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केदारनाथ और बद्रीनाथ की तरह बिहार में भी है एक धाम, यहां भस्मासुर के डर से छुप गए थे भगवान भोलेनाथ - Kedarnath of Bihar

Rohtas Gupta Dham: जिस तरह लोग तमाम मुश्किलें पार करके लोग भोलेनाथ के दर्शन के लिए केदारनाथ और बद्रीनाथ जाते हैं, ठीक इसी तरह बिहार के रोहतास में एक और धाम है, जिसे गुप्‍ता धाम के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड में है, जो गुप्‍ताधाम के नाम से भी मशहूर है. ऐसी मान्यता है कि भस्मासुर शिव को भस्म करने के लिए दौड़ा तो भगवान शिव भागकर इस गुफा के गुप्‍त स्‍थान पर छिप गए थे. पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 6, 2024, 6:37 PM IST

गुप्ता धाम मंदिर में पूजा अर्चना करते शिव भक्त (ETV BHARAT)

रोहतास: बिहार के रोहतास में गुप्ता धाम भी केदारनाथ और बद्रीनाथ से कम नहीं है. जिस तरह लोग तमाम मुश्किलें पार करके लोग भोलेनाथ के दर्शन के लिए केदारनाथ और बद्रीनाथ जाते हैं. ठीक इसी तरह यहां सावन में कंदराओं में विराजमान भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्त पांच दुर्गम पहाड़ी और नदियों को पार कर पहुंचते हैं. गुफा में भक्तों की सांसे भी थम जाती है. इसके बावजूद प्रसिद्ध गुप्ता धाम में गुफा में विराजमान शिवलिंग पर जलाभिषेक करने को लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं.

गुफा के अंदर होती है ऑक्सीजन की कमी: गुफा के अंदर प्रवेश करने पर यहां ऑक्सीजन की कमी के कारण सांसे फूलने लगती हैं. हालांकि प्रशासन के द्वारा दावा किया जाता है कि पर्याप्त मात्रा में यहां ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की जाती है. बताते हैं कि साल 1989 में इस कारण आधा दर्जन से ज्‍यादा लोगाें की मौत हो गई थी. लेकिन फिर भी हर साल लोग भोलेनाथ पर भरोसा करके इस गुफा में पहुंचते हैं.

गुप्ताधाम में प्रवेश करते शिव भक्त (ETV BHARAT)

पांच दुर्गम पहाड़ियों को पार कर पहुंते हैं धाम :इस गुफा तक पहुंचने का रास्‍ता आसान नहीं है. जिला मुख्यालय सासाराम से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुप्ता धाम में शिवलिंग को दर्शन करने के लिए रेहल, पनारी घाट, उगहनी घाट और चेनारी से भी रास्ते हैं. इसके बाद यहां से 18 किलोमीटर दूर पैदल चलकर श्रद्धालु गुप्ता धाम पहुंचते हैं. गुफा तक पहुंचने के लिए भक्‍तों को दुर्गावती नदी को पांच बार और पांच पहाड़ियों की यात्रा करने के बाद इस गुफा तक पहुंचने का सौभाग्‍य प्राप्‍त होता है.

"अरवल से आए हैं. यहां जो मन्नतें मांगी जाती हैं वह पूरी होती है. घर में छोटी गोतनी निःसंतान थी. हमलोगों ने मन्नत मांगी तो वह पूरी हो गई. इसके बाद से ही गुप्ता धाम हर साल आना होता है."-रुक्मिणी देवी, श्रद्धालु

जलाभिषेक करने से मुराद होती हो पूरी: बिहार में प्राकृतिक शिवलिंगों में शुमार रोहतास जिले के गुप्तेश्वर धाम की गुफा में स्थित भगवान शिव की महिमा की चर्चा आदिकाल से ही होती आ रही है. ऐसा माना जाता है कि चारों तरफ पहाड़ी से गिरे गुफा की कंदरा में भगवान शिव पर जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मन्नते पूरी हो जाती है.

गुफा में विराजमान शिवलिंग (ETV BHARAT)

"पिछले 25 सालों से हम यहां पूरे परिवार के साथ आते हैं. यहां हर मनोकामना पूर्ण होती है. हर साल यहां भीड़ बढ़ती जा रही है. किसी की नौकरी लग जाती है तो बीमार भी स्वस्थ हो जाते है. गुफा के अंदर में जाने में थोड़ा कष्ट तो जरूर होता है, लेकिन बाबा के दर्शन के बाद सारा कष्ट दूर हो जाता है."- सुंदर श्रद्धालु

दूसरे राज्य से भक्त आकर करते हैं जलाभिषेक:बिहार के ऐतिहासिक गुप्‍तेश्‍वर महादेव में बक्‍सर से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है. खासतौर से सावन और शिवरात्रि में बिहार, झारखंड, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और नेपाल से भी भक्‍त यहां आकर जलाभिषेक करते हैं.

वन विभाग ने बंद किया रास्ता: दरअसल, पिछले साल सावन के महीने में दुर्गम रास्ते से जाने के दौरान कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे. जिसको देखते हुए वन विभाग के द्वारा गुप्ता धाम जाने वाले सड़क मार्ग को बंद कर दिया गया है. ऐसे में सभी प्रकार के वाहनों का प्रवेश दुर्गावती जलाशय के पास ही रोका गया है. बीते रात से ही सैकड़ों श्रद्धालु विभिन्न गाड़ियों के साथ गेट के पास खड़े हैं और गुप्ता धाम जाने के लिए रास्ते खोले जाने की मांग कर रहे हैं.

रोहतास का गुप्ता धाम मंदिर (ETV BHARAT)

"गुप्ता धाम में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने को लेकर काशी, बक्सर से जल लेकर देश के कोने से श्रद्धालु यहां आते हैं और गुफा के अंदर शिव पर जलाभिषेक करते हैं. सभी की भगवान भोले उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं. पूरे सावन यहां मेला सा लगा रहता है. पर्वत से घिरे गुप्ता धाम पर लोग पहाड़ चढ़ कर लोग आते हैं."-राजबली सिंह, पुजारी

गुप्‍ता धाम का इतिहास: प्राचीन कथा के अनुसार एक बार भस्मासुर भोलेनाथ को खुश करने के लिए तपस्‍या कर रहा था. उसकी तपस्‍या देखकर भगवान शिव खुश हो गए. उन्‍होंने भस्‍मासुर से कहा कि हम तुम्‍हारी तपस्‍या से प्रसन्‍न हैं, जो वरदान मांगना चाहते हो मांगों. भस्मासुर ने वरदान मांगा कि मैं जिस किसी के भी सिर पर हाथ रखूं वह भस्‍म हो जाए. भस्‍मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर भगवान शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने की के लिए उन्‍हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़े तब भगवान शिव भागकर इस गुफा के गुप्‍त स्‍थान पर छिप गए थे.

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