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एमपी में लाल चंदन की खेती, पाकिस्तान से जर्मनी तक हो रही सप्लाई, भर-भरकर आ रहे करारे नोट - MAIHAR RED SANDALWOOD NURSERY

मध्य प्रदेश के मैहर का किसान तैयार करता है लाल चंदन की नर्सरी. भारत सहित विदेशों में इसके बीज और पौधों की करते हैं सप्लाई.

MAIHAR RED SANDALWOOD NURSERY
मैहर में लाल चंदन की नर्सरी तैयार कर रहा है किसान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 4, 2025, 6:20 PM IST

मैहर (प्रदीप कश्यप): मध्य प्रदेश के मैहर में किसान कृष्ण कुमार सिंह बघेल लाल चंदन की नर्सरी तैयार कर रहे हैं. वे लाल चंदन के पौधों और बीजों की सप्लाई पूरे भारत सहित विदेशों में भी करते हैं. कृष्ण कुमार बताते हैं कि "विदेशों में लाल चंदन के बीज की बहुत मांग है. उनके द्वारा प्रोसेस्ड बीज पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों में भेजा जा चुका है. वहीं, उनके द्वारा तैयार पौधे देश के कई हिस्सों के किसान खरीदकर ले जा चुके हैं.

कृष्ण बघेल अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से बीज ले जाने वाले किसानों को उससे पौधा तैयार करना सिखाते हैं, क्योंकि वे कहते हैं कि चंदन की नर्सरी तैयार करना आसान नहीं है. बीज लाने, नर्सरी तैयार करने, उसको सप्लाई करने की पूरी प्रक्रिया आइये कृष्ण बघेल से समझते हैं.

कृष्ण बघेल ने यूट्यूब से सीखा था खेती करना (ETV Bharat)

कृष्ण बघेल ने यूट्यूब से सीखा था खेती करना

सतना जिले के रामपुर बघेलन निवासी कृष्ण कुमार सिंह बघेल मैहर जिले की रीवा रोड स्थित अपने बगीचे में लाला चंदन की नर्सरी तैयार करते हैं. यह काम उनके पूर्वज भी किया करते थे, लेकिन कृष्ण बघेल अब इसको व्यवसाय के रूप में अपना चुके हैं. उन्होंने लाल चंदन की खेती करना यूट्यूब के माध्यम से सीखा था. वह विगत तीन वर्षों से इसकी खेती कर रहे हैं.

वर्तमान में उनकी 2 से 3 लाख सालाना इनकम हो जाती है. कृष्ण कुमार सिंह बघेल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि "वह बेंगलुरु से बीज लेकर आते हैं. इसके बाद बीज को प्रोसेस करते हैं. चूंकि बीज उगाने की प्रक्रिया थोड़ी लंबी है, इसलिए वे जिब्रेलिक एसिड का इस्तेमाल करते हैं."

Maihar red sandalwood plant sell
लाल चंदन की नर्सरी तैयार करते हैं कृष्ण बघेल (ETV Bharat)

विदेशों में भी बीज की होती है सप्लाई

पौधा उगने के बाद की प्रक्रिया और लाल चंदन के बीज की सप्लाई के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि "पौधा उगने के बाद उसको एक प्लास्टिक के पैकेट में शिफ्ट करते हैं. धीरे-धीरे जब पौधे बड़े हो जाते हैं, तो किसान आते हैं और मोल-भाव करके उनको पौधा बेच देते हैं." उन्होंने बताया कि "विदेशों में लाल चंदन के बीज की ज्यादा डिमांड है. जहां वे देश में पौधे सप्लाई करते हैं. वहीं, विदेशों में उसका बीज भेजते हैं. वे एजेंट के माध्यम से पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, वियतनाम जैसे कई देशों में लाल चंदन का बीज पहुंचा चुके हैं."

अपने यूट्यूब चैनल से सीखाते हैं खेती करना

कृष्ण बघेल ने बताया कि "खेती में किसानों को उतना मुनाफा नहीं मिल पाता, इसलिए उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षित कर सकें, ताकि वे भी चंदन का पौधा उगा सकें. मार्केट से लाल चंदन का पौधा खरीदना महंगा पड़ता है, लेकिन अगर कोई किसान बीज खरीद कर पौधा उगाना चाहे तो वो सस्ता पड़ जाता है."

