रांची: झारखंड की 14 लोकसभा सीटों के लिए 2019 के चुनाव में करीब 66.97 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस आंकड़े को और बढ़ाने और लोगों को वोट का हक समझाने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने खुद बीड़ा उठा लिया है. वह जंगल, पहाड़ी और पगडंडियों के रास्ते सुदूर ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं. ग्रामीणों से सीधी बात कर रहे हैं. उनसे वोटर कार्ड के बारे में पूछ रहे हैं.
संथाल परगना के साहिबगंज और पाकुड़ के ग्रामीण इलाकों में निरीक्षण के दौरान उन्हें आदिवासी प्रथा से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां मिली, जिसकी वजह से कई महिलाओं ने वोट देने में असमर्थता जतायी. सारी बातें सुनने के बाद सीईओ ने ऑन द स्पॉट समस्या का समाधान करने और वोटिंग सुनिश्चित कराने का निर्देश जारी किया. संथाल के दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, देवघर जिला में औचक निरीक्षण के दौरान सीईओ ने स्पष्ट किया है कि "अबकी बार दिन भर मतदान" के लिए वोटरों को जागरुक करने पर विशेष फोकस करना है.
रस्मों रिवाज नहीं आएंगे वोटिंग के आड़े
सीईओ के रवि कुमार जब पाकुड़ के फूलपहाड़ी क्षेत्र में पहुंचे तो जनजातीय समाज की मारनकुड़ी हांदसा से वोटर आईडी कार्ड के बारे में पूछा. मारनकुड़ी ने बताया कि मेरा तो गउना हो गया है. मैं यहां कैसे वोट दूंगी. बहुत जल्द मेरे पति ससुराल लेकर चले जाएंगे. इसी बीच सीईओ की नजर पास के खलिहानी में काम कर रही दो महिलाओं पर पड़ी. पूछने पर पता चला कि दोनों सास और बहू हैं. बहू ने बताया कि वह ससुराल में जरुर आ गयी है लेकिन अभी विवाह की रस्म पूरी नहीं हुई है.
जनजातीय प्रथा के मुताबिक लड़की के घरवाले जब रिश्तेदारों और ग्रामीणों को दावत खिलाते हैं, तभी विवाह की रस्म पूरी मानी जाती है. इस वजह से वह ससुराल में रहकर वोट नहीं दे पाएगी क्योंकि उसका नाम मायका वाले वोटर लिस्ट में है. इतना सुनते ही सीईओ ने दोनों महिलाओं की समस्या के निदान का निर्देश दिया. दरअसल, जनवरी में पुनरीक्षण के बाद वोटर लिस्ट जारी होने के बावजूद छूट चुके वोटरों का नाम जोड़ने और वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए जोरशोर से कवायद चल रही है. सीईओ के रवि कुमार ने खुद मोर्चा संभाल रखा है.
फिल्ड विजीट पर निकले हैं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी