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मध्य प्रदेश में MSP नहीं खाद ने किसानों को रुलाया, जरूरत के हिसाब से महज 20 फीसदी का स्टॉक

मध्य प्रदेश में खाद का संकट गहराता जा रहा है. दिन-रात किसान लाइनों में लगे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रहा. जरूरत के हिसाब से महज 20 फीसदी उपलब्ध है.

MP FARMERS NOT GETTING FERTILIZERS
मध्य प्रदेश में MSP नहीं खाद ने किसानों को रुलाया (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

सागर:मध्य प्रदेश में किसान रबी की फसल की बुवाई में जुट गया है. हर साल की तरह इस साल भी किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है. आलम ये है कि किसान ने बुवाई के लिए खेत तैयार कर लिए हैं, लेकिन खाद ना मिलने के कारण बोवनी में देरी हो रही है. मध्य प्रदेश में रबी के सीजन में करीब 15 नवम्बर तक बुवाई का काम चलता है. दीपावली का त्यौहार होने के कारण किसान चाह रहे हैं कि समय पर बोवनी करके त्यौहार की तैयारियों में जुट जाएं, लेकिन किसानों को सब काम छोड़कर खाद की लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है.

इसके बावजूद डीएपी खाद उसे हासिल नहीं हो रही है. आलम ये है कि मध्य प्रदेश में किसानों को करीब 7 लाख मीट्रिक टन खाद की जरूरत होती है, लेकिन सरकार के पास महज 1 लाख 38 मीट्रिक टन डीएपी खाद उपलब्ध है. कृषि विभाग लगातार किसानों को डीएपी का विकल्प उपयोग करने की सलाह दे रहा है, लेकिन किसान नए प्रयोग के लिए तैयार नजर नहीं आ रहे हैं.

सागर में खाद के लिए किसान परेशान (ETV Bharat)

मध्यप्रदेश में चारों तरफ डीएपी की मांग

मध्य प्रदेश में रबी की फसलों के अनुसार करीब एक महीने तक फसलों की बुवाई की सिलसिला चलता है. करीब 15 अक्टूबर से शुरू हुआ बुवाई का सिलसिला 15 नवम्बर तक चलता है. ग्वालियर चंबल और मालवा में सरसों और चने की बुवाई बडे़ पैमाने पर सबसे पहले होती है. यहां किसान पिछले एक पखवाडे़ से बुवाई की तैयारियों में लगा है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रही है. वहीं विंध्य और महाकौशल इलाके में धान के अलावा गेंहू और दूसरी फसलें बडे़ पैमाने पर बोई जाती है. यहां भी डीएपी की मांग बुवाई के समय पर एकदम बढ़ जाती है.

खाद की बाट जोहते किसान (ETV Bharat)

बुंदेलखंड अंचल में भी गेंहू और चना की बुवाई का काम शुरू हो गया है. जिन इलाकों में धान बोई जाती है. वहां पर धान की बुवाई सबसे आखिर में होती है. इसलिए वहां अभी खाद के लिए मारामारी नहीं है, लेकिन दूसरे अंचलों में खाद का संकट बडे़ पैमाने पर गहरा गया है. प्रदेश में खेती के तौर तरीकों और फसल के चयन को लेकर सबसे पहले उत्तर और दक्षिण हिस्से में खाद की मांग जोर पकड़ती है. फिर पश्चिमी मध्य प्रदेश और पूर्वी मध्य प्रदेश में खाद की मांग बढ़ती है.

खाद के लिए लाइन में लगे किसान (ETV Bharat)

जरूरत का महज 20 फीसदी खाद उपलब्ध

जहां तक मध्य प्रदेश की बात करें, तो प्रदेश में रबी सीजन की फसल की बुवाई के लिए करीब 7 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत होती है, लेकिन सरकारी आंकड़ों पर गौर करें, तो मौजूदा सीजन के लिए कुल मिलाकर 16.43 लाख मीट्रिक टन अलग-अलग उर्वरक मौजूद है. जिनमें डीएपी की मात्रा 1.38 लाख मीट्रिक टन है. जो की मांग के लिहाज से महज 20 फीसदी है. इसके अलावा दूसरी खादों में 6.88 यूरिया,2.70 एनपीके, 4.08 डीएपी+एनपीके 4.86 एसएसपी 0.61 लाख मीट्रिक टन एमओपी उपलब्ध है.

मध्यप्रदेश में चारों तरफ डीएपी की मांग (ETV Bharat)

किसानों को बोला स्टाॅक खत्म

एक तरफ किसान डीएपी खाद के इंतजार में सुबह से कतारों में खड़ा हो जाता है. खाद वितरण केंद्रों पर किसानों को डीएपी उपलब्ध होने से मना कर दिया गया है. हालत ये है कि किसानों को सिर्फ यूरिया मिल रहा है. जबकि बुवाई के समय डीएपी की जरूरत होती है. किसानों को कहना है कि हम लोगों को साफ तौर पर डीएपी के लिए मना कर दिया गया है. विकल्प के तौर पर नैनो डीएपी खाद का उपयोग करने कहा जा रहा है. जबकि किसान को नैनो डीएपी पर भरोसा नहीं है.

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कृषि विभाग दे रहा है विकल्प अपनाने की सलाह

वहीं कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेन्द्र सिंह राजपूत का कहना है कि 'किसान सिर्फ डीएपी की मांग पर अडे़ हैं. जबकि कृषि विभाग द्वारा डीएपी के विकल्प के तौर पर कई उपाय सुझाए गए हैं. किसान अगर कृषि विभाग की सलाह माने तो समय पर उनकी बुवाई हो जाएगी और किसानों को सब काम छोड़कर खाद के लिए नहीं भटकना पडे़गा. दरअसल किसान नाम से खाद की मांग कर रहे हैं. जबकि उन्हें खाद के फार्मूले पर ध्यान देना चाहिए और दूसरे विकल्प अपनाना चाहिए.'

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