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दिल्ली जू के 'शंकर' को साथी की आस, दुनिया भर में हो रही तलाश - Delhi Zoo elephant Shankar - DELHI ZOO ELEPHANT SHANKAR

Search for elephant Shankar companion: दिल्ली जू में एकलौता अफ्रीकी हाथी सालों से अपने 'साथी' के इंतजार में है. इसके लिए प्रयास जारी है, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई है. आइए जानते हैं कब और कहां से ये हाथी दिल्ली जू में आया और वर्तमान में इसकी स्थिति क्या है. पढ़ें पूरी खबर..

DELHI ZOO ELEPHANT SHANKAR
DELHI ZOO ELEPHANT SHANKAR

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 6, 2024, 8:48 PM IST

नई दिल्ली:दुनिया भर के देशों में चिड़ियाघरों की निगरानी करने वाली वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जू एंड एक्वेरिएम (वाजा) के प्रेसीडेंट ने हाल ही में दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क का निरीक्षण किया. यहां उन्होंने अफ्रीकी हाथी शंकर को देखा. भारत में फिलहाल सिर्फ दो अफ्रीकी हाथी बचे हैं. ऐसे में यहां अफ्रीकी हाथी विलुप्त हो सकते हैं. इसको लेकर उन्होंने चिंता जाहिर की. दिल्ली जू में शंकर नामक हाथी साल 2001 से अकेला है. वहीं भारत का दूसरा मेल अफ्रीकी हाथी मैसूर जू में है. प्रजनन बढ़ाने के लिए अफ्रीकी मादा हाथी की तलाश की जा रही है, लेकिन यह तलाश अभी तक पूरी नहीं हुई है. वाजा अब भारत में अफ्रीकी हाथी की संख्या बढ़ाने के लिए काम करेगा. 'शंकर' के लिए विदेशों में भी साथी की तलाश की जा रही है.

हाथी को दिए जाने वाले खाने की मात्रा

उपहार में मिले थे दो हाथी:दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क (दिल्ली जू) में वर्ष 1998 में अफ्रीका के जिम्बाब्वे से एक नर और एक मादा अफ्रीकन हाथी के बच्चे फ्लाइट से आए थे. ये दोनों हाथी तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को जिम्बाब्वे की तरफ से उपहार स्वरूप भेंट किए गए थे. तब इन हाथियों की उम्र दो साल थी. दिल्ली जू आने के बाद नर हाथी का नाम शंकर और मादा हाथी का नाम बिम्बई रखा गया था. हालांकि वर्ष 2001 में बीमारी के कारण बिम्बई की मौत हो गई थी, जिसके बाद से शंकर अकेला है.

अफ्रीका से लाने का प्रयास:देश में कहीं भी मादा अफ्रीकी हाथी नहीं है, जिससे इनकी संख्या नहीं बढ़ पा रही है. पूर्व में अफ्रीकी देशों को पत्र लिखकर भी मादा अफ्रीकी हाथी की मांग की जा चुकी है. वहीं अगर किसी अफ्रीकी देश से मादा हाथी लाई भी जाती है, तो इसमें करोड़ों रुपये का खर्च आएगा. जानकारी के लिए बता दें कि जब कोई जानवर विदेश से लाया जाता है तो उसे पिंजरे में डालने के लिए कई महीने पहले से अभ्यास शुरू हो जाता है. साथ ही सफर के दौरान पूरी मेडिकल टीम उसके साथ होती है. जहां से जानवर लाया जाता है, वहां से उसका कुछ महीनों का खाना भी लाया जाता है. देश में आने के बाद जानवर को क्वारंटीन में रखा जाता है, जिसके बाद उसे जू में लाया जाता है.

हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है मामला:यूथ फॉर एनिमल्स की संस्थापक निकिता धवन ने दिल्ली हाईकोर्ट में अफ्रीकी हाथी शंकर को छुड़ाने और उसके पुनर्वास की मांग करते हुए याचिका भी दायर की थी. याचिका में सेंट्रल जू अथॉरिटी के उस नियम को आधार बनाया गया, जिसमें कहा गया है कि हाथी को छह माह से ज्यादा अकेले नहीं रख सकते हैं. इसपर हाईकोर्ट ने कहा था कि शंकर को भारत के बाहर नहीं भेजा जा सकता है. लेकिन देश में या अन्य देश से अफ्रीकी मादा की तालाश जरूर की जाए. हालांकि यह तलाश अभी खत्म नहीं हुई है.

वाजा के प्रेसीडेंट ने हाल ही में दिल्ली के नेशनल जूलाजिकल पार्क का निरीक्षण किया. उन्होंने शंकर हाथी को देखा सारी स्थिति को बताया. उन्होंने कहा कि वह भारत से वापस जाने के बाद सबसे पहले शंकर के लिए अफ्रीकन मादा हाथी की तलाश करेंगे. इस दौरान उन्होंने जू में जानवरों के खानपान की व्यवस्था व अन्य सुविधाओं का जायजा लिया – आकांक्षा महाजन, डीआईजी, सेंट्रल जू अथॉरिटी, दिल्ली

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