नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अनोखे मामले में एक ऐसे शख्स की जांच और गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं, जो अवमानना की कार्यवाही का सामना कर रहा है. वह शख्स पासपोर्ट कोर्ट की हिरासत में होने के बाद भी अमेरिका भाग गया. पीठ ने इस संबंध में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज, एएसजी से इस कोर्ट की सहायता करने का अनुरोध किया. बेंच ने कहा कि, नटराज इस न्यायालय को बताएंगे कि प्रतिवादी को पासपोर्ट और इस कोर्ट की अनुमति के बिना इस देश से बाहर जाने की अनुमति कैसे दी गई.
पीठ ने कहा, "भारत सरकार के गृह मंत्रालय की सहायता से वह इस न्यायालय से पूछताछ कर सकते हैं और बता सकते हैं कि देश से भागने में प्रतिवादी की किसने सहायता की और इसमें कौन-कौन अधिकारी और अन्य लोग शामिल थे, पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को निर्धारित की है.
17 जनवरी, 2024 को पारित आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सभी कार्यवाही में अदालत में मौजूद रहने को कहा था. यह व्यक्ति अपने बच्चे की कस्टडी के लिए अपनी अलग रह रही पत्नी से लड़ाई लड़ रहा है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि वह व्यक्ति बिना पासपोर्ट के देश कैसे भाग गया. अदालत ने गृह मंत्रालय को उसे गिरफ्तार करने के लिए कानून के तहत हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिए.
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने की. पीठ ने 29 जनवरी को पारित अपने आदेश में कहा, "हम इस बात से हैरान हैं कि कथित अवमाननाकर्ता/प्रतिवादी बिना पासपोर्ट के अमेरिका या किसी अन्य देश कैसे जा सकता है, जबकि उसका पासपोर्ट इस अदालत की हिरासत में है."
पीठ ने कहा कि इस मामले की पिछली सुनवाई 22 जनवरी, 2025 को हुई थी. उस समय कथित अवमाननाकर्ता/प्रतिवादी कोर्ट में उपस्थित नहीं था, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन था. हालांकि, व्यक्ति के वकील ने दलील दी कि वह अगली सुनवाई की तारीख पर कोर्ट में उपस्थित होगा. पीठ ने अपने आदेश में कहा, "आज हमें किसी और ने नहीं बल्कि कथित अवमाननाकर्ता/प्रतिवादी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने बताया कि कथित अवमाननाकर्ता/प्रतिवादी अमेरिका चले गए हैं."
पीठ ने कहा, "चाहे जो भी हो, अब आज हमारे पास कथित अवमाननाकर्ता/प्रतिवादी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, प्रतिवादी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाता है, इसे कानून के अनुसार निष्पादित किया जाए. सर्वोच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय को प्रतिवादी को गिरफ्तार करने के लिए कानून के तहत हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया ताकि उसे न्याय के कटघरे में लाया जा सके.
पीठ ने स्पष्ट किया कि अवमानना कार्यवाही के दौरान या बाद में भारत में उसकी (प्रतिवादी) संपत्ति से संबंधित किसी भी सौदे सहित कोई भी व्यापारिक लेन-देन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अधीन होगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पत्नी द्वारा अपने अलग हुए पति के खिलाफ दायर अवमाननायाचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. इस जोड़े ने फरवरी 2006 में शादी की और अमेरिका चले गए और उनका एक 10 साल का बच्चा है.
हालांकि, वैवाहिक कलह के कारण, व्यक्ति ने 12 सितंबर, 2017 को अमेरिका के मिशिगन की एक अदालत से तलाक का आदेश प्राप्त कर लिया. दूसरी ओर, पत्नी ने भारत में उसके खिलाफ कई कार्यवाही शुरू की. अक्टूबर 2019 में, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्षों के बीच समझौता हुआ. समझौते का एक आधार यह है कि व्यक्ति बच्चे की कस्टडी मां को देगा. चूंकि ऐसा नहीं किया गया था, इसलिए याचिकाकर्ता-मां द्वारा दायर याचिका पर अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई थी. वह इसलिए क्योंकि उसने बच्चा मां को नहीं सौंपा था. " 26 सितंबर 2022 और 10 नवंबर 2022 के आदेश के अनुसार, कथित अवमाननाकर्ता/प्रतिवादी को इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा गया था.
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