रतलाम। खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए मध्य प्रदेश में कई प्रगतिशील किसान अलग-अलग तरीके से जुटे हुए है. कोई आधुनिक तकनीक से खेती कर रहा है तो कोई पारंपरिक और प्राकृतिक खेती को अपना कर खेती से लाभ कमा रहे हैं. रतलाम के नामली के युवा किसान वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुआ खाद बनाकर ना केवल अपनी स्वयं की खेती सुधार रहे हैं बल्कि अन्य किसानों को बेचकर अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. यही नहीं यह किसान अब जैविक कीटनाशक, जैविक लिक्विड खाद भी यहीं तैयार कर रहे है. केंचुए से बनी खाद और जैविक प्रोडक्ट बेचकर यह किसान अब लखपति बन गए हैं.
प्राइवेट नौकरी छोड़कर शुरू किया स्टार्टअप
यह किसान हैं नामली के अमित कुमावत और टीकमचंद जिन्होंने शुरुआती दौर में प्राइवेट नौकरी छोड़ केंचुआ खाद बनाने का काम वर्ष 2021 में शुरू किया. युवा किसान अमित कुमावत ने बताया कि "प्रायोगिक तौर पर महज दो बेड में गोबर और फसल के अवशेष के साथ कुछ केंचुए डालकर इसकी शुरुआत की थी. धीरे-धीरे इसे बढ़ाते हुए केंचुआ खाद का प्रयोग स्वयं के खेतों में किया. जैविक खाद का रिजल्ट तत्काल नहीं आता है. इसके लिए लगातार 2 वर्ष तक प्रयोग जारी रखा. तीसरे वर्ष अच्छी फसल होने पर अन्य किसानों की भी रुचि केंचुआ खाद में जागी." इसके बाद इन दोनों ने केंचुआ खाद का उत्पादन व्यावसायिक स्तर पर शुरू कर दिया. वर्तमान में करीब 200 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद का उत्पादन यह किसान कर रहे हैं. जिससे इन्हें प्रतिमाह 50 हजार रुपए का मुनाफा मिल रहा है. यही नहीं किसानों को वर्मी वाश और केंचुए बेंच कर यह अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे है.
क्या है वर्मी कंपोस्ट खाद
किसानों के पशुधन से प्राप्त गोबर और फसल अवशेष को एक पीट अथवा बेड पर अलग-अलग परतों में जमाया जाता है. जिस पर केंचुए को छोड़ा जाता है. इस दौरान पर्याप्त नमी और छायादार स्थान की व्यवस्था की जाती है. कुछ दिनों में गोबर की खाद और फसल अवशेष केंचुआ खाद में बदल जाते हैं. इस खाद में पर्याप्त मात्रा में कार्बन और पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इस विधि से तैयार खाद को वर्मी कंपोस्ट खाद कहते हैं.