नई दिल्ली:अयोध्या में 22 जनवरी को श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. 500 वर्षों बाद कारसेवक दिवाली मनाने को तैयार हैं. कारसेवक 1992 में लाखों की संख्या में अयोध्या पहुंचे थे और विवादित ढांचे को गिरा दिया था. उस दौरान बहुत से कारसेवकों को अपने प्राणों का बलिदान देने पड़ा. 'ETV भारत' ने कई कारसेवकों के बात कर उनकी कहानी को जाना. आज आपको एक ऐसे कारसेवक की यात्रा बताएंगे जिन्होंने अपने गीतों से कारसेवकों में जोश भर दिया था.
कारसेवक भरत शर्मा ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले हैं. 1992 में जब वह दिल्ली से रवाना हुए, तब सभी कारसेवक पहले प्रतापगढ़ उतरे थे. वहां कुछ भोजन ग्रहण कर वे नारे लगाते हुए आगे बढ़े. वह नारा था "एक धक्का...". सभी कारसेवकों में जूनून था कि इस बार ढांचे को गिराकर ही वापस आना है. कारसेवकों के जत्थे ने पैदल चलते हुए जय श्री राम के नारे लगाने शुरू किए.
तब प्रतापगढ़ के तत्कालीन SDM ने 80-85 कारसेवकों को गिरफ्तार कर चिलबिला के पॉलिटेक्निक कॉलेज में कैद कर दिया. वहीं, रात होने तक करीब 700 कारसेवकों को उसी जगह कैद कर दिया. वहां खाने पीने का भी कोई इंतजाम नहीं था. सभी बाहर निकलने के लिए तड़प रहे थे. उस समय हम ने एक गाना गया जिससे लोगों में उत्साह बढ़ गया. कारसेवकों ने कालेज की दीवार को तोड़ दिया और भाग निकले. वह गाना था...
"अयोध्या करती है आह्वान..ठाट से कर मंदिर निर्माण
शिला की जगह लगा दे प्राण.. बिठा दो वहां राम भगवान
हिन्दू है तो हिंदुओं की आन मत जाने दे.. रामलला पर कोई आंच मत आने दो,
कारसेवकों को बलदान की सौगंध है जय श्री राम.. बढ़चढ़ वीर जवान
अयोध्या करती है आह्वान..ठाट से कर मंदिर निर्माण''