सिवनी।सिवनी जिले के बंडोल स्थित मां योगमाया कात्यायनी मंदिर की महिमा निराली है. जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर जबलपुर रोड पर बंडोल में नौ देवियों में षष्ठम देवी मां कात्यायनी माता का मंदिर है. जहां शादी-विवाह, संतान और कुंडली दोष दूर करने के लिए नवरात्रि की षष्ठी पर भक्त मन्नत लेकर आते हैं. पूजा के बाद कात्यायनी देवी की मूर्ति का श्रृंगार कराते हैं. मनोकामना पूरी होने पर भक्त नवरात्रि में यहां आते हैं और मंदिर में ज्योति कलश स्थापित करते हैं.
29 साल पहले हुई थी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा
कात्यायनी देवी का मंदिर अलौकिक और प्रतापी है. इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 10 फरवरी 1995 को ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने की थी. इस मंदिर का अलग ही आध्यात्मिक महत्व है. मंदिर की विशेषता यह भी है कि जब से ये बना, तभी से इसके गर्भगृह में अखंड ज्योति प्रज्वलित है. ऐसी आस्था है कि इन ज्योति के प्रकाश को देखने मात्र से ही मनोकामना पूरी हो जाती हैं. लोग यहां मन्नत पूरी होने पर ज्योति कलश स्थापित करते हैं. इस बार भी मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामना ज्योति कलश स्थापित कराए गए हैं. मंदिर में स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ विदेश से भी भक्तगण यहां आते हैं.
मनोकामना पूर्ति के ज्योति कलश रखे जाते हैं
यहां कुंवारे लड़के और लड़कियां नवरात्र के मौके पर मनचाहे वर और वधु प्राप्त करने के लिए माता का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता की पूजा करता है, उसकी मनोकामना जल्द पूरी होती है. मंदिर में भक्तों द्वारा अपनी मनोकामना पूर्ति के ज्योति कलश रखे जाते हैं. जहां उनके दर्शन कर लोग सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं तो वहीं मंदिर परिसर में शारदीय नवरात्र में इस वर्ष 251 कलश घृत घी से और 351 कलश तेल से प्रज्वलित हो रहे हैं. जिनके दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है.