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‘बैंड बाजा बारात' गैंग के चार सदस्यों को दिल्ली पुलिस ने दबोचा, अमीरों की शादियों में करते थे चोरी

-दिल्ली पुलिस ने बैंड बाजा बारात गैंग का किया पर्दाफाश -यह गिरोह अंतर्राज्यीय स्तर पर करता था काम

बैंड बाजा बारात  गिरोह का भंडाफोड़
बैंड बाजा बारात गिरोह का भंडाफोड़ (Etv bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 11 hours ago

Updated : 10 hours ago

नई दिल्ली: क्राइम ब्रांच ने दिल्ली में शादियों को निशाना बनाकर कीमती समानों से भरा बैग उठाने वाले बैंड बाजा बारात गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के पास से फर्जी पहचान पत्र इस्तेमाल किए जा रहे 13 सिम कार्ड के साथ 05 मोबाइल फोन बरामद हुए है. क्राइम ब्रांच के डीसीपी विक्रम सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान राजकुमार, सुमित, मोहित और करण के तौर पर हुई है.

डीसीपी ने बताया कि राज्यों के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में शादी समारोहों के दौरान नकदी, आभूषण और अन्य कीमती सामान की चोरी में शामिल वांछित आरोपियों को ट्रैक करने और पकड़ने का काम विशेष टीम को सौंपा गया था. इस टीम ने राज कुमार उर्फ ​​राजू के नेतृत्व में गिरोह के सदस्यों को ऑपरेशन में घिटोरानी मेट्रो स्टेशन के पास राज कुमार उर्फ ​​राजू, उसके साथियों सुमित, मोहित और करण को गिरफ्तार किया.

चोरी के बाद सामान का आपस में वितरण:डीसीपी ने बताया की खुफिया जानकारी के आधार पर, टीम ने शादियों में चोरी की इस श्रृंखला के पीछे राज कुमार उर्फ ​​राजू की पहचान मास्टरमाइंड के रूप में की. राजगढ़, मध्य प्रदेश का 50 वर्षीय राज कुमार, शादियों में चोरी की योजना बना रहा था, अपने गांव के युवा लड़कों का इस्तेमाल करके अपराध को अंजाम दे रहा था. पुलिस के मुताबिक तीन मुख्य अपराधी है , जो बैग उठाने के काम को अंजाम देते थे और शादी के मेहमानों से कीमती सामान चुराते थे. चोरी के बाद, राज कुमार चोरी की गई वस्तुओं को गिरोह के सदस्यों में बाँट देता था.

"बैंड, बाजा, बारात" गिरोह:कड़िया गाँव के सदस्य अक्सर ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं. कुछ लोग गिरोह और परिवारों के बीच समझौते के तहत अपने परिवार को "किराए पर" भी देते हैं. इसके बाद इन परिवारों को हाई-प्रोफाइल शादियों में घुलने-मिलने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि वे अनजान मेहमानों से कीमती सामान चुरा सकें. गिरफ्तार किए गए लोग मध्य प्रदेश में राजगढ़ के कड़िया गांव से हैं.

परिवारों को किराए पर दिया जाता:आपराधिक गिरोहों को परिवारों को "किराए पर" देने की प्रथा के लिए जाने जाने वाले कड़िया और गुलखेड़ी गांवों के निवासी अक्सर अनुबंध नामक समझौता करते हैं, जिसमें चोरी के कामों में भाग लेने के लिए अपने परिवारों को भेजने के लिए परिवारों को वित्तीय मुआवजा मिलता है. इस प्रथा को एक सामाजिक अनुबंध के रूप में देखा जाता है, जहां गरीब पृष्ठभूमि के परिवारों को शादियों में चोरी के लिए आपराधिक तत्वों द्वारा शोषण किया जाता है. आमतौर पर अमीर लोगों को निशाना बनाया जाता है. एक बार आरोपी को जमानत मिल जाने के बाद वे कभी भी मुकदमे के लिए अदालत में पेश नहीं होते. इस प्रकार, उन्हें पूरे भारत में पीओ घोषित कर दिया गया है.

बैग छीन कर भागने के लिए छोटे लड़कों का इस्तेमाल:पूछताछ में खुलासा हुआ की वे शादी समारोहों से आभूषण, नकदी और अन्य कीमती सामान से भरे बैग चुराने का काम करते थे. राज कुमार बैग छीनने और भागने के लिए छोटे लड़कों का इस्तेमाल करता है. 12 नवंबर, 2024 की रात को, सुमित और करण ने अलीपुर, दिल्ली में दो शादी समारोहों से नकदी और कीमती सामान चुराए, और 17 नवंबर, 2024 की रात को, उन्होंने मैदान गढ़ी, छतरपुर, दिल्ली में एक फार्महाउस में शादी समारोह से नकदी और कीमती सामान से भरा बैग भी चुरा लिया.

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