भोपाल।भारत का अब्दुल्ला 21 साल से पाकिस्तान की जेल में कैद है. इस समय अब्दुल्ला पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ लाहौर में है. एक और भारतीय रमेश 27 मार्च 2014 से पाकिस्तान में कैद में है. फिलहाल ये भी लाहौर के पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ में भर्ती है. पाकिस्तान की जेलों में ऐसे 182 कैदी हैं, जिनमें से कई तो सजा के 20 साल गुजार चुके हैं लेकिन उनकी रिहाई नहीं हुई. भारत से 10 साल बाद कोई नेता जब पाकिस्तान गया है तो उम्मीद बंधी है.
'इंडो पाक आगाज ए दोस्ती' संस्था की मुहिम
ये उम्मीद मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के रहने वाले सैय्यद आबिद हुसैन को भी है. उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से ईटीवी भारत के जरिए अपील की है कि पाकिस्तान की जेलों में जो 182 कैदी हैं, उनकी रिहाई की राह आसान करें. आबिद भारत और पाकिस्तान के बीच अमन-चैन के लिए काम करने वाली संस्था 'इंडो पाक आगाज ए दोस्ती' के एक्टिव मेंबर हैं. दुनिया भर में फंसे भारतीयों की रिहाई करवाने वाले आबिद भाई को बजरंगी भाई भी कहा जाता है.
पाकिस्तान में कैद भारतीयों की रिहाई की अपील
सोशल एक्टिविस्ट आबिद हुसैन अब तक दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फंसे 700 सौ ज्यादा भारतीयों की रिहाई करवा चुके हैं. इनमें से 4 पाकिस्तान की जेल में बंद कैदी भी थे, जिनकी वतन वापसी की राह आबिद की बदौलत आसान हुई. अब जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर नौ साल बाद पाकिस्तान के दौरे पर हैं तो क्या पाकिस्तान की जेल में बंद कैदियों की वापसी की राह बन सकती है. आबिद कहते हैं "विदेश मंत्री एस जयशंकर संवेदनशील राजनेता हैं. वे समझते हैं कि एक मां जिसका बेटा बरसों से पाकिस्तान की जेल में है, उस पर और उसके परिवार पर क्या गुजर रही होगी. जो करीब 20 साल से जेल में हैं, जिनकी काउंसिल एक्सेस 10-10 बार हो चुकी है, उनकी रिहाई का रास्ता तो बनना चाहिए."
ज्यादातर कैदी मानसिक बीमारी के कारण बॉर्डर पार कर गए
आबिद कहते हैं "पाकिस्तान की जेल में ज्यदातार वे कैदी हैं जो मानसिक बीमारी की वजह से गफलत मे बॉर्डर क्रॉस कर गए और पाकिस्तानी सेना की गिरफ्त में आ गए." वे बताते हैं"इंडो पाक आवाज़ ए दोस्ती की जरिए जो हमें सूची मिली है पाकिस्तान की जेलों में कैद भारतीयों की, उनमें से कई लाहौर की मेंटल हेल्थ हॉस्पिटल में भर्ती हैं. कैदी के तौर पर उनका यहां इलाज चल रहा है." आबिद कहते हैं "मेरी एक दरख्वास्त पाकिस्तान की हुकूमत से भी है कि उन्हें ऐसे लोगों की जांच कर लेना चाहिए ताकि कोई बेगुनाह सजा ना भुगते." वे बताते हैं पाकिस्तान की जेलों में कैद जिन चार लड़कों की रिहाई के लिए संघर्ष किया, इत्तेफाक से तीनों ऐसी ही गफलत में बॉर्डर पार कर गए थे. आबिद ने पाकिस्तान की जेल में कैद मध्यप्रदेश के 3 नौजवान सुनील उइके, जीतेन्द्र सिंह अर्जुनवार और राजू लक्ष्मण की रिहाई में अहम भूमिका निभाई थी.