मथुरा :साध्वी ऋतंभरा हिंदुत्व चेहरा हैं. वह जानी-मानी कथा वाचक भी हैं. वह राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ी रहीं हैं. वह अपने तेजस्वी भाषण से लोगों का मन जीत लेती हैं. उन्हें पद्म भूषण अवार्ड के लिए चुना गया है. 1980 और 90 के दशक में साध्वी ऋतंभरा फायर ब्रांड नेता के तौर पर जानी जाती थीं. वृंदावन में रहकर वह गरीब बच्चों, युवतियों और वृद्ध महिलाओं की सहायता के लिए वात्सल्य ग्राम संस्था संचालित करती हैं.
उनकी संस्था में सैकड़ों की संख्या में बच्चे निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. महिलाओं को रहने और उनकी भोजन की भी निशुल्क व्यवस्था है. 1964 में साध्वी ऋतम्भरा का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के छोटे से गांव मंडी दोराहा में हुआ. उनका पहला नाम निशा था. महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के बाद हरिद्वार के संत स्वामी परमानंद गिरी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने उन्हें अपना गुरु मान लिया.
साध्वी ऋतंभरा को पहले भी कई अवार्ड मिल चुके हैं. (Photo Credit; ETV Bharat) इसके बाद संन्यास ग्रहण कर लिया. विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रमों में वह हिस्सा लेने लगीं. 1980 और 90 के दशक में साध्वी ऋतम्भरा को हिंदुत्व चेहरा माना जाता था. वह भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख चेहरा थीं. देशभर में श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. राम मंदिर आंदोलन के दौरान संत और अन्य लोग हिंदूवादी नेता तलाश रहे थे. इस बीच साध्वी ऋतम्भरा अपने गुरु की आज्ञा से श्री राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति की सदस्य बनीं.
यह भी पढ़ें :139 पद्म पुरस्कारों की पूरी लिस्ट जारी, शारदा सिन्हा-ओसामु सुजुकी समेत 7 हस्तियों को पद्म विभूषण
इसके बाद विश्व हिंदू परिषद के मंचों पर देशभर में अपने हिंदुत्व भाषण के जरिए वह लोगों का ध्यान खींचती रहीं. वहं मचों से कहती थीं कि लोकसभा बसंती चोला पहन के जिस दिन आएंगी, गली-गली मेरे भारत की वृन्दावन कहलाएगी, गली-गली मे मात भवानी का गूंजा जयकारा है, कहो गर्व से हम हिन्दू हैं, हिंदुस्तान हमारा है.
राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ी रहीं हैं साध्वी ऋतम्भरा. (Photo Credit; ETV Bharat) राम मंदिर आंदोलन के दौरान साध्वी ऋतंभरा के भाषण देश में आग की तरफ फैल गए थे. चारों तरफ मंचों पर साध्वी का ही नाम छाया रहा था. उनके राजनीतिक विरोधी भी उनके भाषण के कायल थे. उनकी ओजस्वी भाषण हर हिंदू को जगा रहे थे. वह एक ही दिन में 10-10 धर्म सभाएं करती थीं. वर्ष 1992 में अपने गुरु का आशीर्वाद लेकर सामाजिक संस्था परम शक्तिपीठ की स्थापना की. 1997 को सड़क पर निराश्रित हालत में देखकर एक नवजात बच्चा अपनी गोद में उठाकर वृंदावन वात्सल्य यात्रा शुरू की.
वृंदावन में वृद्ध आश्रम की स्थापना की. देश हीं नहीं दुनिया भर के कई अवार्ड साध्वी ऋतंभरा को मिल चुके हैं. मेयर ऑफ दी सिटी ऑफ ह्यूस्टन, मेयर ऑफ दी सिटी ऑफ पियर लैंड, ऑफिस ऑफ दो मेयर ऑफ टेक्सास, कांउटी ऑफ लॉस एंजिल्स, काउंसलेट जररल ऑफ इंडिया इन यूएसए, वत्सल ग्राम के रूप में अद्भुत सामाजिक व्यवस्था निर्मित करने के लिए वात्सल्य ग्राम संस्था का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. इस समय साध्वी ऋतम्भरा दीदी मां शिष्यों के साथ महाकुंभ में हैं. वहीं सूब की जितनी भी शख्सियतों को अवार्ड मिला है, सीएम योगी ने उन्हें और उनके परिजनों को शुभकामनाएं दी हैं.
यह भी पढ़ें :केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद को मिलेगा पदमश्री सम्मान, बोलीं- 'मेरे लिए बहुत ही सुखद'