नेताजी नॉन पॉलिटिकल में गोविंद सिंह डोटासरा (ETV Bharat Jaipur) जयपुर.पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा पेशेवर वकील रहे हैं और करियर के इस ऑप्शन से पहले तीन मर्तबा सरकारी नौकरियों को भी उन्होंने ना कह दिया था. फिर चाहे सरकारी स्कूल में पीटीआई का पद हो, एयरफोर्स की नौकरी हो या राज्य सेवा में बाबू की नौकरी. डोटासरा ने वकालत को पेशा चुना. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे शिक्षक पत्नी के कारण उन्हें अपने फैसले लेने में आसानी हुई. डोटासरा के मुताबिक वकील बनने पर उन्हें दादा की कही बात हर पल याद रहती है, जिसमें काले कोट की कमाई का एक हिस्सा जरूरतमंदों के लिए समर्पित करने का संदेश छिपा था.
इस तरह हुई राजनीति में एंट्री :गोविंद सिंह डोटासरा बताते हैं कि पीसीसी के पूर्व चीफ नारायण सिंह उनके राजनीतिक गुरु रहे थे. पहले पार्षद का ऑफर और फिर प्रधान बनने का अवसर उन्हें नारायण सिंह के सपोर्ट के कारण ही मिला था. इसके बाद जब पहली मर्तबा विधानसभा चुनाव का टिकट मिला, तो भी नारायण सिंह ने उन्हें सपोर्ट किया और फिर उन्हें कभी पीछे मुड़कर देखने की जरुरत नहीं पड़ी. इस तरह से पंचायत से लेकर प्रदेश की पंचायत और कांग्रेस संगठन में डीसीसी से लेकर अब पीसीसी चीफ तक का उनका सफर रहा है. हालांकि, डोटासरा का यह भी मानना है कि राजनीति में हमेशा जनता का सहयोग ही बड़ा है. यही कारण है कि वे जब भी मौका मिले, हफ्ते के आखिर में सीकर जाकर क्षेत्र की जनता से मिलना पसंद करते हैं.
नेताजी नॉन पॉलिटिकल में गोविंद सिंह डोटासरा (ETV Bharat Jaipur) इसे भी पढ़ें-बालमुकुंदाचार्य...हनुमानजी की सेवा ने दी पहचान तो कॉलेज के दिनों में किया पार्ट टाइम जॉब, मिला था बिग बॉस से ये ऑफर - MLA Balmukund Acharya
लीलण घोड़ी गाने पर डांस का किस्सा :गोविंद सिंह डोटासरा के डांस के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होते हैं. हर चुनावी सभा में उनके प्रशंसक डांस की फरमाइश भी करते हैं. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह ने इसे लेकर भी किस्सा जाहिर किया और बताया कि बीते विधानसभा चुनाव के दौरान नामांकन रैली के बीच उनके समर्थकों ने लोक देवता तेजाजी पर बने गीत को बजाना शुरू किया और उनसे भी डांस की अपील की. इस दौरान उनके थिरकने के वीडियो इस कदर वायरल हुए कि अब मंच के अलावा नुक्कड़-चौराहों के स्वागत कार्यक्रम में भी चहेते नेता के साथ थिरकने के लिए समर्थक डोटासरा को देखते ही डीजे की धुनों पर गाना बजाना शुरू कर देते हैं.
गोविंद सिंह डोटासरा की पुरानी तस्वीर (Photo ETV Bharat jaipur) ठेठ अंदाज में फटकारों और मोरिया का किस्सा :गोविंद सिंह डोटासरा की चुनावी सभाओं में उनके भाषण और व्यंग्य को फटकारों के रूप में जाना जाता है. इसके पीछे डोटासरा का तर्क है कि वे शेखावाटी से ताल्लुक रखते हैं, जहां के लोग अक्सर अपने ही अंदाज में बातें बोलने के लिए पहचाने जाते हैं और बातें जब राजनीति की हो और निशाने पर विरोधी हों, तो इन्हें फटकारे वाले लहजे में कहना समर्थकों के जोश को बढ़ा देता है. इसी तरह से गोविंद सिंह ने बताया कि शेखावाटी में मोरिया बुलाने की कहावत बोली जाती है, जिसका उन्होंने इस चुनाव में विरोधी दल और उसके प्रत्याशियों के खिलाफ जमकर इस्तेमाल किया. उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में दस से ज्यादा जगह इस बार मोरिया बोलेगा.
नेताजी नॉन पॉलिटिकल में गोविंद सिंह डोटासरा (ETV Bharat Jaipur) इसे भी पढ़ें-पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा का बीजेपी पर पलटवार, बोले- परिणाम बाद आएंगी नई पर्चियां - Dotasara Targets BJP
कैसे सोशल मीडिया पर बने फूफाजी :गोविंद सिंह डोटासरा से जब सोशल मीडिया पर उन्हें मिले उपनाम फूफा जी को लेकर सवाल किया गया, तो वे मुस्कुराने लगे. उन्होंने कहा कि यह नाम उन्हें कब, कैसे और किसने दिया, इस बारे में जानने की लालसा तो थी, पर उन्हें अपने लिए मिले इस उपनाम से कोई एतराज नहीं है. डोटासरा ने बताया कि फूफा जी किसी भी परिवार में सम्मानित व्यक्ति के रूप में देखे जाते हैं, ऐसे में जनता परिवार के सदस्य के रूप में उन्हें सम्मान दे रही है, तो इससे परहेज क्यों किया जाए.
गोविंद सिंह डोटासरा की पुरानी तस्वीर (Photo ETV Bharat jaipur) पोते-पोती के साथ खेलना पसंद :राजनीति के क्षेत्र में आने के बाद अक्सर गोविंद डोटासरा परिवार के लिए पहले जितना वक्त नहीं निकाल पाते हैं. पर फिर भी उनका प्रयास होता है कि वे अपने पोते और पोती से जरूर मिलें. डोटासरा बताते हैं कि परिवार सदैव उनके लिए ताकत रहा है. वे गांव जाकर मां से मिलने और उनका आशीर्वाद लेने का मौका भी नहीं छोड़ते हैं.