पटना :''आरसीपी सिंह को तो पहले ही पार्टी बना लेनी चाहिए थी. जदयू को तो उन्होंने 117 से 45 पर पहुंचा दिया था. मैदान में आएंगे तो उन्हें पता चल जाएगा.'' यह कहना है नालंदा से आने वाले जदयू के वरिष्ठ मंत्री श्रवण कुमार का. आरसीपी सिंह को लेकर जेडीयू नेताओं के तेवर तल्ख होते जा रहे हैं.
''अब तो हम लोग राजनीति में अंतिम पड़ाव पर हैं. बहुत उतार-चढ़ाव देखा है. नीतीश कुमार के कारण ही बिहार और देश के लोग उन्हें (आरसीपी सिंह) जानते भी हैं. जब संगठन का विस्तार करेंगे तो उन्हें पता चल जाएगा कितने बड़े संगठन कर्ता हैं. बीजेपी भी उन्हें समझ चुकी थी. कुछ नहीं है इनके पास, जीरो डायल हैं.''- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री
'बिहार की जनता को नीतीश पर विश्वास' :इधर नीतीश कुमार के नजदीकी जदयू एमएलसी संजय गांधी का साफ कहना है कि कोई खतरा नहीं है, प्रशांत किशोर हों या आरसीपी सिंह, नीतीश कुमार ने दोनों को पार्टी में काम करने का मौका दिया था, विश्वास जताया था. उनकी पार्टी बनाने से नीतीश कुमार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि बिहार की जनता नीतीश कुमार पर विश्वास करती है.
PK और RCP ने बढ़ाई परेशानी :दरअसल, बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले दनादन पार्टियां लॉंच हो रही है. पार्टी लॉंच कौन कर रहे हैं, तो कभी नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी माने जाने वाले प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह जैसे लोग. प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं तो आरसीपी सिंह संगठन के रणनीतिकार रहे हैं.
किसका 'तीर' घातक होगा? : आरसीपी और पीके, नीतीश कुमार के एक समय खास माने जाते थे. नीतीश ने दोनों को पार्टी में दो नंबर की कुर्सी दी थी. आज दोनों के निशाने पर नीतीश कुमार हैं. चर्चा है कि नीतीश कुमार को दोनों से 2025 में नुकसान होगा. अब कौन ज्यादा नुकसान करेगा इस पर कयासबाजी चल रही है. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि नीतीश कुमार को इस बार दोनों से नुकसान होगा. आरसीपी सिंह से ज्यादा नुकसान हो सकता है.
''प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह नीतीश कुमार को नुकसान पहुंचाएंगे, यह तो तय है. लेकिन प्रशांत किशोर नीतीश कुमार से ज्यादा आरजेडी को नुकसान पहुंचाएंगे. वहीं आरसीपी सिंह केवल जदयू और नीतीश कुमार को ही डैमेज करेंगे. इसलिए नीतीश कुमार के लिए सबसे ज्यादा खतरा आरसीपी सिंह से ही है.''- भोलानाथ, राजनीतिक विशेषज्ञ
'चिराग की चाल को कैसे भूल सकते हैं?' :राजनीतिक विशेषज्ञ भोलानाथ का कहना है कि 2020 विधानसभा का चुनाव कोई नहीं भूला होगा. जब नीतीश कुमार के कारण एनडीए से तालमेल नहीं होने पर चिराग पासवान ने जदयू के सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतार दिया था. इसके कारण ही नीतीश कुमार 43 सीटों पर सिमट गए और पहली बार बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी जदयू हो गई.
''आरसीपी सिंह इसलिए नुकसान ज्यादा पहुंचाएंगे क्योंकि नालंदा से आते हैं. नीतीश कुमार जिस कुर्मी जाति से हैं उसी जाति से आरसीपी सिंह भी है. जदयू में एक दशक से अधिक समय तक संगठन का कामकाज देखते रहे हैं. इसलिए जदयू के बारे में उन्हें सब कुछ पता है. जदयू में उनके कई समर्थक भी हैं.''- भोलानाथ, राजनीतिक विशेषज्ञ
'कभी नंबर दो रहे ने बढ़ा दी परेशानी!' : बता दें कि, प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह लंबे समय तक नीतीश कुमार के साथ काम किये हैं. अब नई पार्टी बनाकर दोनों ने साफ कह दिया है कि 2025 विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारेंगे. इस बीच आइये आपको प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह के सफर के बारे में बताते हैं.
आरसीपी सिंह का सफर :आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से आते हैं और नीतीश कुमार के कुर्मी जाति से हैं. आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं. आरसीपी सिंह की नीतीश कुमार से पहली मुलाकात 1996 में हुई थी. उस समय आरसीपी सिंह तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव हुआ करते थे.
धीरे-धीरे बढ़ी नजदीकियां :नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह की मुलाकात बेनी प्रसाद वर्मा ने ही करवाई थी और फिर दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी. जब केंद्र में रेल मंत्री बने तो आरसीपी सिंह उनके विशेष सचिव बन गए. 2005 में नीतीश कुमार जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने आरसीपी सिंह को अपना प्रधान सचिव बनाया.
सांसद से बने JDU अध्यक्ष :आरसीपी सिंह ने 2010 में आईएएस की नौकरी से VRS ले लिया, राजनीति में प्रवेश किया और जदयू में शामिल हो गए. नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेजा. आरसीपी सिंह 2010 से 2022 तक जनता दल यूनाइटेड के राज्यसभा सांसद रहे. 2020 में नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया.