दौसा. जिले में इन दिनों चिकित्सा विभाग की लापरवाही से एक ऑनलाइन शिशु का जन्म हो गया. इतना ही नहीं, इस ऑनलाइन पैदा हुई बच्ची का चिकित्सा विभाग ने टीकाकरण भी किया गया है, और इसके बाद अपनी खामियों को छुपाने के लिए विभाग ने महज 6 माह बाद ऑनलाइन पैदा हुई बच्ची को कागजों में मृत घोषित भी कर दिया. ऐसे में लोग अब चिकित्सा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इस मामले में ब्लॉक सीएमएचओ डॉक्टर भोलाराम गुर्जर का कहना है कि मामले की जांच करवाएंगे. दोषी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी. यह हैरान कर देने वाला मामला दौसा जिले के सिकराय उपखंड में स्थित पीलोड़ी गांव का है.
दरअसल, पीलोड़ी गांव में एक महिला ने 3 जनवरी 2018 को एक लड़के को जन्म दिया था. इसके बाद महिला आजतक कभी गर्भवती नहीं हुई, लेकिन सिकराय में विभाग की एक एएनएम ने अपना टारगेट पूरा करने के लिए महिला के 14 जुलाई 2023 को कागजों में एक बच्ची का जन्म होना दर्शा दिया. महिला प्रियंका मीना का पति कमल मीना सरकारी कर्मचारी है. ऐसे में पीड़िता के पति कमल मीना का कहना है कि ऑनलाइन बच्ची का जन्म दर्शाने से उन्हें सरकारी सेवा में परेशानी आ सकती है. ऐसे में अब पीड़ित परिवार ने इसकी लिखित में विभागीय अधिकारियों से शिकायत की है, जिसमें उन्होंने पीसीटीएस सॉफ्टवेयर से ऑनलाइन जन्मी बच्ची की एंट्री डिलीट करने की मांग की है. जिसके चलते ऑनलाइन बच्ची का जन्म चिकित्सा विभाग के लिए कोड़ में खाज बनता नजर आ रहा है.
पीड़िता ने एएनएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की :वहीं इस मामले में पीड़िता महिला प्रियंका मीना ने कहा कि एएनएम हेमलता वर्मा ने अपना टारगेट बढ़ाने के लिए 23 दिसंबर 2022 को चिकित्सा विभाग के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर पीसीटीएस में मुझे गर्भवती बता दिया. वहीं ऑनलाइन ही 6 माह 22 दिन बाद 14 जुलाई 2023 को महिला की डिलीवरी बता कर एएनएम ने 3 केजी वजनी बच्ची का जन्म दर्शा दिया.