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बहुचर्चित सेंड्रीज घोटाले में एक और FIR दर्ज, घोटाले की जांच में निकले राजस्व और कानूनविद

Cooperative Bank Scam: रीवा के बहुचर्चित सेंड्रीज घोटाले में एक और एफआईआर दर्ज की गई है. यह एफआईआर भोपाल सीआईडी में दर्ज हुई है.

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बहुचर्चित सेंड्रीज घोटाले में एक और FIR दर्ज

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 4:48 PM IST

बहुचर्चित सेंड्रीज घोटाले में एक और एफआईआर दर्ज

रीवा। डभौरा के बहुचर्चित सेंड्रीज घोटाले की जांच जब से क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने शुरु की है, तब से एक-एक कर कई फर्जीवाड़े उजागर होते जा रहे हैं. वर्ष 2015 में समाने आए इस घोटाले की जांच CID ने शुरू की थी. इसके बाद रीवा CID विभाग में पदस्थ डीएसपी असलम खान ने सेंड्रीज घोटाले की परत दर परत खोलते हुए एक घोटाले के अंदर से 9 घोटालों को निकाल कर पुलिस और EOW विभाग को सौंपी है. वहीं मामले पर भोपाल CID में एक और FIR दर्ज की गई है. हाल ही में जो नया मामला निकल कर समाने आया है, वह चौंका देने वाला है.

बहुचर्चित सेंड्रीज घोटाले में एक और मामला दर्ज

रीवा सीआईडी विभाग में पदस्थ डीएसपी असलम खान ने बताया कि सेंड्रीज घोटाले के मुख्य आरोपी ने 2013 में रामकृष्ण मिश्रा ने अपने साले अशोक मिश्रा के नाम कृषि जमीन बंधक रखकर रजिस्ट्री कराई थी. रजिष्ट्री होने पर कूट रचित दस्तावेज लगा कर रामकृष्ण मिश्रा ने यूबीआई बैंक अतरैला से 14 लाख रुपए निकाल लिये. उसी जमीन के दस्तावेज में उलटफेर कर PNB बैंक सिरमौर और HDFC बैंक रीवा से रामकृष्ण के ससुराल वालों ने पैसे निकाले.

CID मुख्यालय भोपाल में दर्ज हुआ प्रकरण

CID डीएसपी असलम खान ने बताया की सीआईडी मुख्यालय भोपाल में 20 जनवरी को सेंड्रीज मामले पर एक नया मुकदमा कायम किया गया है. यह मामला सेंड्रीज घोटाला सहकारी बैंक क्राइम नंबर 12/15 से ही उपजा है. उसमें आए तथ्यों के आधार पर ही CID ने नया मुकदमा पंजिबद्ध किया है. जिसका अपराध क्रमांक 1/24 है. जिसमें धारा 420, 409, 467, 468, 471, 474, 120 बी एवं 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध करवाया है. यह नया प्रकरण सेंट्रीज घोटाले से ही निकला है.

तात्कालीन मैनेजर रामकृष्ण मिश्रा ने किया था जमीन पर खेल

CID डीएसपी ने बताया की इस घोटाले में अपराधिक आचरण इस बात का है की सेंड्रीजघोटाले का मुख्य मास्टरमाइंड डभौरा सहकारीता बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर व कैशियर रामकृष्ण मिश्रा वर्ष 2013 के दौरान UBI बैंक अतरैला में अपनी कृषि भूमि को बंधक रखकर 14 लाख रुपए का लोन लिया था. जो 10 नफर भूमिया थी. वह मुख्य आरोपी रामकृष्णन के ससुराल स्थित क्षेत्र की थी और इन भूमियों को रामकृष्णन ने गबन के पैसों से खरीदी थी. यह भूमि रामकृष्ण मिश्रा की सास प्रभादेवी, साला अशोक कुमार मिश्रा समेत ससुराल पक्ष के ही सदस्यों ने बेची थी.

