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जियोथर्मल स्प्रिंग्स से बिजली उत्पादन पर साइंटिस्ट को संदेह! इधर जल्द होने वाला है MoU, जानें पूरा मामला - GEOTHERMAL ENERGY PLANT

उत्तराखंड और आइसलैंड सरकार के बीच जियोथर्मल पावर प्लांट के लिए एमओयू साइन होने जा रहा है. लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रोजेक्ट पर संदेह जताया है.

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वैज्ञानिक जता रहे जियोथर्मल स्प्रिंग्स से बिजली उत्पादन पर संदेह (PHOTO- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 14, 2025, 4:39 PM IST

Updated : Jan 14, 2025, 6:02 PM IST

देहरादून (रोहित सोनी):उत्तराखंड सरकार इसी महीने आइसलैंड सरकार के साथ जियोथर्मल पावर प्लांट लगाने संबंधित MoU साइन कर सकती है. चमोली जिले के तपोवन स्थित जियोथर्मल स्प्रिंग पर पावर प्लांट लगाया जा सकता है. जहां एक ओर राज्य सरकार इसको लेकर काफी उत्साहित नजर आ रही है. वहीं, दूसरी ओर वैज्ञानिक प्रदेश में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स का बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल की अधिक संभावनाओं पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रदेश में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स का लोकल ग्रीन नीड्स के लिए इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद रहेगा. जबकि पावर जेनरेट करने के लिए हाइब्रिड मोड पर जाना होगा.

उत्तराखंड में ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स के साथ ही सोलर एनर्जी और जियोथर्मल पावर प्रोजेक्ट्स पर भी विशेष जोर दे रही है. इसी क्रम में राज्य सरकार अगले कुछ दिनों में आइसलैंड सरकार के साथ MoU साइन करने जा रही है. ताकि प्रदेश में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स से बिजली बनाने के सपने को साकार किया जा सके. फिलहाल, आइसलैंड सरकार के साथ MoU साइन करने के लिए भारत सरकार से हरी झंडी मिल चुकी है. संभावना जताई जा रही है कि 15 जनवरी के बाद जल्द ही उत्तराखंड और आइसलैंड सरकार के बीच एमओयू साइन हो सकता है.

उत्तराखंड और आइसलैंड सरकार के बीच जियोथर्मल पावर प्लांट के लिए एमओयू (VIDEO - ETV Bharat)

लद्दाख में चल रही प्लांट स्टडी: जहां एक ओर उत्तराखंड सरकार जल्द ही आइसलैंड गवर्नमेंट के साथ एमओयू साइन करने जा रही है. वहीं, दूसरी ओर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक उत्तराखंड में जियोथर्मल पावर प्लांट लगाए जाने पर संदेह जता रहे हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक समीर तिवारी ने बताया कि जियोथर्मल पावर प्लांट की स्टडी लद्दाख के पुंगा में चल रही है. पुंगा में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स पर एक मेगावाट का पावर प्लांट लगाए जाने को लेकर ओएनजीसी और आइसलैंड काम कर रहा है. हालांकि, लद्दाख में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग, जियोथर्मल एक्सप्लोरेशन के लिए सबसे अच्छी लोकेशन है.

उत्तराखंड जियोथर्मल स्प्रिंग्स (PHOTO- ETV Bharat)

उत्तराखंड में सेलो सोर्स कैटेगरी: साथ ही समीर ने बताया कि लद्दाख का जो टेक्निक सेटअप है, वो उत्तराखंड से काफी अधिक अलग है. यही नहीं, लद्दाख और उत्तराखंड में काफी अधिक भिन्नता है. जिसके तहत अवेलेबिलिटी ऑफ जियोथर्मल रिसोर्स और सर सरफेस रिजर्वॉयर शामिल है. मुख्य रूप से विश्व भर में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स को तीन कैटेगरी में रखा गया है. जिसमें डीप सोर्स, मिड सोर्स और सेलो सोर्स शामिल है. लिहाजा, लद्दाख में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स को मिड सोर्स की कैटेगरी में रखा गया है. जबकि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के साथ ही नॉर्थ ईस्ट में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स को सेलो सोर्स में रखा गया है.

