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'कुर्सी घर से लाओ, नहीं तो जमीन पर बैठो या खड़ी रहो', सतना में महिला सरपंच का ऐसा अपमान - Satna Female Sarpanch Insult

सतना जिले में एक महिला सरंपच को ग्राम सभा की बैठक में बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिली. उप सरपंच और सचिव द्वारा उनको घर से कुर्सी लाने, नहीं तो जमीन पर बैठने या फिर खड़े रहने को कहा गया. सरपंच ने मामले की शिकायत की है. कांग्रेस ने इसको लेकर बीजेपी को दलित विरोधी मानसिकता वाली सरकार बताया है.

SATNA FEMALE SARPANCH INSULT
पंचायत की बैठक में कुर्सी नहीं मिलने पर खड़ी हुई महिला सरपंच (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 27, 2024, 4:44 PM IST

सतना: जिले में एक महिला सरपंच को अपमानित करने का मामला सामने आया है. जहां पर गांव में आयोजित ग्राम सभा के दौरान महिला सरपंच को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं दी गई, उल्टा उसे घर से कुर्सी लाने के लिए कह दिया गया. महिला सरपंच ने दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है. कांग्रेस ने इस मामले को मुद्दा बना लिया है. इसको लेकर कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके भाजपा को दलित विरोधी मानसिकता की सरकार बताया है.

मामले की जानकारी देती हुईं सरपंच श्रद्धा सिंह (ETV Bharat)

'अपने घर से कुर्सी लाओ, नहीं तो जमीन पर बैठो'

मामला सतना जिले के रामपुर बघेलान के ग्राम पंचायत अकौना का है. सरपंच श्रद्धा सिंह ने बताया कि,"गांव में 17 अगस्त को ग्राम सभा की बैठक थी. जब वो बैठक में पहुंचीं और बैठने के लिए कुर्सी मांगी तो उप सरपंच और सचिव ने उन्हें कुर्सी देने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर कुर्सी चाहिए तो अपने घर से लेकर आओ, नहीं तो जमीन पर बैठ जाओ या फिर खड़े रहो." सरपंच का आरोप है कि,"इसके दो दिन पहले राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त को उन्हें झंडा नहीं फहराने दिया गया. जबकि पंचायत द्वारा तय किया गया था कि पंचायत भवन में ध्वजारोहण सरपंच द्वारा ही किया जाना है, यही राज्य सरकार का आदेश भी था."

स्वतंत्रता दिवस पर अकौना में ध्वजारोहण की तस्वीर (ETV Bharat)

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प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा पर बोला हमला

महिला सरपंच ने इसकी शिकायत कलेक्टर, एसडीएम सहित पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से भी की है और दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है. वहीं, कांग्रेस ने इस मामले को लेकर सरकार को घेरा है. एमपी कांग्रेस के सोशल साइट एक्स पर पोस्ट में लिखा है, "ये मामला बेहद गंभीर है, इसमें दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. BJP के जंगलराज में दलितों और आदिवासियों के अपमान और अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. ऐसी घटनाएं मोदी सरकार की 'दलित विरोधी' मानसिकता का सबूत हैं, जहां उनके अधिकार छीने जाते हैं और आवाज उठाने पर उनका स्वाभिमान कुचला जाता है. साफ है- मोदी सरकार में दलित और आदिवासी समाज सुरक्षा, समानता और सम्मान के लिए संघर्ष करने को मजबूर है."

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