कृष्ण बघेल का अपना यूट्यूब चैनल है. जहां पर लोग बीज और पौधों के लिए उनसे संपर्क करते हैं. फिर वे उसे कस्टमर को उपलब्ध कराते हैं. बीज ले जाने वाले किसानों को उससे पौधा उगाने के बारे में वे अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से सिखाते हैं.

मैहर (प्रदीप कश्यप): मध्य प्रदेश के मैहर में किसान कृष्ण कुमार सिंह बघेल लाल चंदन की नर्सरी तैयार कर रहे हैं. वे लाल चंदन के पौधों और बीजों की सप्लाई पूरे भारत सहित विदेशों में भी करते हैं. कृष्ण कुमार बताते हैं कि "विदेशों में लाल चंदन के बीज की बहुत मांग है. उनके द्वारा प्रोसेस्ड बीज पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों में भेजा जा चुका है. वहीं, उनके द्वारा तैयार पौधे देश के कई हिस्सों के किसान खरीदकर ले जा चुके हैं.

कृष्ण बघेल अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से बीज ले जाने वाले किसानों को उससे पौधा तैयार करना सिखाते हैं, क्योंकि वे कहते हैं कि चंदन की नर्सरी तैयार करना आसान नहीं है. बीज लाने, नर्सरी तैयार करने, उसको सप्लाई करने की पूरी प्रक्रिया आइये कृष्ण बघेल से समझते हैं.

कृष्ण बघेल ने यूट्यूब से सीखा था खेती करना (ETV Bharat)

कृष्ण बघेल ने यूट्यूब से सीखा था खेती करना

सतना जिले के रामपुर बघेलन निवासी कृष्ण कुमार सिंह बघेल मैहर जिले की रीवा रोड स्थित अपने बगीचे में लाला चंदन की नर्सरी तैयार करते हैं. यह काम उनके पूर्वज भी किया करते थे, लेकिन कृष्ण बघेल अब इसको व्यवसाय के रूप में अपना चुके हैं. उन्होंने लाल चंदन की खेती करना यूट्यूब के माध्यम से सीखा था. वह विगत तीन वर्षों से इसकी खेती कर रहे हैं.

वर्तमान में उनकी 2 से 3 लाख सालाना इनकम हो जाती है. कृष्ण कुमार सिंह बघेल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि "वह बेंगलुरु से बीज लेकर आते हैं. इसके बाद बीज को प्रोसेस करते हैं. चूंकि बीज उगाने की प्रक्रिया थोड़ी लंबी है, इसलिए वे जिब्रेलिक एसिड का इस्तेमाल करते हैं."

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लाल चंदन की नर्सरी तैयार करते हैं कृष्ण बघेल (ETV Bharat)

विदेशों में भी बीज की होती है सप्लाई

पौधा उगने के बाद की प्रक्रिया और लाल चंदन के बीज की सप्लाई के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि "पौधा उगने के बाद उसको एक प्लास्टिक के पैकेट में शिफ्ट करते हैं. धीरे-धीरे जब पौधे बड़े हो जाते हैं, तो किसान आते हैं और मोल-भाव करके उनको पौधा बेच देते हैं." उन्होंने बताया कि "विदेशों में लाल चंदन के बीज की ज्यादा डिमांड है. जहां वे देश में पौधे सप्लाई करते हैं. वहीं, विदेशों में उसका बीज भेजते हैं. वे एजेंट के माध्यम से पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, वियतनाम जैसे कई देशों में लाल चंदन का बीज पहुंचा चुके हैं."

अपने यूट्यूब चैनल से सीखाते हैं खेती करना

कृष्ण बघेल ने बताया कि "खेती में किसानों को उतना मुनाफा नहीं मिल पाता, इसलिए उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षित कर सकें, ताकि वे भी चंदन का पौधा उगा सकें. मार्केट से लाल चंदन का पौधा खरीदना महंगा पड़ता है, लेकिन अगर कोई किसान बीज खरीद कर पौधा उगाना चाहे तो वो सस्ता पड़ जाता है."

कृष्ण बघेल का अपना यूट्यूब चैनल है. जहां पर लोग बीज और पौधों के लिए उनसे संपर्क करते हैं. फिर वे उसे कस्टमर को उपलब्ध कराते हैं. बीज ले जाने वाले किसानों को उससे पौधा उगाने के बारे में वे अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से सिखाते हैं.

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