अधिकतम तापमान कम धूप के कारण सामान्य से कम रहता है.
डॉ कुमार ने बताया, "घने कोहरे की परतें दिन के दौरान तापमान को बढ़ने से रोकती हैं. यह हाल की सर्दियों में एक आवर्ती पैटर्न रहा है और हमें कल से हवा की गति बढ़ने के साथ कुछ सुधार की उम्मीद है."
चरम मौसम के बीच यात्रा में व्यवधान
कोहरे की स्थिति ने पूरे उत्तर भारत में हवाई और रेल यात्रा में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा किया है. दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शुक्रवार सुबह 200 से अधिक उड़ानों में देरी हुई, जिसमें से छह रद्द होने की सूचना मिली. इसके अलावा ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित हुईं, जिससे यात्री ठंड के मौसम में फंसे रहे.
दिल्ली एयरपोर्ट पर रनवे पर विजिबलिटी जीरो हो गई, जिसके कारण अधिकारियों और एयरलाइनों ने चेतावनी जारी की. इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी कम लागत वाली एयरलाइनों ने संभावित मौसम संबंधी देरी के बारे में सलाह जारी की, जिसमें यात्रियों से एयरपोर्ट जाने से पहले शेड्यूल की जांच करने का आग्रह किया गया.
आईएमडी की पूर्वानुमान सटीकता
डॉ कुमार ने आईएमडी की बेहतर पूर्वानुमान सटीकता पर जोर दिया खासकर गंभीर मौसम की घटनाओं के लिए. उन्होंने कहा, "भारी बारिश और बर्फबारी के लिए हमारी भविष्यवाणियां 85 फीसदी से अधिक सटीक हैं, चेतावनी 2-3 दिन पहले जारी की जाती है. इससे बेहतर तैयारी की अनुमति मिलती है, खासकर चरम घटनाओं के लिए."
उधर उत्तर भारत इस सर्दी में सामान्य से कम बारिश के लिए तैयार है, इस क्षेत्र की लचीलापन की परीक्षा होगी. किसानों, नीति निर्माताओं और निवासियों को अनियमित मौसम पैटर्न और कम वर्षा से उत्पन्न चुनौतियों के अनुकूल होने की आवश्यकता होगी.
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