MP Elephant Death Forensic Report: मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 जंगली हाथियों की मौत के मामले में जबलपुर के नानाजी देशमुख स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ और सागर स्टेट फॉरेंसिक लैबरेटरी ने अपनी रिपोर्ट वन विभाग को सौंप दी है. रिपोर्ट में 10 हाथियों की मौत की वजह विषाक्तता बताई गई है. अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव एल. कृष्णमूर्ति के मुताबिक, ''केन्द्र और राज्य की 3 लैबोरेटरी की रिपोर्ट मिल चुकी है. उनके निष्कर्ष में सामने आया है कि हाथियों की मौत ज्यादा मात्रा में फंगल लगी कोदो फसल खाने से हुई है. अब विभाग को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की रिपोर्ट का इंतजार है. इसमें घटनास्थल से कोदो की फसल के सैंपल लिए गए थे. इससे पता चलेगा कि इसमें जगह प्राकृतिक है या फिर कृत्रिम.''
फॉरेंसिक लैब रिपोर्ट ने खोला हाथियों की मौत का राज, कोदो पर क्या था जिसने ली जान
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत से पर्दा उठ गया है. मध्य प्रदेश में गजराज हादसे में असल वजह जहर जरुर है मगर ये कोदो की फसल पर आया कैसे? जानें.
By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : Nov 8, 2024, 12:34 PM IST
|Updated : Nov 8, 2024, 1:15 PM IST
रिपोर्ट में जहरीले पदार्थ की हुई पुष्टि
अभी तक वन विभाग को प्राप्त हुई तीनों जांच रिपोर्ट में हाथियों के विसरा में जहरीले पदार्थ की पुष्टि हुई है. हालांकि मृत हाथियों की खून की जांच में किसी भी तरह के कीटनाशक, भारी धातु और हर्पीज वायरस नहीं मिले हैं. वन विभाग ने 5 नवंबर को केन्द्र सरकार के इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली, उत्तप्रदेश की रिपोर्ट के आधार पर मृत हाथियों के विसरा सैंपल में साइक्लोपियन जनिक एसिड पाया गया है. इससे पता चलता है कि हाथियों ने ज्यादा मात्रा में खराब कोदो की फसल खाई है. गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 29 और 30 अक्टूबर की रात 4-4 और 31 अक्टूबर को 2 हाथियों की मौत हो गई थी.
- शहडोल में दहशत, बांधवगढ़ में हाथियों की मौत का बदला लेने निकला गजराज का कुनबा!
- बांधवगढ़ के जंगल में एक एक कर जमीन पर गिरे हाथी, 7 के प्राण पखेरु उड़ गए, जांच शुरु
अब कॉलर आईडी से होगी हाथियों की निगरानी
उधर, इस घटना के बाद राज्य सरकार प्रदेश के जंगलों में घूम रहे हाथियों की निगरानी टाइगर के तरह करने जा रही है. इसके लिए हाथियों के झुंड में से एक हाथी के गले में सैटेलाइन कॉलर लगाई जाएगी. इससे हाथियों की रिएल लोकेशन लगातार पता चलती रहेगी. इसका एक्सेस संबंधित जिले के डीएफओ और वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के कंट्रोल कमांड सेंटर को मिलेगा. इस तरह का प्रयोग कर्नाटक में किया जा चुका है और यह सफल भी रहा है. कर्नाटक वाइल्ड लाइफ मुख्यालय इसमें मदद करेगा. हाथी हमेशा झुंड में होते हैं, इसलिए किसी एक हाथी को ही कॉलर लगाई जाएगी.