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चौकीदार पद जिसके लिए झारखंड में हो रहा बवाल! जानें, कैसे काम करते हैं चौकीदार - Post of Chowkidar

Chowkidar recruitment controversy. झारखंड में चौकीदार पद के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई है. इसमें सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया है. पलामू, गोड्डा में भी बहाली का अवसर है. चौकीदार पद पर बहाली को लेकर अभी से विवाद शुरू हो गया है.

recruitment for post of Chowkidar in Jharkhand
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 12, 2024, 4:33 PM IST

पलामूः झारखंड में चौकीदार के पद के लिए विज्ञापन जारी होने के बाद बवाल मचा हुआ है. चौकीदार के पद पर सीधी भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में अनुसूचित जाति के आरक्षण को शून्य कर दिया गया है. पलामू और गोड्डा जिला में चौकीदार की बहाली के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः विवादों में चौकीदार पद पर बहाली (ETV Bharat)

दरअसल, विधि व्यवस्था के ड्यूटी में चौकीदार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. चौकीदार पुलिस के सिस्टम से जुड़े हुए होते है जबकि इनकी मॉनिटरिंग और वेतन सिविल प्रसाशन करता है. चौकीदार अंचल कार्यालय से जुड़े हुए होते है. चौकीदार कोर्ट से जारी नोटिस का तामिला करवाते और पुलिस के लिए सूचना इकट्ठा करते हैं. गांव और इलाके में होने वाली एक-एक गतिविधि की जानकारी प्रशासनिक तंत्र के साथ साझा करते हैं.

थाना में परेड, सप्ताह में एक दिन जमा होते हैं चौकीदार

विधि व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए थानों में एक दिन चौकीदारी परेड होती है. थानेदार सभी चौकीदारों के साथ बैठक करते हैं और क्षेत्र की जानकारी लेते है. थानों में यह प्रत्येक मंगलवार या शुक्रवार को परेड होता है. इस परेड में इलाके के सभी चौकीदार एक साथ मौजूद रहते हैं. इस दौरान चौकीदारों की टास्किंग भी की जाती है और सूचना संकलन करने के लिए विभिन्न बिंदुओं की जानकारी दी जाती है.

ब्रिटिश काल से हो रही चौकीदार की नियुक्ति, 1990 में वेतन किया गया निर्धारित

चौकीदार के पद को लेकर ईटीवी भारत ने चौकीदार आरक्षण बचाव समिति के अध्यक्ष संदीप कुमार पासवान के साथ बातचीत की. संदीप पासवान ने बताया कि ब्रिटिश काल से ही चौकीदार की नियुक्ति हो रही है. 1990 में संयुक्त बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार ने चौकीदारों के लिए वेतन की शुरूआत की थी. चौकीदार में खास पासवान जाति की नियुक्ति होती थी. पासवान बलशाली थे और निष्पक्ष निर्णय लेते थे इसी वजह से उन्हें चौकीदारी मिली थी.

चौकीदार की बहाली में अनुसूचित जाति के आरक्षण को शून्य किया गया है. झारखंड हाई कोर्ट चौकीदार की वैकेंसी कर बहाली करने को कहा था. लेकिन ऐसा कहीं नहीं था कि अनुसूचित जाति के आरक्षण को शून्य कर दिया जाए. संदीप पासवान ने कहा कि चौकीदार के पद पर अनुसूचित जाति के सभी वर्गों का हक और अधिकार है. आरक्षण को शून्य किया जाना गलत है.

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