नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के विद्यार्थी अब खुशी का विज्ञान (साइंस ऑफ हैप्पीनेस) सीख सकेंगे. गुरुवार को इसे लेकर डीयू एवं उसके पांच कॉलेजों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए. इसके तहत डीयू और इन कॉलेजों में रेखी फाउंडेशन फॉर हैप्पीनेस के साथ मिलकर रेखी सेंटर ऑफ एक्सिलेन्स फॉर द साइंस ऑफ हैप्पीनेस स्थापित किए जाएंगे. दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह की उपस्थिति में विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने प्रतिनिधत्व किया. जबकि, रेखी फाउंडेशन फॉर हैप्पीनेस का प्रतिनिधित्व डॉ. सतिंदर सिंह रेखी ने किया.
कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि जीवन में खुशी सबसे जरूरी है. साइंस ऑफ हैप्पीनेस के विचार और इसकी आवश्यकता को समझते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने विभागों/कॉलेजों में चलने वाले कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम में साइंस ऑफ हैप्पीनेस के कोर्स को शामिल करने का निर्णय लिया है. इस अवसर पर दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह और पीआरओ अनूप लाठर सहित पांचों कॉलेजों की प्रिंसिपल भी उपस्थित रहीं.
अगले शैक्षणिक सत्र से किया जाएगा शुरू:कुलपति ने बताया कि इसे अगले शैक्षणिक स्तर से शुरू किया जाएगा. रेखी फाउंडेशन फॉर हैप्पीनेस इस पाठ्यक्रम को विकसित कर उसे डीयू से साथ साझा करेगा. यह एक दिशा-निर्देश के प्रयोजनों के लिए होगा और डीयू अपने पाठ्यक्रम और क्रेडिट संरचना के अनुरूप इसे संशोधित कर सकता है. पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देने के बाद डीयू इसे अधिसूचित करेगा और इससे जुड़े कॉलेज, साइंस ऑफ हैप्पीनेस के पाठ्यक्रम की पेशकश के लिए आवश्यक व्यवस्था कर सकते हैं. फिलहाल डीयू अपने विद्यार्थियों के लिए साइंस ऑफ हैप्पीनेस पाठ्यक्रम को वैकल्पिक विषयों के रूप में अपनाएगा. धीरे-धीरे इसे मेजर/माइनर विषयों में भी शामिल किया जा सकता है.
रेखी फाउंडेशन की रहेगी अहम भूमिका:उन्होंने आगे बताया कि डॉ. सतिंदर सिंह रेखी और रेखी फाउंडेशन के अन्य फैकल्टी को, विश्वविद्यालय-कॉलेजों में मानद विशेषज्ञ फैकल्टी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. रेखी फाउंडेशन, डीयू के उन संकाय सदस्यों के लिए प्रशिक्षण-क्षमता निर्माण का आयोजन करेगा, जो इसे पढ़ाने की इच्छा रखते हैं. ये प्रशिक्षित संकाय सदस्य विभागों/कॉलेजों में ये पाठ्यक्रम पढ़ाएंगे.