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बेबसी और गरीबी ने छुड़वाया आशियाना, पैतृक गांव से भी दूर हुआ परिवार, अब सरकार से लगा रहा गुहार - Sirmaur Family House Dilapidated

Dhartidhar Chaman Lal House Damaged: हिमाचल प्रदेश में सरकार के दावों के बीच सिरमौर जिले में एक ऐसा परिवार भी है, जो सालों से पक्के मकान के लिए तरस रहा है. ये परिवार खुद मकान बनाने में असमर्थ है. जबकि पुराना मकान रहने लायक बचा नहीं है. दीवारों की हालत जर्जर है, छत टपकती है.

Dhartidhar Chaman Lal House Damaged
सिरमौर में गरीब परिवार के मकान के बदतर हालात (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 10:06 AM IST

सिरमौर: एक तरफ सरकार जरूरतमंद व्यक्तियों को पक्के मकान उपलब्ध करवाने के दावे कर रही है, तो वहीं एक परिवार ऐसा भी है, जो जरूरतमंद होने के बावजूद इस सुविधा से महरूम है. बेबसी व गरीबी ने न केवल अपने सपनों का आशियाना छोड़ने पर विवश कर दिया, बल्कि अपने पैतृक गांव से भी यह परिवार दूर हो गया है. यह परिवार सामान्य श्रेणी में आता है, लेकिन हालात सही मायनों में बीपीएल श्रेणी जैसे हैं. परिवार का आरोप है कि स्थानीय पंचायत सालों से उनकी गुहार नहीं सुन रही है और प्रशासन तक भी मामला पहुंचाने के बावजूद उनकी फरियाद सिर्फ फरियाद बनकर रह चुकी है.

जर्जर मकान, डर का माहौल

ये दास्तां जिला सिरमौर के धारटीधार क्षेत्र की धगेड़ा पंचायत के बालका बराटल गांव के रहने वाले चमन लाल की है. जो सामान्य श्रेणी से ताल्लुक रखता है. चमन के मकान की हालत देख किसी का भी दिल पसीज जाए. बरसात के मौसम में छत टपकती है. रात को नींद नहीं और दिन को चैन नहीं. चमन की बेबसी ऐसी है कि वह परिवार सहित गांव में रहना चाहता है, लेकिन उनका मकान अब रहने लायक नहीं बचा है. इसी दर्द व बेबसी ने चमन के परिवार को अपने पैतृक गांव से भी दूर कर दिया है. अब कभी-कभी उनका उस वक्त गांव में आना-जाना होता है, जब मौसम मकान में रहने के अनुकूल होता है, लेकिन फिर भी चिंता यही रहती है कि न जाने कब मकान ढह जाए.

चमन लाल के मकान की जर्जर हालत (ETV Bharat)

स्वयं पक्का मकान बनवाने में असमर्थ

चमन की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वह स्वयं पक्का मकान बना सके. चमन ने बताया कि पक्का मकान बनाने को लेकर वो पंचायत से लेकर जिला प्रशासन तक मौखिक और लिखित रूप से गुहार लगाते रहे, लेकिन अब तक कुछ नहीं बना. अब हालात ये हो चुके हैं कि बरसात में 2 कमरों का कच्चा मकान रहने लायक नहीं बचा है. कड़ियों के ऊपर मिट्टी डालकर बनी छत्त बरसातों में टपक रही है और दीवारों की हालत भी बद से बदतर हो चुकी है.

शंभूवाला में किराये पर रहने को विवश

चमन ने बताया कि पिछले साल उन्होंने अपनी समस्या को लेकर जिला प्रशासन तक भी गुहार लगाई. इसके अलावा हर बार पंचायत की ग्राम सभा की बैठक में भी अपनी आवाज उठाते रहे, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी. अब वो और उनका चार सदस्यों का परिवार नाहन विधानसभा क्षेत्र के तहत शंभूवाला में किराए के कमरे में रह रहा है, जहां वो दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं.

बरसात में टपकती है छत (ETV Bharat)

हालात से पूरी पंचायत वाफिक, फिर भी कुछ नहीं बना

चमन लाल ने बताया कि वो सामान्य श्रेणी से ताल्लुक रखता है. यही कारण है कि कई बार पंचायत में फरियाद लगाने के बावजूद भी उन्हें अब तक उन्हें बीपीएल श्रेणी में नहीं डाला गया. जबकि उनके घर के हालात से पूरी पंचायत वाकिफ है. करीब 6 साल पहले घर के सर्वे के दौरान उनके मकान का भी निरीक्षण किया गया था.

बेसब्री से पैतृक गांव लौटने का इंतजार

चमन ने बताया कि बीपीएल श्रेणी में रह रहे कई परिवारों के सरकारी योजनाओं के तहत मकान बन चुके हैं. कइयों के मकान की स्वीकृति फिर आ चुकी है, लेकिन वह सिर्फ सामान्य परिवार से संबंध रखने का दंश झेल रहे हैं. उन्होंने जिला प्रशासन और पंचायत से एक बार फिर गुहार लगाते हुए कहा कि उनकी माली हालत को देखते हुए उन्हें बीपीएल श्रेणी में डाला जाए, ताकि वह अपने खुद के घर और गांव में जा सकें और खेती बाड़ी कर अपना परिवार पाल सके.

क्या कहना है ग्राम प्रधान का?

ग्राम पंचायत धगेड़ा की प्रधान सुनीता देवी ने माना कि चमन लाल के घर की हालत ठीक नहीं है. कुछ वर्षों पहले उनका मकान बनाने के लिए लिस्ट भेजी गई थी, लेकिन किसी वजह से नाम कट गया. उन्होंने बताया कि अगले वर्ष बीपीएल चयन की बैठक में प्रयास रहेगा कि उनका नाम डाला जाए, ताकि उनका घर बन सके. फिलहाल ये सब ग्राम सभा की बैठक में ही तय होता है. उन्होंने कहा कि प्रयास यह भी रहेगा कि बीपीएल के अलावा अन्य किसी सरकारी योजना के तहत उनका मकान बनवाया जाए.

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