शहडोल: मध्य प्रदेश में तो वैसे कई फसलों का उत्पादन किया जाता है, लेकिन धान और गेंहू की फसल प्रमुखता से लगाई जाती है. ये दोनों फसल ऐसी होती हैं जिसकी कटाई के लिए किसानों को काफी परेशान भी होना पड़ता है. क्योंकि आज के समय में मजदूरी महंगी हो चुकी है और मजदूर समय पर मिलते भी नहीं है. ऐसे में अब कई ऐसी छोटी-छोटी मशीन भी आने लगी हैं जो किसानों के काफी काम की हैं, ये मशीन समय भी बचाती हैं और लागत भी कम लगती है. सबसे बड़ी बात इन मशीनों पर किसानों के लिए सरकार भी अच्छी खासी सब्सिडी दे रही है.
धान, गेंहू की कटाई के लिए गजब मशीन
कृषि अभियांत्रिकी विभाग शहडोल के असिस्टेंट इंजीनियर रितेश पयासी कहते हैं कि, ''आज के समय में धान की कटाई हो या गेहूं की, इसके लिए मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है. मजदूरों की कमी आजकल हर क्षेत्र में हो रही है. साथ ही साथ जब हार्वेस्टर से भी इन फसलों की कटाई होने के बाद उसमे खेतों में लोग नरवाई की समस्या को देखकर आग लगा देते हैं जो एक बड़ी समस्या है. ऐसे में इन सबको ध्यान में रखते हुए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय द्वारा दो मशीन एक स्वचलित रीपर मशीन और एक रीपर कम बाइंडर मशीन बनाई गई, जिनसे किसान अपने खेतों की धान और गेहूं की कटाई आसानी से कर सकता है और नरवाई जलाने की आवश्यकता भी नहीं होगी. मजदूरों की समस्या भी कृषक की दूर होगी.''
कैसे काम करती है मशीन ?
स्वचालित रीपर मशीन में 5 एचपी का एक इंजन होता है और हाथ से चलाई जाती है. इससे धान और गेंहू के फसल की कटाई करना बहुत आसान हो जाता है. इस मशीन को कोई भी चला सकता है. रीपर कम बाइंडर मशीन इस मशीन में कृषक धान और गेहूं काट के फसल की बंधाई भी कर सकता है. जिसे लोकल भाषा में बोझा बांधना या गठान बांधना भी कहते हैं. इन दोनों मशीनों में धान, गेहूं की कटाई हार्वेस्टर के मुकाबले फसल के नीचे से होती है तो निरवाई जलाने की समस्या का भी समाधान हो जाता है.
मशीनों पर कितनी सब्सिडी
स्वचालित रीपर मशीन कि कीमत एक लाख 40 हजार से एक लाख 50 हजार तक होती है. इसमें शासन की ओर से 75 हजार तक का अनुदान भी है. इस मशीन में कृषक एक से डेढ़ घंटे में एक एकड़ की धान या गेहूं की कटाई कर सकता है. इसके अलावा रीपर कम बाइंडर मशीन 5 लाख कीमत में आती है. इस मशीन में भी शासन के माध्यम से अधिकतम ढाई लाख तक की छूट है. यह मशीन 40 मजदूरों का काम खुद करने की क्षमता रखती हैं.