नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली स्थित एनएसआईसी ओखला के ग्राउंड में गुरुवार को इंडिया आर्ट फेयर के 16वें संस्करण का शुभारंभ किया गया. यह फेयर नौ फरवरी तक चलेगा. उद्घाटन डॉ. संजीव किशोर गौतम ने किया जो कि बतौर मुख्य अतिथी उपस्थित रहे. इंडिया आर्ट फेयर में कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया का प्रदर्शनी बूथ भी बनाया गया है.
इस दौरान डॉ. संजीव किशोर गौतम ने कोरियाई कलाकार किम डेओक-हान के साथ बातचीत की और उनकी लाह की कलाकृतियों की सराहना की. उन्होंने बूथ पर स्थापित सभी कलाकृतियों को भी बारीकी से देखा और सराहा. इस अवसर पर उन्होंने ने कहा कि भारत में कोरियाई संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. साथ ही कोरियाई ललित और दृश्य कला में भी लोगों की रुचि बढ़ रही है. इसी उत्साह को ध्यान में रखते हुए, कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र भारत ने इंडिया आर्ट फेयर में बूथ (K08) पर कोरियाई समकालीन कला की सुंदरता और विविधता को प्रदर्शित किया.
पारंपरिक चित्रकला को नए रंगों में किया गया पेश: यहां पर अनुभवी कलाकार किम क्यून-जोंग, कोरियाई चित्रकार ली गिल-वू और नई पीढ़ी के कलाकार किम देओक-हान की कृतियां भी प्रदर्शित की गईं हैं. किम क्यून-जोंग ने प्राचीन भित्ति चित्रों (म्यूरल्स) और पारंपरिक कोरियाई चित्रकला को नए रंगों के साथ नए तरीके से पेश किया है. उन्होंने मैं पारंपरिक चित्रण से आगे बढ़कर लोगों के मन का असली सार दिखाने की कोशिश करता हूं.
आधुनिक पात्रों को पॉप-आर्ट शैली में मिलाने की कला: वहीं ली गिल-वू को 'हांजी' (कोरियाई पारंपरिक कागज) पर धूप जलाने की तकनीक के लिए जाना जाता है. उनके काम पारंपरिक दृश्यों और आधुनिक पात्रों को पॉप-आर्ट शैली में मिलाते हैं. उन्होंने कहा कि वे जले हुए सिलोएट मानव स्वभाव के द्वंद्व और जटिलता को दर्शाते हैं. उनको 2012 लंदन ओलंपिक और 2010 में 'बांग्लादेश एशियाई कला प्रदर्शनी' में उनके ग्रैंड प्राइज के लिए जाना जाता है.
कोरियाई संस्कृति भी फैल रही: किम देओक-हान, जो लाह और कोरियाई कागज के काम में माहिर हैं, विशेष रूप से इंडिया आर्ट फेयर 2025 में शामिल होने के लिए भारत आए हैं. वह नई पीढ़ी के कलाकार हैं जो लाह की पारंपरिक सामग्री से गहराई को दर्शाते हैं. के-पॉप और कोरियाई नाटकों से शुरू हुई कोरियाई लहर अब कोरिया की पारंपरिक संस्कृति, फाइन आर्ट्स और विजुअल आर्ट्स तक फैल रही है.
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