उत्तराखंड में 120 से 140 डिग्री सेल्सियस के तीन स्प्रिंग्स: तिवारी ने बताया कि उत्तराखंड में करीब 40 जियोथर्मल स्प्रिंग्स मौजूद हैं, जिनकी मैपिंग की जा चुकी है. लेकिन प्रदेश में मौजूद इन सभी जियोथर्मल स्प्रिंग्स से वर्तमान समय में इलेक्ट्रिसिटी का उत्पादन करना काफी मुश्किल है. क्योंकि सभी फील्ड अभी ग्रीन फील्ड है. किसी भी जियोथर्मल स्प्रिंग्स का डीप सर्वे नहीं हुआ है कि इन स्प्रिंग्स से कितनी मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जा सकता है और इसकी संभावना क्या है. साथ ही बताया कि प्रदेश में मौजूद तीन स्प्रिंग्स ऐसे हैं, जहां का तापमान 120 से 140 डिग्री सेल्सियस है. जबकि मैक्सिमम डेप्थ करीब एक से डेढ़ किलोमीटर है.

उत्तराखंड और आइसलैंड सरकार के बीच जियोथर्मल पावर प्लांट को लेकर होगा MoU. (PHOTO- ETV Bharat)

बिजली उत्पादन के लिए बाइनरी पावर प्लांट जरूरी: चमोली जिले के जोशीमठ में 90 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान मिल रहा है. लेकिन लोगों को ये नहीं पता है कि 1970 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने जोशीमठ में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स में करीब 450 मीटर तक ड्रिल किया था. जिसके चलते इस जियोथर्मल स्प्रिंग्स के सरफेस पर आज 90 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान मिल रहा है. इसके अलावा, यमुनोत्री में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स का तापमान 89 डिग्री सेल्सियस है जो कि नेचुरल है. साथ ही बताया कि किसी भी स्प्रिंग्स से डायरेक्ट बिजली का उत्पादन नहीं किया जा सकता है. ऐसे में बाइनरी पावर प्लांट के जरिए बिजली का उत्पादन किया जा सकता है.

वैज्ञानिक समीर तिवारी ने बताया कि ऐसे में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पावर प्लांट लगा सकते हैं. लेकिन कितनी बिजली उत्पन्न होगी? ये इंटेंस सर्वे में बाद ही पता चल पाएगा. साथ ही बताया कि जब आइसलैंड का डीप ड्रिलिंग प्रोग्राम चल रहा था, उस दौरान वो वहीं पर थे. स्प्रिंग्स में ड्रिलिंग के लिए पांच बेल बनाए गए थे. साथ ही 5 किलोमीटर डेप्थ एस्टीमेट था. लेकिन इस ड्रिलिंग में 70 फीसदी बेल फेल हो गया था.

3 स्प्रिंग्स का तापमान 120 से 140 डिग्री सेल्सियस (PHOTO- ETV Bharat)

आइसलैंड में 80 फीसदी एनर्जी जियोथर्मल स्प्रिंग्स से उत्पन्न:वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जियोथर्मल पॉलिसी तैयार हो चुकी है. जिसमें परामर्श विभागों से ओपिनियन लिया जा रहा है. इसके बाद जियोथर्मल पॉलिसी को मंत्रिमंडल के सम्मुख रखा जाएगा. साथ ही बताया कि जियोथर्मल एनर्जी के क्षेत्र में आइसलैंड देश सबसे आगे है. क्योंकि अपने देश का 80 फीसदी एनर्जी जियोथर्मल स्प्रिंग्स से उत्पन्न कर रहा है. ऐसे में आइसलैंड गवर्नमेंट की ओर से एक प्रपोजल उत्तराखंड सरकार को प्राप्त हुआ था. जिसमें ये कहा गया था कि आइसलैंड में काम कर रही एक कंपनी उत्तराखंड के एक जियोथर्मल स्प्रिंग्स पर फिजिबिलिटी स्टडी करेगी, जिसका सारा खर्च भी आइसलैंड की कंपनी ही वहन करेगी.

उत्तराखंड में करीब 40 जियोथर्मल स्प्रिंग्स मौजूद. (PHOTO- ETV Bharat)

15 जनवरी के बाद MoU होगा साइन: ऐसे में आइसलैंड सरकार और उत्तराखंड सरकार के बीच MoU साइन किया जाना है. चूंकि किसी अन्य देश के साथ एमओयू साइन किया जाना है. लिहाजा, एमओयू की कॉपी भारत सरकार की एक्सटर्नल अफेयर्स मंत्रालय को भेजी गई थी. साथ ही उनसे इस एमओयू के लिए परमिशन मांगा गया था. इसके बाद भारत सरकार से अनुमति प्राप्त हो गई है. ताकि उत्तराखंड सरकार, आइसलैंड गवर्नमेंट के साथ एमओयू कर सके. लिहाजा 15 जनवरी के बाद कभी भी एमओयू साइन हो सकता है.

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Last Updated : Jan 14, 2025, 6:02 PM IST

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