शहडोल : आदिवासी बाहुल्य जिला शहडोल में ऐसी-ऐसी चीजें उगती हैं, जो अपने आप में ही अद्भुत हैं. पहले जिन फल, सब्जियों और औषधियों को जंगली माना जाता था, अब इनकी खेती भी होने लगी है. इन्हीं में से एक फल है किमाच, जिसे जादूई औषधि की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है. यह इतना पौषटिक माना जाता है कि इसके सेवन से कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स, कमजोरी और यहां तक की सेक्शुअल हेल्थ भी ठीक करने का दावा किया जाता है. इसे फल और सब्जी की तरह प्रयोग में लाया जाता है. और तो और इसके बीजे से स्पर्म काउंट तक बढ़ाने का दावा किया जाता है.
आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि किमाच को 'किंवाच' और 'कौंच' भी कहा जाता है. यह दो तरह के पाए जाते हैं, एक औषधीय महत्व का होता है जो सिर्फ औषधि में उपयोग होता है और जंगल में पाया जाता है. वहीं, दूसरा किमाच सब्जी की तरह खाया जाता है.
जंगली और सब्जी वाले किमाच में अंतर
आपने बहुत सारी सब्जियां खाई होंगी, लेकिन कुछ ऐसी सब्जियां होती हैं, जो एक सीजन में ही मिलती हैं, और बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक भी होती हैं. इन्हीं में से एक है कि किमाच की सब्जी. इस सब्जी के जानकार केशव कोल और अशोक कोल बताते हैं कि वो किमाच की सब्जी खा चुके हैं. अशोक कोल कहते हैं कि उनके मामा के घर पर किमाच की सब्जी की खेती की जाती थी, जिसे खाने में इस्तेमाल किया जाता था. वे कहते हैं कि जो किमाच जंगल में मिलता है, उसकी वैरायटी अलग होती है, उसमें खुजली करने वाले तत्व होते हैं, लेकिन जो सब्जी के लिए उगाई जाती है वह अलग होता है.
जंगली किमाच की ऐसे होती है पहचान
अशोक कोल कहते हैं, '' जंगली केंमाच के ऊपर ऐसा कुछ पाया जाता है, जो कांटेनुमा होता हौ और उसे छूते ही खुजली होने लगती है. लेकिन सब्जी वाला किमाच एकदम साफ होता है. इसमें खुजली वाला कोई भी तत्व नहीं पाया जाता. इसीलिए इसका सब्जी में उपयोग करते हैं और यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है. घर के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है इसीलिए ठंड के सीजन में अक्सर इसका खाने में सब्जियों के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.''
घरों में किमाच लगा रहे लोग
अशोक कोल कहते हैं, '' खाने वाले किमाच की सब्जी का चलन अब बढ़ रहा है और लोग इसकी खेती भी कर रहे हैं. इस सब्जी का कुछ ऐसा जादू है कि जो भी इसे एक बार खाता है, वो अपने घरों में खाने-पीने के लिए हर सीजन में इसे लगाता है. धीरे-धीरे इसका चलन भी बढ़ रहा है, जैसे आलू, गोभी, भिंडी, लौकी जैसी सब्जियों को लोग घरों पर लगाते हैं. ठीक इसी तरह इस सब्जी को भी सीमित मात्रा में लोग घरों पर लगा लेते हैं.''
पावर हाउस है किमाच, ये है इसका औषधीय महत्व
आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं, '' किमाच जो होता है, ये दो वैरायटी के होते हैं, एक जंगली होता है जो अपने आप ही जंगलों में उगता है या घरों की घास फूस वाली जगह पर हो जाता है. जो जंगली किमाच होता है, उसे छूने से खुजली होती है और इसका औषधीय महत्व होता है. वहीं दूसरा किमाच सब्जी के तौरा पर इस्तेमाल होता है. जंगली किमाच के बीज का चूर्ण सेक्सुअल प्रॉब्लम्स को ठीक करने में इस्तेमाल किया जाता है. इसके बीज का में एल्डोपा नामक कैमिकल पारकिंसोनिज्म बीमारी में दवा की तरह इस्तेमाल होता है.
स्पर्म काउंट बढ़ाने में मददगार है किमाच
आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव आगे कहते हैं, '' जिन लोगों में स्पर्म काउंट की कमी होती है या किती तरह की कमजोरी वगैरा बनी रहती है. उन्हें किमाच के बीज का चूर्ण या उसका मुरब्ब बनाकर दिया जाता है. इसकी एक दूसरी वैरायटी होती है, जिसकी खेती की जाती है. इसकी सब्जी आदिवासी अंचलों में और बिहार के बहुत सारे एरिया में खाई जाती है.
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