कई लोगों के नाम से हुई ज़मीन की राजिष्ट्री

जमीन बिक्री की बकायदा तीन राजिष्ट्रियां हुई थी. इन्हीं राजिष्ट्रियों के अधार पर राजस्व विभाग में अतरैला वृत्त में नामांतरण हुआ था. नामांतरण होने के बाद खसरा ऋण पुस्तिका सारे रिकॉर्ड UBI अतरैला में रखा गया था. वकील के जरिए जैसी विधि होती है. उसका टाइटल रिपोर्ट जारी किया गया. इसके बाद रामकृष्ण मिश्रा वर्ष 2015 नवंबर माह के दौरान सेंड्रीज घोटाले के मामले में जेल चला गए. CID द्वारा जमीनों में हुइ हेराफेरी की जांच कर कार्रवाई की गई. उसी दौरान राजस्व के रिकार्ड में हेर फेर की गई गई और आरोपी रामाकृष्ण का नाम गायब कर दिया गया था. आरोपी का नाम गायब होने के बाद यही जमीन उन्हीं क्रेताओं के नाम पर आ गई जिन्होंने राम कृष्ण को जमीन बेची थी.

जमीन को बैंको में गिरवी रखकर लिया गया लोन

CID डीएसपी असलम खान ने बताया की इसके बाद रामकृष्ण के ससुराल वाले जिसमें उसके साले अशोक मिश्रा और उसकी पत्नी ममता देवी और उसकी सास सहित अन्य लोगों ने मिलकर जमीन अपने नाम एक बार फिर PNB बैंक सिरमौर में बाधक रखा. जबकि उसका मालिक रामकृष्ण था, फिर पुराने क्रेताओं ने UBI और PNB बैंक सिरमौर में जमीन बंधक रखी और लोन का लाभ लिया.

बार बार हुईं जमीन के नाम पर हेरा फेरी और दस्तवेजों के साथ छेड़छाड़

इसके बाद एक बार इन्ही लोगों ने उसी जमीन को सबिता देवी प्रजापति को बेच दी. उसके बाद एक बार फिर नामांतरण में हेरा फेरी करके HDFC रीवा में बंधक रखा और लोन की राशि प्राप्त की. इसमें मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा का साला अशोक मिश्रा और पत्नि ममता मिश्रा दोनों ही HDFC बैंक में ऋणी बने और 18 से 20 लाख रुपए प्राप्त किए. जबकि वास्तविक भूमि स्वामी रामकृष्णन मिश्रा हो चुका था. नामांतरण और राजस्व रिकार्ड में हेरा फेरी करके खसरा नकल निकाल करके सबिता देवी, विजय मिश्रा और अनंदिता मिश्रा जो की एक रिटायर्ड फौजी के बेटे और बहु है उन्हे यह जमीन बेची गई, जो की उन्हें बेचने का अधिकार नहीं था.

हाल में नकली नोटों के साथ गिरफ्तार हुआ था अशोक मिश्रा

DSP असलम खान ने बताया की इसमें मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा और उसके साले अशोक मिश्रा की पाई गई है. मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. आरोपी अशोक मिश्रा हाल में नकली नोटों के साथ बैकुंठपुर मे गिरफ्तार हुआ था. कुछ दिनों पूर्व ही जमानत लेकर जेल से रिहा हुआ है. अशोक मिश्रा शातिर दिमाक का व्यक्ति है.

मामले पर जांच जारी CID ने EOW को सौंपी रिपोर्ट

मामले पर जांच अभी भी जारी है. CID की टीम मामले पर परत दर परत खोलते हुए एक मुख्य सेंट्रीलज घोटाले में से अन्य 9 घोटालों को उजागर किया. सीआईडी ने मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा समेत उसके ससुराल पक्ष से ससुर मेदनी प्रसाद, सास प्रभादेवी, साला अशोक मिश्रा और उसकी पत्नी ममता देवी के साथ ही अधिवक्ता शिवशंकर, नरेश कुमार सोनी एंव पीएनबी के टाइटल रिर्पोट देने वाले अधिवक्ता एवं गारंटर विजय कुमार दुबे तथा जवा तहसील के अतरैला नायब तहसील कार्यालय के तत्कालीन राजस्व अमले के विरूद्ध CID मुख्यालय भोपाल में 20 जनवरी 2024 को नया अपराध पंजीबद्ध किया है. और इसकी रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को सौंपी है.

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