लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. मात्र तीन से चार दिन नामांकन दाखिल करने के लिए बचे हैं. लेकिन समाजवादी पार्टी अभी पहले चरण की दो सीटों के अलावा करीब दो दर्जन लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों का चयन नहीं कर पाई है. इनमें सपा की कोर सीटें मैनपुरी, कन्नौज, इटावा और रामपुर भी शामिल हैं, जिन पर अभी तक उम्मीदवार का चयन नहीं हुआ है.
समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन के अंतर्गत लोकसभा चुनाव लड़ रही है. पहले तो इंडिया गठबंधन के स्तर पर तमाम तरह की खींचतान देखने को मिल रही थी। लेकिन जब सीट शेयरिंग का फार्मूला तय हो गया, उसके बाद भी अखिलेश यादव कई प्रमुख सीटों पर अपने उम्मीदवारों का चयन नहीं कर पा रहे हैं. परिवार से जुड़े नेताओं को भी इधर-उधर करके अखिलेश यादव अपना सियासी समीकरण भी बिगाड़ रहे हैं.
सपा की चार प्रमुख सीटें: समाजवादी पार्टी के लिए मैनपुरी, कन्नौज, इटावा और रामपुर महत्वपूर्ण सीट मानी जाती हैं. क्योंकि, मैनपुरी से सपा 8 बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी है. रामपुर को सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान का गढ़ कहा जाता है.
चाचा शिवपाल को दिया बदायूं: अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव को बदायूं से टिकट दिया है. जबकि शिवपाल आजमगढ़ या इटावा से टिकट मांग रहे थे. बदायूं से उम्मीदवारी तय होने के बाद से चाचा नाराज भी हैं, जिसके चलते वे टिकट की घोषणा होने के दो दिन बाद बदायूं पहुंचे और मोर्चा संभाला. शिवपाल यादव अपने टिकट और अखिलेश के फैसले से नाखुश बताए जा रहे हैं.
भाई धर्मेंद्र को भी नहीं मिली मनमुताबिक सीट: अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव बदायूं लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. सपा की पहली लिस्ट में बदायूं से धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार भी बनाया गया था. लेकिन, बाद में अखिलेश यादव ने धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से टिकट दे दिया और बदायूं सीट पर चाचा शिवपाल सिंह यादव को उम्मीदवार बना दिया. ऐसे में धर्मेंद्र यादव भी इस टिकट से संतुष्ट नहीं बताए जा रहे.
अखिलेश के परिवार में सब कुछ ठीक नहीं: परिवार और समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं का तर्क है कि अखिलेश यादव पार्टी व परिवार के अंदर सब कुछ सही होने की बात भले ही करें लेकिन, सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
आजम खान के गढ़ रामपुर में सपा का उम्मीदवार तय नहीं: लोकसभा चुनाव के पहले चरण की सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है लेकिन, अखिलेश यादव अभी तक दो महत्वपूर्ण सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतार पाए हैं. इनमें सबसे प्रमुख सीट सपा के मुस्लिम चेहरे पूर्व मंत्री आजम खान का गृह नगर रामपुर भी है. अखिलेश यादव जेल में बंद आजम खान से मिलने सीतापुर भी पहुंचे थे और माना जा रहा है कि उन्होंने रामपुर के उम्मीदवार को लेकर चर्चा की है.
आजम खान अपनी मुंह बोली बेटी को दिलाना चाहते हैं रामपुर से टिकट:सूत्रों का दावा है कि आजम खान अपनी मुंह बोली बेटी एकता कौशिक को रामपुर से चुनाव लड़वाना चाहते हैं. अखिलेश यादव उन्हें जल्द ही रामपुर सीट से उम्मीदवार घोषित कर सकते हैं.
मुरादाबाद से भी सपा का उम्मीदवार घोषित नहीं:पहले चरण में मुरादाबाद सीट पर भी चुनाव है. समाजवादी पार्टी यहां से भी उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है. सपा नेताओं का दावा है कि मुरादाबाद सीट से वर्तमान सांसद एसटी हसन के एक बार फिर चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बना हुआ है. अखिलेश यादव इस बार इस सीट पर नासिर कुरैशी को टिकट दे सकते हैं.
हालांकि, समाजवादी पार्टी के विधायक कमाल अख्तर भी मुरादाबाद से चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहे हैं. ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव किसका लोकसभा चुनाव के लिए टिकट फाइनल करते हैं.
अखिलेश यादव नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव 2024:समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाली कन्नौज लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव के खुद चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं. लेकिन, यह लगभग तय हो चुका है कि अखिलेश लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. नेता प्रतिपक्ष के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा में काम करते हुए योगी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते रहेंगे और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी सियासी जमीन तैयार करने का काम करते रहेंगे.
कन्नौज से तेज प्रताप हो सकते हैं उम्मीदवार: कन्नौज सीट पर अखिलेश यादव परिवार के सदस्य तेज प्रताप यादव को चुनाव लड़वा सकते हैं. सपा से जुड़े नेताओं का यह भी कहना है कि तेज प्रताप यादव की पत्नी व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लाल यादव की बेटी राजलक्ष्मी को भी परिवार के कुछ सदस्य चुनाव लड़ाने के पक्ष में हैं. हालांकि, तेज प्रताप लडे़ या उनकी पत्नी राजलक्ष्मी यह सीट परिवार के हिस्से में ही जाने वाली है.
बिजनौर सीट पर टिकट घोषित पर खींचतान जारी:इसी तरह पश्चिम उत्तर प्रदेश की बिजनौर सीट पर समाजवादी पार्टी ने यशवीर सिंह को टिकट दिया है. हालांकि, इस सीट पर उम्मीदवार बदलने की चर्चा समाजवादी पार्टी के अंदर खींचतान चल रही है. सूत्रों का कहना है कि इस सीट पर सपा के विधायक पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुस्लिम नेता शाहिद मंजूर को भी टिकट दिया जा सकता है. वह अखिलेश यादव से कई बार मुलाकात कर चुके हैं और बिजनौर से चुनाव लड़ने की अपनी प्रबल इच्छा भी जता चुके हैं.
कैसरगंज से सपा का उम्मीदवार घोषित नहीं:समाजवादी पार्टी अभी कैसरगंज सीट पर भी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर सकी है. सपा से जुड़े नेताओं का कहना है कि कैसरगंज में बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह को टिकट मिलने या न मिलने का भी इंतजार किया जा रहा है. हालांकि, बीजेपी से जुड़े नेताओं का कहना है कि बृजभूषण शरण सिंह को बीजेपी एक बार फिर चुनाव लड़ाने जा रही है और जल्द ही उनका टिकट घोषित कर दिया जाएगा. सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि बातचीत चल रही है. जल्द ही सभी सीटों पर उम्मीदवार घोषित हो जाएंगे.
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