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एशिया के सबसे बड़ा होलसेल कैनवास बाजार में बीते 64 वर्षों से बेच रहे रेनकोट, हर साल डिमांड के हिसाब से बदलता है लुक - Asia largest raincoat MARKET - ASIA LARGEST RAINCOAT MARKET

Asia largest raincoat MARKET: दिल्ली में पिछले हफ्ते हुई बारिश के बाद लोगों ने मॉनसून सीजन की खरीदारी शुरू कर दी है. और बारिश में सबसे ज्यादा डिमांड रेनकोट की होती है. इन दिनों आजाद मार्केट में रेनकोट की भारी मांग है. जिसके चलते यहां के रेनकोट विक्रेताओं ने अपनी दुकानें सजा ली है.

होलसेल कैनवास बाजार में बीते 64 वर्षों से बेच रहे रेनकोट
होलसेल कैनवास बाजार में बीते 64 वर्षों से बेच रहे रेनकोट (ETV BHARAT REPORTER)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 3, 2024, 5:25 PM IST

नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में लोग प्रचंड गर्मी झेलने के बाद अब उमस झेलने को मजबूर हैं. एक बार हुई बारिश के बाद अब लोगों को इंतजार है कि जल्द अच्छी बारिश हो, ताकि गर्मी थोड़ी कम हो. हालांकि एक बार की बारिश के बाद मॉनसून सीजन शुरू हो गया है. बाजारों में रेनकोट की मांग बढ़ गई हैं. दिल्ली में एशिया का सबसे बड़ा होलसेल रेनकोट बाजार है. इसका नाम है आजाद मार्केट. अब यहां कई दुकानों में रीटेल सामान मिलने लगे है. यहां रेनकोट की कई वैरायटी मिलती हैं. इसके अलावा रेनकोट की सिलाई और रेनकोट के लिए इस्तेमाल में आने वाला रॉ मेटेरियल भी मिलता है.

आजाद मार्केट में 64 वर्षों से रेनकोट की बिक्री करने वाले हरीश गुलाटी ने 'ETV भारत' को बताया कि उनकी दुकान में हर उम्र के लोगों के लिए कई वैरायटी के रेनकोट मिलते हैं. वहीं, हर वर्ष ग्राहक की मांग के आधार पर रेनकोट की डिजाइन और लुक में बदलाव किए जाते हैं. उनका मानना है कि ग्राहक को खुश रखना एक दुकानदार का सबसे बड़ा कर्तव्य है.

हरीश गुलाटी ने बताया कि पिछले 6-7 वर्षों में रेनकोट की मांग में काफी तेजी आई है. इसके साथ कीमत में काफी बदलाव आया है. उनके पास मौजूद रेनकोट में सबसे सस्ते रेनकोट की कीमत 50 रुपए है, वो होलसेल बिक्री रेट है. वहीं, सबसे महंगे की कीमत 600 रुपए है. इसको रीटेल में 25 फीसदी मार्जन के साथ सेल किया जाता है.

रेनकोट की कीमत उनके मटेरियल और लुक पर निर्भर करती है. हरीश ने बताया कि उनके पास पीवीसी, हाइप्रा पीबीसी, पॉलिस्टर और रूबड के रेनकोट है. इसमें पीवीसी सबसे अच्छी क्वालिटी का माना जाता है. वहीं, अगर किसी की मजबूती की बात करें तो यह पहनने वाले के ऊपर निर्भर करता है. वह इसको कितनी सावधानी से इस्तेमाल करता है.

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एक थोक विक्रेता होने के नाते हरीश के पास अप्रैल से ही रेनकोट की डिमांड आने लगती है. जुलाई और अगस्त में मांग अपने उच्चतम स्तर पर होती है. सितंबर के बाद से माल को विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. बता दें, इस मार्केट में करीब 300 दुकानें हैं. इनको 1952 में भारत सरकार ने विभाजन के बाद भारत आए शरणार्थियों को दी थी. इस मार्केट में पहुंचने के लिए तीस हजारी मेट्रो स्टेशन सबसे करीब है. इसके अलाव डीटीसी बस से भी बाजार तक पहुंचा जा सकता है.

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