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भारत हिंदू राष्ट्र : भागवत बोले- अच्छे-बुरे के जिम्मेदार हिंदू, क्योंकि वही देश के पालनहार - RSS Chief Mohan Bhagwat - RSS CHIEF MOHAN BHAGWAT

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है. राजस्थान के अलवर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि हिंदू ही भारत का पालनहार है. देश में अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है और गड़बड़ होने पर दोष भी उसी पर आता है. इसलिए भारत हिंदू राष्ट्र है.

RSS Chief Mohan Bhagwat
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक (ETV Bharat)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 16, 2024, 5:13 PM IST

मोहन भागवत का बड़ा बायन (ETV Bharat Alwar)

अलवर: आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है. कारण है कि हिंदू समाज ही इसका उत्तरदायी है. इस राष्ट्र का अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है और राष्ट्र में कुछ गड़बड़ होता है तो इसका दोष भी हिंदू समाज पर आता है. इस कारण हिंदू ही इस देश का कर्ताधर्ता व पालनहार है. संघ प्रमुख भागवत ने यह बात अलवर प्रवास के दौरान इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित नगर स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण कार्यक्रम में रविवार को संबोधन के दौरान कही.

स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण कार्यक्रम में संघ प्रमुख भागवत ने आरएसएस क्यों है और क्या है ? के मायने बताए. सरसंघचालक ने कहा कि संघ की शाखा में छोटे-मोटे सीधे-साधे कार्यक्रम करते हैं, जिनका उद्देश्य भारत राष्ट्र को समर्थ करना है.

पढे़ं :संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को दिया शक्ति का संदेश, मातृवन में किया पौधरोपरण

हिंदू धर्म वास्तव में मानव धर्म है :सरसंघ चालक भागवत ने स्वयंसेवकों से राष्ट्र को वैभव संपन्न बनाने के लिए सामर्थ्यवान बनने का काम पुरुषार्थ के साथ करने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि हमें समर्थ संपन्न बनना है. इसके लिए पूरे समाज को योग्य बनाना पड़ेगा. संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करना है. भागवत ने हिन्दू धर्म के भाव को भी स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म वास्तव में मानव धर्म है, विश्व धर्म है. यह सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है. हिंदू मतलब विश्व का सबसे उदारतम मानव, जो सबकुछ स्वीकार करता है, सबके प्रति सद्भावना रखता है.

हिंदू विद्या का उपयोग ज्ञान देने में करता है : आरएसएस सरसंघचालक भागवत ने कहा कि हिंदू पराक्रमी पूर्वजों का वंशज है, जो विद्या का उपयोग विवाद पैदा करने के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान देने के लिए करता है. धन का उपयोग मदमस्त होने के लिए नहीं, दान के लिए करता है और शक्ति का उपयोग दुर्बलों की रक्षा के लिए करता है. वह पूजा किसी की भी करता हो, भाषा कोई भी बोलता हो, किसी भी जात-पात और किसी भी प्रांत का रहने वाला हो, कोई भी खानपान रीति-रिवाज को मानता हो, यह मूल्य जिनके हैं, यह संस्कृति जिनकी है, वह सब हिंदू हैं.

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