नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में मायावती की बहुजन समाज पार्टी 70 में से 68 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. जीत दर्ज करना और जमानत बचाना तो दूर चंद सीटों को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी हजार वोटों का आंकड़ा भी न पार कर सकी, जबकि विधानसभा चुनाव से पहले बसपा के तमाम प्रत्याशी जीत के दावे पेश कर रहे थे. वोट लेना तो दूर दिल्ली विधानसभा चुनाव में मायावती की बीएसपी वोट कटवा भी ना साबित हो सकी. बसपा के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है. इतना ही नहीं कई सीटों पर बहुजन समाज पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिले.
बीएसपी को नोटा से भी कम वोट मिले: चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, बहुजन समाज पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 0.58 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं. वोट शेयर के मामले में मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने दिल्ली में ओवैसी की पार्टी AIMIM से भी खराब प्रदर्शन किया है. दिल्ली में ओवैसी की पार्टी पांचवें नंबर पर रही जबकि मायावती की बहुजन समाज पार्टी छठे नंबर पर रही है. करीब 40 से अधिक सीटों पर बीएसपी को नोटा से भी कम वोट मिले हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में वोट प्रतिशत: जहां तक बात करें दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत कि तो सब से पहले ये याद रहना चाहिए कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राज्य की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी ने जहां एक ओर 48 सीटों के साथ भारी बहुमत प्राप्त करके 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है. तो वहीं, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को 62 सीटों से घटकर केवल 22 सीटों पर ही जीत मिल सकी है, जो पार्टी के लिए बेहद शर्मनाक और निराशाजनक परिणाम हैं.
![दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में वोट प्रतिशत](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2025/23510475_thum.jpg)
इसी के साथ चुनाव परिणाम में कुछ और दिलचस्प आंकड़े भी सामने आए. दिल्ली में चुनाव लड़ रही AIMIM ने BSP से थोड़ा अच्छा पर्फरम किया, जब कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को ऐसे वोट मिले हैं, जो नोटा (None of the Above) से भी कम हैं. दिल्ली के कुल 0.57% वोटरों ने नोटा का बटन दबाया, जबकि BSP को सिर्फ 0.58% वोट मिले. CPI (M) का वोट शेयर तो केवल 0.01% रहा. हालांकि BSP का वोट शेयर नोटा से कम नहीं था.
बसपा का वर्चस्व लगातार कम होता जा रहा है: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपना खाता खोल पाने में नाकाम साबित हुई. पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद के नेतृत्व में लड़े गए दोनों चुनाव में बसपा अपनी सियासी जमीन तक नहीं तलाश सकी. 2012 में उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर हुई बहुजन समाज पार्टी का वर्चस्व लगातार खत्म होता जा रहा है. AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली के मुस्तफाबाद और ओखला विधानसभा सीट पर प्रत्याशी उतारे थे. दोनों प्रत्याशियों को जीत के मुकाम तक पहुंचाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं समेत ओवैसी ने जमीनी स्तर पर काफी मेहनत की. हालांकि जीत हाथ ना लग सकी. लेकिन ओवैसी की पार्टी दिल्ली में वोट काटने के साथ-साथ फाइट में भी नजर आई. हालांकि, बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार में जरा भी दिखाई ना दिए. जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा भी कोई खास मेहनत नहीं दिखाई दी. यही बात रही कि बसपा का प्रदर्शन दिल्ली में बेहद खराब रहा.