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KGMU में पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स ट्रॉमा सेंटर का जल्द होगा निर्माण, एक ही भवन में होगी सभी जांच - LUCKNOW HEALTH FACILITY

हड्डी की बीमारी से पीड़ित बच्चों को मिल सकेगा बेहतर इलाज.

KGMU में पीडियाट्रिक सेंटर का होगा निर्माण
KGMU में पीडियाट्रिक सेंटर का होगा निर्माण (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 7, 2025, 11:27 AM IST

लखनऊ: केजीएमयू में हड्डी की बीमारी से पीड़ित बच्चों को और बेहतर इलाज मिलेगा. हादसे में फ्रैक्चर आदि के शिकार बच्चों के लिए अलग से वार्ड बनेगा. ट्रॉमा सेंटर के सामने चार मंजिला डायग्नोस्टिक भवन बनेगा. इसमें एक तल पर पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स ट्रॉमा सेंटर बनेगा. इसमें हड्डी से जुड़ी बीमारी से पीड़ित बच्चों का 24 घंटे इलाज होगा. ऑपरेशन की सुविधा होगी. यह जानकारी केजीएमयू कुलपति पद्मश्री डॉ. सोनिया नित्यानंद ने दी.


डॉ. सोनिया नित्यानंद गुरुवार को शताब्दी फेज-2 के प्रेक्षागृह में पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स विभाग के पहले स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहीं थीं. नित्यानंद ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर के सामने डायग्नोस्टिक भवन बन रहा है. उसमें एक तल पर पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स ट्रॉमा बनाया जाएगा. इसमें 20 बेड होंगे. इमरजेंसी में हड्डी से जुड़ी बीमारी लेकर आने वाले बच्चों को इलाज मुहैया कराया जाएगा. एक्सरे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड व पैथोलॉजी से जुड़ी जांचें भी इसी भवन में होंगी. इससे बच्चे को लेकर एक से दूसरे विभाग तक दौड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दो ऑपरेशन थिएटर होंगे. पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड होगा. अभी ट्रॉमा सेंटर में पीडियाट्रिक आर्थोपैडिक्स यूनिट में बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं.

भोपाल एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि बच्चों में जन्मजात हड्डी से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. समय पर इलाज से बीमारी को आसानी से ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बच्चों की हड्डियां नरम होती है. लिहाजा प्लास्टर आदि से बच्चों का पैर सीधा किया जा सकता है. देरी होने पर ऑपरेशन ही विकल्प बचता है.

पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. विकास वर्मा ने विभाग की प्रगति रिपोर्ट पेश की. उन्होंने कहा कि बीते साल करीब 18 हजार मरीज ओपीडी में देखे गए. प्रतिदिन पांच से छह बच्चों के ऑपरेशन कर राहत पहुंचाई जा रही है. हड्डी से जुड़ी जन्मजात बीमारियों के साथ अधिक बच्चे आ रहे हैं. इसमें क्लब फुट, फ्रैक्चर, डीडीएच आदि दूसरी बीमारी शामिल हैं. डॉ. सैय्यद फैसल अफाक ने बताया कि विभाग में एमसीएच की पढ़ाई हो रही है. इससे विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करने में मदद मिल रही है.

लखनऊ: केजीएमयू में हड्डी की बीमारी से पीड़ित बच्चों को और बेहतर इलाज मिलेगा. हादसे में फ्रैक्चर आदि के शिकार बच्चों के लिए अलग से वार्ड बनेगा. ट्रॉमा सेंटर के सामने चार मंजिला डायग्नोस्टिक भवन बनेगा. इसमें एक तल पर पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स ट्रॉमा सेंटर बनेगा. इसमें हड्डी से जुड़ी बीमारी से पीड़ित बच्चों का 24 घंटे इलाज होगा. ऑपरेशन की सुविधा होगी. यह जानकारी केजीएमयू कुलपति पद्मश्री डॉ. सोनिया नित्यानंद ने दी.


डॉ. सोनिया नित्यानंद गुरुवार को शताब्दी फेज-2 के प्रेक्षागृह में पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स विभाग के पहले स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहीं थीं. नित्यानंद ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर के सामने डायग्नोस्टिक भवन बन रहा है. उसमें एक तल पर पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स ट्रॉमा बनाया जाएगा. इसमें 20 बेड होंगे. इमरजेंसी में हड्डी से जुड़ी बीमारी लेकर आने वाले बच्चों को इलाज मुहैया कराया जाएगा. एक्सरे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड व पैथोलॉजी से जुड़ी जांचें भी इसी भवन में होंगी. इससे बच्चे को लेकर एक से दूसरे विभाग तक दौड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दो ऑपरेशन थिएटर होंगे. पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड होगा. अभी ट्रॉमा सेंटर में पीडियाट्रिक आर्थोपैडिक्स यूनिट में बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं.

भोपाल एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि बच्चों में जन्मजात हड्डी से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. समय पर इलाज से बीमारी को आसानी से ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बच्चों की हड्डियां नरम होती है. लिहाजा प्लास्टर आदि से बच्चों का पैर सीधा किया जा सकता है. देरी होने पर ऑपरेशन ही विकल्प बचता है.

पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. विकास वर्मा ने विभाग की प्रगति रिपोर्ट पेश की. उन्होंने कहा कि बीते साल करीब 18 हजार मरीज ओपीडी में देखे गए. प्रतिदिन पांच से छह बच्चों के ऑपरेशन कर राहत पहुंचाई जा रही है. हड्डी से जुड़ी जन्मजात बीमारियों के साथ अधिक बच्चे आ रहे हैं. इसमें क्लब फुट, फ्रैक्चर, डीडीएच आदि दूसरी बीमारी शामिल हैं. डॉ. सैय्यद फैसल अफाक ने बताया कि विभाग में एमसीएच की पढ़ाई हो रही है. इससे विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करने में मदद मिल रही है.

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